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मजदूर नहीं साहब, मजबूर हैं!, दिल्ली से मुजफ्फरपुर का सफर ठेले पर तय करने निकला परिवार - lockdown news

दिल्ली के आजादपुर से एक परिवार अपने तमाम सामान के साथ मुजफ्फरपुर का सफर ठेली पर तय करता नजर आया. पति रिक्शा चला रहा था और पत्नी अपने दोनों बच्चों को लिए पीछे ठेली पर बैठी थी. ईटीवी भारत ने परिवार के मुखिया बृजेश से बात की.

migrant worker Family travel from Delhi to Muzaffarpur by thela
दिल्ली से मुजफ्फरपुर का सफर ठेले से करने को मजबूर
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Published : May 17, 2020, 10:20 AM IST

नई दिल्ली: लॉकडाउन का तीसरा चरण समाप्त होने में अब कुछ दिन बाकी है, लेकिन अभी भी प्रवासी मजदूरों के पलायन की तस्वीरें लगातार देखने को मिल रही है. देश में फैली इस महामारी के कारण तमाम फैक्ट्रियां बंद हैं. ऐसे में मजदूर वर्ग पूरी तरह से बेरोजगार हो गया है. प्रवासी मजदूर महानगरों से अपने गांव की ओर पलायन कर रहे हैं. हर दिन प्रवासी मजदूरों की दिल दहला देने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं.

दिल्ली से मुजफ्फरपुर का सफर ठेले से करने को मजबूर

ईटीवी भारत ने मजदूर से की बात

कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी को लेकर किया गया लॉकडाउन मजदूरों पर विशाल संकट बनकर बरसा है. गाजियाबाद में पलायन की एक ऐसी तस्वीर देखने को मिली जो कि किसी भी व्यक्ति को अंदर से झकझोर सकती है.



दिल्ली के आजादपुर से एक परिवार अपने तमाम सामान के साथ मुजफ्फरपुर का सफर ठेली पर तय करता नजर आया. पति रिक्शा चला रहा था और पत्नी अपने दोनों बच्चों को लिए पीछे ठेली पर बैठी थी. तपा देने वाली धूप और गर्मी से अपने दोनों बच्चों को बचाने के लिए उसने एक बच्चे को अपनी गोद में लिटा कर कपड़े से ढक रखा था, जबकि दूसरे बच्चे को ठेली में लिटा कर उस पर तकिया रख रखा था. जिससे धूप की तपिश दोनों बच्चों पर ना पड़े.

migrant worker Family travel from Delhi to Muzaffarpur by thela
ईटीवी भारत की टीम ने मजदूर से की बात



जब यह परिवार गाज़ियाबाद पहुंचा तो ईटीवी भारत ने परिवार के मुखिया बृजेश से बात की. ब्रजेश रात भर रिक्शा चलाने के बाद दिल्ली के आजादपुर से गाजियाबाद पहुंचा था. रात भर रिक्शा चलाने के बाद आंखें पीली हो गई थी. दिल्ली से मुजफ्फरपुर तकरीबन 1100 किलोमीटर दूर है.



केवल बृजेश ही नहीं यह कहानी हजारों लोगों की है, जो इस संकट की घड़ी में किसी भी कीमत पर अपनी जान हथेली पर रख घर पहुंचने को बेताब हैं.

नई दिल्ली: लॉकडाउन का तीसरा चरण समाप्त होने में अब कुछ दिन बाकी है, लेकिन अभी भी प्रवासी मजदूरों के पलायन की तस्वीरें लगातार देखने को मिल रही है. देश में फैली इस महामारी के कारण तमाम फैक्ट्रियां बंद हैं. ऐसे में मजदूर वर्ग पूरी तरह से बेरोजगार हो गया है. प्रवासी मजदूर महानगरों से अपने गांव की ओर पलायन कर रहे हैं. हर दिन प्रवासी मजदूरों की दिल दहला देने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं.

दिल्ली से मुजफ्फरपुर का सफर ठेले से करने को मजबूर

ईटीवी भारत ने मजदूर से की बात

कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी को लेकर किया गया लॉकडाउन मजदूरों पर विशाल संकट बनकर बरसा है. गाजियाबाद में पलायन की एक ऐसी तस्वीर देखने को मिली जो कि किसी भी व्यक्ति को अंदर से झकझोर सकती है.



दिल्ली के आजादपुर से एक परिवार अपने तमाम सामान के साथ मुजफ्फरपुर का सफर ठेली पर तय करता नजर आया. पति रिक्शा चला रहा था और पत्नी अपने दोनों बच्चों को लिए पीछे ठेली पर बैठी थी. तपा देने वाली धूप और गर्मी से अपने दोनों बच्चों को बचाने के लिए उसने एक बच्चे को अपनी गोद में लिटा कर कपड़े से ढक रखा था, जबकि दूसरे बच्चे को ठेली में लिटा कर उस पर तकिया रख रखा था. जिससे धूप की तपिश दोनों बच्चों पर ना पड़े.

migrant worker Family travel from Delhi to Muzaffarpur by thela
ईटीवी भारत की टीम ने मजदूर से की बात



जब यह परिवार गाज़ियाबाद पहुंचा तो ईटीवी भारत ने परिवार के मुखिया बृजेश से बात की. ब्रजेश रात भर रिक्शा चलाने के बाद दिल्ली के आजादपुर से गाजियाबाद पहुंचा था. रात भर रिक्शा चलाने के बाद आंखें पीली हो गई थी. दिल्ली से मुजफ्फरपुर तकरीबन 1100 किलोमीटर दूर है.



केवल बृजेश ही नहीं यह कहानी हजारों लोगों की है, जो इस संकट की घड़ी में किसी भी कीमत पर अपनी जान हथेली पर रख घर पहुंचने को बेताब हैं.

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