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गाजियाबाद: इस साल प्रदूषण रोकने के लिए पराली का गौशालाओं में होगा प्रयोग

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Published : Sep 29, 2020, 7:44 PM IST

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी बिजेंद्र त्यागी ने बताया कि जो किसान अपने घरों में पशु पालते हैं. वे पराली का इस्तेमाल पशुओं के बिछावन में करते हैं. इस साल जिला प्रशासन का प्रयास रहेगा कि किसानों से पराली को लेकर गौ-आश्रय स्थलों में गोवंश के बिछावन के रूप में प्रयोग किया जाएगा.

parali will be use as bed in gaushalas to stop pollution this year in Ghaziabad
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नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली-NCR में हर साल अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से प्रदूषण स्तर में भारी बढ़ोतरी देखने को मिलती है. जिसकी वजह से दिल्ली-NCR में रहने वाले लोगों को सांस लेने में परेशानी समेत कई स्वास्थ संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है. प्रदूषण की रोकथाम को लेकर सरकारें और जिला प्रशासन द्वारा तमाम कोशिशें की जाती हैं. लेकिन प्रदूषण को नियंत्रित करना सरकारों और जिला प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बनी रहती है.

दिल्ली-NCR में इन दिनों हर साल बढ़ जाता है प्रदूषण

बीते सालों में दिल्ली-NCR में अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से हुई प्रदूषण में हुई बढ़ोतरी का मुख्य कारण पंजाबी, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों द्वारा पराली जलाया जाना माना जाता रहा है. जहां एक तरफ गाजियाबाद जिला प्रशासन किसानों को पराली न जलाने को लेकर जागरूक कर रहा है. वहीं दूसरी तरफ अब किसानों से पराली लेकर जिले की गौशालाओं में पराली को प्रयोग में लाएगा.

'बिछावन के रूप में प्रयोग की जाएगी पराली'

जिले के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी बिजेंद्र त्यागी ने बताया कि जो किसान अपने घरों में पशु पालते हैं. वे पराली का इस्तेमाल पशुओं के बिछावन में करते हैं. इस साल जिला प्रशासन का प्रयास रहेगा कि किसानों से पराली को लेकर गौ-आश्रय स्थलों में गोवंश के बिछावन के रूप में प्रयोग किया जाएगा. जिले के नगरीय और ग्रामीण क्षेत्र में कुल 25 गौशालाएं हैं, जिनमें 4,112 पशु रहते हैं.


किसानों से पराली लेकर गौशालाओं तक पहुंचाने की प्रक्रिया के सफल क्रियान्वयन के लिए जिला प्रशासन द्वारा एक कमेटी का भी गठन किया गया है. विकास खंड स्तर के अधिकारी और कृषि विभाग के अधिकारियों को इस टीम में शामिल किया गया है. जिला प्रशासन द्वारा उठाए गए इस कदम से उम्मीद है कि आने वाले दिनों में गाजियाबाद वासियों को प्रदूषण से राहत मिल सकेगी. क्योंकि पिछले साल भी गाजियाबाद हॉट गैस चैंबर बना हुआ था और लगातार कई दिनों तक गाजियाबाद का एयर क्वालिटी इंडेक्स डार्क रेड जोन में रहा था.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली-NCR में हर साल अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से प्रदूषण स्तर में भारी बढ़ोतरी देखने को मिलती है. जिसकी वजह से दिल्ली-NCR में रहने वाले लोगों को सांस लेने में परेशानी समेत कई स्वास्थ संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है. प्रदूषण की रोकथाम को लेकर सरकारें और जिला प्रशासन द्वारा तमाम कोशिशें की जाती हैं. लेकिन प्रदूषण को नियंत्रित करना सरकारों और जिला प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बनी रहती है.

दिल्ली-NCR में इन दिनों हर साल बढ़ जाता है प्रदूषण

बीते सालों में दिल्ली-NCR में अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से हुई प्रदूषण में हुई बढ़ोतरी का मुख्य कारण पंजाबी, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों द्वारा पराली जलाया जाना माना जाता रहा है. जहां एक तरफ गाजियाबाद जिला प्रशासन किसानों को पराली न जलाने को लेकर जागरूक कर रहा है. वहीं दूसरी तरफ अब किसानों से पराली लेकर जिले की गौशालाओं में पराली को प्रयोग में लाएगा.

'बिछावन के रूप में प्रयोग की जाएगी पराली'

जिले के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी बिजेंद्र त्यागी ने बताया कि जो किसान अपने घरों में पशु पालते हैं. वे पराली का इस्तेमाल पशुओं के बिछावन में करते हैं. इस साल जिला प्रशासन का प्रयास रहेगा कि किसानों से पराली को लेकर गौ-आश्रय स्थलों में गोवंश के बिछावन के रूप में प्रयोग किया जाएगा. जिले के नगरीय और ग्रामीण क्षेत्र में कुल 25 गौशालाएं हैं, जिनमें 4,112 पशु रहते हैं.


किसानों से पराली लेकर गौशालाओं तक पहुंचाने की प्रक्रिया के सफल क्रियान्वयन के लिए जिला प्रशासन द्वारा एक कमेटी का भी गठन किया गया है. विकास खंड स्तर के अधिकारी और कृषि विभाग के अधिकारियों को इस टीम में शामिल किया गया है. जिला प्रशासन द्वारा उठाए गए इस कदम से उम्मीद है कि आने वाले दिनों में गाजियाबाद वासियों को प्रदूषण से राहत मिल सकेगी. क्योंकि पिछले साल भी गाजियाबाद हॉट गैस चैंबर बना हुआ था और लगातार कई दिनों तक गाजियाबाद का एयर क्वालिटी इंडेक्स डार्क रेड जोन में रहा था.

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