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गाजियाबाद के डासना जेल में आयोजित हुई 'जेल प्रीमियर लीग'

गाजियाबाद में 'जेल प्रीमियर लीग' का आयोजन पिछले करीब एक महीने से चल रहा था, जिसका आज समापन हो गया. जेल में बंद कैदियों ने बढ़ चढ़कर अलग-अलग खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया.

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Published : Feb 16, 2022, 8:07 PM IST

जेल प्रीमीयर लीग
जेल प्रीमीयर लीग

नई दिल्ली/गाजियाबाद: जेल के भीतर 'जेल प्रीमियर लीग' का आयोजन पिछले करीब 1 महीने से चल रहा था। जिसका आज समापन हो गया।जेल में बंद कैदियों ने बढ़ चढ़कर अलग-अलग खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया।जीतने वाले खिलाड़ियों को जेल के भीतर आज सम्मानित किया गया।खिलाडियों को बाकायदा मेडल भी दिए गए. प्रतियोगिता के दौरान जेल के कुछ कैदी काफी आकर्षण का केंद्र बने रहे.

गाजियाबाद की डासना जेल के जेल अधीक्षक के निर्देशन में करीब एक महीने पहले जेल प्रीमियर लीग नाम से कई खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया था,जिसमें क्रिकेट, कबड्डी, बैडमिंटन, शतरंज, रस्साकशी, कैरम, वॉलीबॉल,जंप आदि खेलकूद शामिल थे।इसके लिए जेल में बंद कुछ बंदियों को प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए चयनित किया गया था. बैरक के हिसाब से टीमें निर्धारित की गई थी. कैदियों ने भी बढ़-चढ़कर इसमें हिस्सा लिया और अपने अपने खेल फील्ड में अपना हुनर दर्शाया. जिन कैदियों ने प्रत्येक स्तर पर खेल में अच्छा प्रदर्शन किया. उन्हें जेल प्रशासन की तरफ से मेडल देकर सम्मानित किया गया. वहीं जीतने वाली टीम के कैप्टन को कप भी दिया गया।सभी खिलाड़ियों को सर्टिफिकेट भी दिए जा रहे हैं. जेल अधीक्षक का कहना है कि इस तरह की प्रतियोगिताओं से एक तरफ जहां कैदियों का दिमागी स्ट्रेस कम होता है, तो वहीं उन्हें अपने हुनर को दिखाने का मौका मिलता है. इससे उन्हें जीवन के प्रति सकारात्मक प्रेरणा मिलती है, जिससे वह दोबारा जुर्म के रास्ते को नहीं चुनते.

इसे भी पढ़ें: गाजियाबाद जेल में कैदियों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए, जेल प्रीमियम लीग की शुरुआत की गई



जेल प्रीमियर लीग' के दौरान कुछ खिलाड़ी काफी ज्यादा आकर्षण का केंद्र बने रहे।इन खिलाड़ियों ने अपने चेहरे और सीने पर देश भक्ति से संबंधित पेंटिंग बनाई थी. खिलाड़ियों का जज्बा देखते ही बन रहा था. भले ही यह कैदी किसी ना किसी अपराध को करने के आरोप में जेल की चारदीवारी में बंद हों, लेकिन इनके भीतर के खिलाड़ी को बाहर लाने का मौका जेल प्रशासन की तरफ से जब मिला तो यह काफी खुश नजर आए. जेल प्रशासन का कहना है कि इस तरह के कार्यक्रम जेल में समय-समय पर आयोजित किए जाते रहते हैं. खास बात यह रही कि जेल प्रीमियर लीग से संबंधित व्यवस्था, कमेंट्री और मैदान को व्यवस्थित करने आदि तक के इंतजाम खुद कैदियों ने ही पूरी तरह से हैंडल किए.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: जेल के भीतर 'जेल प्रीमियर लीग' का आयोजन पिछले करीब 1 महीने से चल रहा था। जिसका आज समापन हो गया।जेल में बंद कैदियों ने बढ़ चढ़कर अलग-अलग खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया।जीतने वाले खिलाड़ियों को जेल के भीतर आज सम्मानित किया गया।खिलाडियों को बाकायदा मेडल भी दिए गए. प्रतियोगिता के दौरान जेल के कुछ कैदी काफी आकर्षण का केंद्र बने रहे.

गाजियाबाद की डासना जेल के जेल अधीक्षक के निर्देशन में करीब एक महीने पहले जेल प्रीमियर लीग नाम से कई खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया था,जिसमें क्रिकेट, कबड्डी, बैडमिंटन, शतरंज, रस्साकशी, कैरम, वॉलीबॉल,जंप आदि खेलकूद शामिल थे।इसके लिए जेल में बंद कुछ बंदियों को प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए चयनित किया गया था. बैरक के हिसाब से टीमें निर्धारित की गई थी. कैदियों ने भी बढ़-चढ़कर इसमें हिस्सा लिया और अपने अपने खेल फील्ड में अपना हुनर दर्शाया. जिन कैदियों ने प्रत्येक स्तर पर खेल में अच्छा प्रदर्शन किया. उन्हें जेल प्रशासन की तरफ से मेडल देकर सम्मानित किया गया. वहीं जीतने वाली टीम के कैप्टन को कप भी दिया गया।सभी खिलाड़ियों को सर्टिफिकेट भी दिए जा रहे हैं. जेल अधीक्षक का कहना है कि इस तरह की प्रतियोगिताओं से एक तरफ जहां कैदियों का दिमागी स्ट्रेस कम होता है, तो वहीं उन्हें अपने हुनर को दिखाने का मौका मिलता है. इससे उन्हें जीवन के प्रति सकारात्मक प्रेरणा मिलती है, जिससे वह दोबारा जुर्म के रास्ते को नहीं चुनते.

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जेल प्रीमियर लीग' के दौरान कुछ खिलाड़ी काफी ज्यादा आकर्षण का केंद्र बने रहे।इन खिलाड़ियों ने अपने चेहरे और सीने पर देश भक्ति से संबंधित पेंटिंग बनाई थी. खिलाड़ियों का जज्बा देखते ही बन रहा था. भले ही यह कैदी किसी ना किसी अपराध को करने के आरोप में जेल की चारदीवारी में बंद हों, लेकिन इनके भीतर के खिलाड़ी को बाहर लाने का मौका जेल प्रशासन की तरफ से जब मिला तो यह काफी खुश नजर आए. जेल प्रशासन का कहना है कि इस तरह के कार्यक्रम जेल में समय-समय पर आयोजित किए जाते रहते हैं. खास बात यह रही कि जेल प्रीमियर लीग से संबंधित व्यवस्था, कमेंट्री और मैदान को व्यवस्थित करने आदि तक के इंतजाम खुद कैदियों ने ही पूरी तरह से हैंडल किए.

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