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इसी मंच से बहे थे राकेश टिकैत के आंसू, फिर बदल गई थी किसान आंदोलन की तस्वीर - Ghazipur Border kisan andolan update news

किसान आंदोलन (farmers movement) के दौरान एक वक्त ऐसा भी आया, जब देश को लगने लगा था कि अब किसानों का ये आंदोलन समाप्त हो जाएगा, लेकिन गाजीपुर किसान एकता मोर्चा के मंच पर किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) के आंसुओं ने किसान आंदोलन की तस्वीर बदल दी...पढ़िए आखिर उस दिन ऐसा क्या हुआ था...

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Published : Dec 12, 2021, 10:42 AM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: जिस मंच से 28 जनवरी को राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) के आंसू बहे थे, वह मंच अब हटना शुरू हो गया है. इसके बाद उम्मीद की जा सकती है, कि जल्द नेशनल हाईवे 9 पर ट्रैफिक चलना शुरू हो जाएगा. हालांकि इससे पहले साफ सफाई का कार्य और नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया का टेस्टिंग वर्क यहां पर होगा. आइए आपको बताते हैं, जिस मंच को आज नेशनल हाईवे 9 से हटाया जा रहा है, उस मंच की किसानों के लिए अहमियत क्या थी.

जैसे ही किसान आंदोलन (farmers movement) शुरू हुआ था, वैसे ही नेशनल हाईवे 9 पर मंच लगा दिया गया था. मंच के लगने के साथ ही ट्रैफिक रुक गया था. इसी मंच से सभी किसान संबोधन करते थे, जो भी जरूरी बात होती थी. उस बात को किसानों तक इस मंच के माध्यम से पहुंचाया जाता था. राकेश टिकैत भी जब गाजीपुर बॉर्डर पर होते थे, तो इस मंच पर संबोधन के लिए आते थे. तमाम बड़े वरिष्ठ किसान मंच पर आंदोलन के प्रति अपनी रणनीति और गतिविधियों को साझा करते रहे.

जानाकरी देते किसान नेता.

इस मंच की खास बात यह रही कि मंच पर कभी भी किसी राजनीतिक व्यक्ति को प्रवेश नहीं करने दिया गया. जो भी राजनीतिक व्यक्ति या किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़ा कोई नेता यहां पर पहुंचा. उसे मंच पर नहीं जाने दिया गया. मंच के नीचे ही उस नेता या व्यक्ति को बैठाया जाता था. किसानों ने हमेशा कहा कि उनका आंदोलन गैर राजनीतिक है. जिसका उदाहरण यह मंच है. मंच को किसान ईश्वर की तरह सम्मान देते रहे.

पढ़ें: किसान नेता बोले, हमारा नारा था लड़ेंगे-जीतेंगे अब नारा है हम लड़े-हम जीते

26 जनवरी को जब किसान नेताओं पर दिल्ली में उग्र प्रदर्शन का आरोप लगा, तो उसके बाद यह माना जा रहा था कि राकेश टिकैत की गिरफ्तारी हो सकती है, और आंदोलन खत्म हो सकता है. 28 जनवरी 2021 को आंदोलन की समाप्ति लगभग तय हो गई थी. मगर इसी मंच पर राकेश टिकैत के आंसू बहे. जिसके बाद देश भर से किसान गाजीपुर बॉर्डर की तरफ कूच कर गए. वह अपने गांव से जल लेकर यहां पर पहुंचे थे, क्योंकि जिस जगह राकेश टिकैत के आंसू बहे थे, उस जगह पर वह अपने गांव का जल पहुंचाना चाहते थे. किसानों ने सरकार का पानी पीने से भी इनकार कर दिया था. इसलिए राकेश टिकैत के लिए गांव-गांव से यहां किसान जल लेकर पहुंचे थे. इसी मंच पर वह आंसुओं के बाद किसान आंदोलन की किस्मत बदल गई. पुलिस और प्रशासन भी किसानों को यहां से नहीं हटा पाया. क्योंकि संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई थी. सीधे शब्दों में कहें तो आंदोलन की जीत का मुख्य कारण यही मंच रहा.

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इसी मंच से बहे थे राकेश टिकैत के आंसू.

पढ़ें: वापस लौटने लगे किसान, पर अभी गाजीपुर बॉर्डर नहीं छोड़ेंगे राकेश टिकैत, जानिए क्यों

मंच पर समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित होते थे. कभी किसी राज्य का कार्यक्रम होता था, तो कभी शहीदों से जुड़ा कार्यक्रम होता था. कभी मृतक किसानों की याद की जाती थी, तो कभी शहीद जवानों के लिए श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित होता था.

पढ़ें: आंदोलन की शुरुआत में कहीं नहीं थे राकेश टिकैत, धीरे-धीरे बिछाई चुनावी राजनीति की 'चौसर'

मंच का संचालन करने वाले होशियार सिंह ने बताया कि वह जिला बिजनौर के रहने वाले हैं. होशियार सिंह के अलावा इस मंच का संचालन करने वाले दो और लोग थे. जिनके नाम मलूक सिंह और ओमपाल मलिक है. इन तीनों को मंच प्रभारी बनाया गया था. इन तीनों की जिम्मेदारी थी कि जो लोग यहां आते थे, उनका एड्रेस भी नोट करना होता था. उनका कहना है कि इस मंच से इमोशनल नाता रहा है. मंच हट रहा है तो काफी उदासी है. मगर खुशी इस बात की है कि आंदोलन में जीत हुई है. उन्होंने कहा कि जो प्यार इस मंच से मिला वह किसी अपने रिश्तेदार से भी नहीं मिला.

