नई दिल्ली/गाजियाबाद: शुक्रवार को अगर ईद का चांद दिखाई देता है तो शनिवार को पूरे देश में ईद का त्यौहार सादगी और लाॅकडाउन का पालन करते हुए मनाया जाएगा. इसको लेकर मुस्लिम धर्म गुरु और सरकार लोगों से लगातार अपील कर रही है.
ईद के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग एक-दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं, लेकिन इस बार वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के आदेश दिए गए हैं. आखिर ईद पर गले मिलकर ही मुबारकबाद क्यों देते हैं और इस बार ईद बार गले ना मिलकर कैसे दें ईद की मुबारकबाद इसी को लेकर ईटीवी भारत में मुफ्ती से खास बातचीत की.
इसलिए लगते हैं गले
मुरादनगर मलिक नगर मदरसे के मुफ्ती मजहर उल हक कासमी ने बताया कि ईद के दिन गले इसलिए मिला जाता है, क्योंकि अल्लाह इस दिन सबके गुनाहों की बक्शीश देता है, लेकिन ईद के दिन तीन तरह के लोगों की बक्शीश नहीं होती है. पहला दिल में दुश्मनी रखने वाला, दूसरा मां-बाप का ना फरमान और तीसरा शख्स है शराबी. इसलिए ईद पर गले मिलते हैं कि आज हमारी बक्शीश का दिन है. हमारे दिल साफ हो जाएं, जिन लोगों से लड़ाई-झगड़ा चल रहा है वह आपस में गले मिलकर एक-दूसरे को माफ कर दें, ताकि उनकी भी बक्शीश हो जाए.
दूर से दे सकते हैं मुबारकबाद
इसके साथ ही मुफ्ती साहब ने बताया कि ईद के दिन गले मिलना जरूरी नहीं है. दूर रहकर भी एक दूसरे से माफी मांग कर लड़ाई-झगड़े को खत्म कर सकते हैं और एक दूसरे से यह वादा करके कि हम आज से भाई-भाई हैं. ईद की मुबारकबाद दे सकते हैं. इसके साथ ही मुफ्ती साहब ने ईद पर लोगों से अपील करते हुए कहा है कि ईद के त्यौहार पर भाईचारे का पैगाम देते हुए सारे मुल्क और सारे मुल्क के लोग एक दूसरे को भाई मानते हुए प्यार से ईद का त्योहार मनाएं.