नई दिल्ली/गाजियाबाद: गुरुवार को महाशिवरात्रि का त्योहार है. इसके चलते गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर को फूलों से सजाया जा रहा है. मंदिर के महंत नारायण गिरी का कहना है कि इस बार कोलकाता और बेंगलुरू से फूल मंगवाए गए हैं. इससे मंदिर परिसर और बाहर के कई किलोमीटर के हिस्से को सजाया जा रहा है.
आज मंदिर में अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे भी लगा दिए गए हैं. मंदिर की सुरक्षा के लिहाज से आसमान से लेकर जमीन तक कड़ी नजर रखी जा रही है. मंदिर के महंत के मुताबिक, शिवरात्रि पर कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा ख्याल रखा जाएगा.
कोरोना के चलते शिवलिंग को छूने की इजाजत किसी भी भक्तों को नहीं होगी. मंदिर में दो गज की दूरी रखना अनिवार्य होगा. मंदिर के सेवादार इस बात को पूरी तरह से देखेंगे कि कोई बिना मास्क के मंदिर में प्रवेश न करे.
इलायची के फूलों से महकेगा प्रांगण
विशेष रुप से मंगवाए गए फूलों में इलायची के फूलों की संख्या काफी ज्यादा बताई जा रही है. इसकी खुशबू काफी दूर तक अपनी महक छोड़ती है. जब भक्त इन फूलों के बीच से होकर मंदिर के प्रांगण तक पहुंचेंगे,तो पूरा माहौल खुशबू से सराबोर मिलेगा. महाशिवरात्रि की खास सजावट में रंग-बिरंगे कालीन भी मंगवाए गए हैं, जो सड़कऔर मंदिर के भीतर के प्रांगण में बिछाये जाएंगे.
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सैनिटाइजेशन के लिए गुफा का इंतजाम
कोरोना को ध्यान में रखते हुए मंदिर के द्वार पर ही थर्मल स्क्रीनिंग और सैनिटाइजेशन वाली सुरंग का इंतजाम किया गया है जिससे होते हुए भक्त अंदर जिससे वह पूरी तरह से सैनिटाइज हो. पिछली शिवरात्रि पर कोरोना की वजह से भक्तों की संख्या काफी कम रही थी लेकिन इस बार मंदिर प्रांगण में लाखों भक्तों के पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है.
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मंदिर की प्राचीन मान्यता और प्राचीन महत्व
मंदिर की प्राचीन मान्यता काफी महत्वपूर्ण है. प्राचीन काल में बताया जाता है कि यहां पर रावण के पिता ने दूधेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना की थी. बाद में रावण ने भी पूजा-अर्चना की,और अपना दसवां आशीष भगवान शिव के चरणों में अर्पित कर दिया था. यही नहीं प्राचीन काल में मंदिर वाली जगह पर एक टीला था,जहां पर एक गाय स्वयंभू दूध देती थी,और उसी जगह पर भगवान दूधेश्वर प्रकट हुए थे.