पढ़ें: दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसान आंदोलन खत्म, सिंघु बॉर्डर से टेंट हटना शुरू

नई दिल्ली/गाजियाबाद: जिस मंच से 28 जनवरी को राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) के आंसू बहे थे, वह मंच अब हटना शुरू हो गया है. इसके बाद उम्मीद की जा सकती है, कि जल्द नेशनल हाईवे 9 पर ट्रैफिक चलना शुरू हो जाएगा. हालांकि इससे पहले साफ सफाई का कार्य और नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया का टेस्टिंग वर्क यहां पर होगा. आइए आपको बताते हैं, जिस मंच को आज नेशनल हाईवे 9 से हटाया जा रहा है, उस मंच की किसानों के लिए अहमियत क्या थी.

जैसे ही किसान आंदोलन (farmers movement) शुरू हुआ था, वैसे ही नेशनल हाईवे 9 पर मंच लगा दिया गया था. मंच के लगने के साथ ही ट्रैफिक रुक गया था. इसी मंच से सभी किसान संबोधन करते थे, जो भी जरूरी बात होती थी. उस बात को किसानों तक इस मंच के माध्यम से पहुंचाया जाता था. राकेश टिकैत भी जब गाजीपुर बॉर्डर पर होते थे, तो इस मंच पर संबोधन के लिए आते थे. तमाम बड़े वरिष्ठ किसान मंच पर आंदोलन के प्रति अपनी रणनीति और गतिविधियों को साझा करते रहे.

जानाकरी देते किसान नेता.

इस मंच की खास बात यह रही कि मंच पर कभी भी किसी राजनीतिक व्यक्ति को प्रवेश नहीं करने दिया गया. जो भी राजनीतिक व्यक्ति या किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़ा कोई नेता यहां पर पहुंचा. उसे मंच पर नहीं जाने दिया गया. मंच के नीचे ही उस नेता या व्यक्ति को बैठाया जाता था. किसानों ने हमेशा कहा कि उनका आंदोलन गैर राजनीतिक है. जिसका उदाहरण यह मंच है. मंच को किसान ईश्वर की तरह सम्मान देते रहे.

पढ़ें: किसान नेता बोले, हमारा नारा था लड़ेंगे-जीतेंगे अब नारा है हम लड़े-हम जीते

26 जनवरी को जब किसान नेताओं पर दिल्ली में उग्र प्रदर्शन का आरोप लगा, तो उसके बाद यह माना जा रहा था कि राकेश टिकैत की गिरफ्तारी हो सकती है, और आंदोलन खत्म हो सकता है. 28 जनवरी 2021 को आंदोलन की समाप्ति लगभग तय हो गई थी. मगर इसी मंच पर राकेश टिकैत के आंसू बहे. जिसके बाद देश भर से किसान गाजीपुर बॉर्डर की तरफ कूच कर गए. वह अपने गांव से जल लेकर यहां पर पहुंचे थे, क्योंकि जिस जगह राकेश टिकैत के आंसू बहे थे, उस जगह पर वह अपने गांव का जल पहुंचाना चाहते थे. किसानों ने सरकार का पानी पीने से भी इनकार कर दिया था. इसलिए राकेश टिकैत के लिए गांव-गांव से यहां किसान जल लेकर पहुंचे थे. इसी मंच पर वह आंसुओं के बाद किसान आंदोलन की किस्मत बदल गई. पुलिस और प्रशासन भी किसानों को यहां से नहीं हटा पाया. क्योंकि संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई थी. सीधे शब्दों में कहें तो आंदोलन की जीत का मुख्य कारण यही मंच रहा.

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इसी मंच से बहे थे राकेश टिकैत के आंसू.

पढ़ें: वापस लौटने लगे किसान, पर अभी गाजीपुर बॉर्डर नहीं छोड़ेंगे राकेश टिकैत, जानिए क्यों

मंच पर समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित होते थे. कभी किसी राज्य का कार्यक्रम होता था, तो कभी शहीदों से जुड़ा कार्यक्रम होता था. कभी मृतक किसानों की याद की जाती थी, तो कभी शहीद जवानों के लिए श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित होता था.

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मंच का संचालन करने वाले होशियार सिंह ने बताया कि वह जिला बिजनौर के रहने वाले हैं. होशियार सिंह के अलावा इस मंच का संचालन करने वाले दो और लोग थे. जिनके नाम मलूक सिंह और ओमपाल मलिक है. इन तीनों को मंच प्रभारी बनाया गया था. इन तीनों की जिम्मेदारी थी कि जो लोग यहां आते थे, उनका एड्रेस भी नोट करना होता था. उनका कहना है कि इस मंच से इमोशनल नाता रहा है. मंच हट रहा है तो काफी उदासी है. मगर खुशी इस बात की है कि आंदोलन में जीत हुई है. उन्होंने कहा कि जो प्यार इस मंच से मिला वह किसी अपने रिश्तेदार से भी नहीं मिला.

पढ़ें: दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसान आंदोलन खत्म, सिंघु बॉर्डर से टेंट हटना शुरू

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