नई दिल्ली/गाजियाबाद: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने गाजियाबाद की अर्थला झील के पास बने साढ़े 500 अवैध मकानों को तोड़ने का आदेश दिया है. जिसको लेकर स्थानीय निवासियों में खासा आक्रोश देखने को मिल रहा है.
लोगों का कहना है कि नगर निगम के तत्कालीन अफसरों पर कार्रवाई करने के बजाय हमारे मकानों को गिराया जा रहा है. मकान गिराए जाने के संबंध में ईटीवी भारत से बात करते हुए स्थानीय नागरिकों ने बताया कि जब कॉलोनी कट रही थी तब सभी अधिकारियों को रिश्वत दी गई थी.
मकान टूटने से लोग परेशान
लोगों का कहना है कि अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इतनी बड़ी कॉलोनी नहीं बस सकती. वहीं मकान टूटने से लोग परेशान हैं. स्थानीय महिला ने बताया कि कुछ साल पहले भी उसके मकान को प्रशासन ने तोड़ा था. अब फिर से तोड़ने की धमकी दी जा रही है. ऐसे हालात में हमें सिर छुपाने को भी जगह नहीं मिल रही.
हमने अपने पूरे जीवन भर की कमाई से ये जमीन खरीदकर अपना घर बनाया है. अगर प्रशासन हमारे घरों को तोड़ता है तो हम कहां जाएंगे. समय-समय पर हम बिजली और पानी के बिलों का भुगतान करते आए हैं. अगर कार्रवाई करनी है तो नगर निगम के अधिकारियों पर की जाए जिनकी शह पर यहां अवैध रूप से मकानों का निर्माण हुआ है.
'झील में कूद कर देंगे जान'
बातचीत के दौरान एक स्थानीय निवासी ने कहा कि अगर प्रशासन हमारे मकानों को तोड़ता है तो हम झील में कूदकर अपनी जान दे देंगे. हमने अपने बरसों की मेहनत से यहां घर बनाया है. अगर ये जगह अवैध थी तो नगर निगम और विद्युत विभाग ने यहां बिजली की सप्लाई कैसे दी.
स्थानीय निवासियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मकानों को ना तोड़ने की अपील करते हुए कहा कि यहां सभी निम्न आय वर्ग के लोग निवास करते हैं. अगर उनका मकान टूट जाता है तो उनके समक्ष सिर छुपाने की समस्या आन पड़ेगी
बता दें कि करीब 50 साल पहले गाजियाबाद की अर्थला झील हिंडन नदी की सहायक वाटर बॉडी होती थी. लेकिन बीते 10-15 साल में अर्थला झील के चारों तरफ की जमीन पर भू-माफिया ने कब्जा जमा लिया. जिसकी वजह से अर्थला झील अपना अस्तित्व खोती जा रही है.