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16 साल बाद गांव पहुंचा जवान का शव, जानिए पूरा घटनाक्रम

सेना के जवान अमरीश त्यागी का शव 16 साल बाद पैतृक गांव पहुंचा है. 16 साल बाद इस जांबाज देशभक्त सिपाही का आज अंतिम संस्कार होगा. मामले के बारे में जिसको भी जानकारी मिल रही है, वह गांव में पहुंच रहा है.

सिपाही अमरीश त्यागी का शव पहुंचा गांव
सिपाही अमरीश त्यागी का शव पहुंचा गांव
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Published : Sep 28, 2021, 11:22 AM IST

Updated : Sep 28, 2021, 11:52 AM IST

नई दिल्ली/गाजियाबादः सेना के जवान अमरीश त्यागी का शव 16 साल बाद पैतृक गांव पहुंचा है. 16 साल बाद इस जांबाज देशभक्त सिपाही का आज अंतिम संस्कार होगा. मामले के बारे में जिसको भी जानकारी मिल रही है, वह गांव में पहुंच रहा है. अमरीश त्यागी ने साल 2005 में सियाचिन की पहाड़ी पर तिरंगा झंडा फहरा कर सबका का नाम गर्व से ऊंचा किया था, मगर वापस लौटते समय उत्तराखंड की पहाड़ियों से गिरकर उनकी शहादत हो गई थी.

3 दिन पहले मुरादनगर में रहने वाले परिवार के पास सूचना आई थी कि 16 साल बाद अमरीश त्यागी का पार्थिव शरीर उत्तराखंड की खाई में से बरामद किया गया है. आज सेना के अधिकारी शव को लेकर मुरादनगर में अमरीश त्यागी के पैतृक गांव पहुंचे हैं.

सिपाही अमरीश त्यागी का शव पहुंचा गांव

अमरीश त्यागी की शव यात्रा मुरादनगर स्थित हिसाली गांव में पहुंच चुकी है. इसके लिए गांववासी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं. आसपास के गांव के निवासी भी गांव में पहुंच रहे हैं. फूलों से अमरीश त्यागी को श्रद्धांजलि दी जा रही है. सबकी आंखें नम है. 16 साल बाद एक बार फिर से जख्म ताज़ा हो गया है. हालांकि, परिवार और गांववालों को तो यह तक नहीं पता था कि वह जिंदा भी हैं या नहीं. 16 साल पहले परिवार का रो-रोकर बुरा हाल था. हर रोज अमरीश त्यागी की याद सताती थी. यह जानने की उत्सुकता रहती थी कि अमरीश के साथ क्या हुआ होगा. अमरीश के साथ गए उनके तीन साथियों के शव तभी बरामद हो गए थे.

ये भी पढ़ें-आज पहुंचेगा शहीद जवान अमरीश त्यागी का पार्थिव शरीर, अंतिम संस्कार की तैयारियों में जुटे ग्रामीण

सिपाही अमरीश त्यागी गाजियाबाद के मुरादनगर इलाके के हिसाली गांव के रहने वाले थे. वह काफी जांबाज थे. पूर्व में वह कारगिल में तैनात रहे थे. वह एक जांबाज पर्वतारोही भी थे. वह हिमालय और सियाचिन से होते हुए सबसे ऊंची चोटी पर कई बार तिरंगा फहरा चुके थे. साल 2005 में भी सियाचिन की चोटी पर वह टीम के साथ ध्वजारोहण करने गए थे, लेकिन लौटते समय उत्तराखंड में हादसा हो गया और सभी सिपाही बर्फ में दब गए. रेस्क्यू के दौरान तीन सिपाहियों के शव को निकाल लिया गया था, मगर अमरीश का शव नहीं मिल पाया था. बताया जाता है कि उनका शव गहरी खाई में चला गया था, जहां पर काफी ज्यादा बर्फ थी.

ये भी पढ़ें-सेना के जवान अमरीश का शव गाजियाबाद के लिये रवाना, 16 साल बाद होगा अंतिम संस्कार

16 साल बाद सेना ने उनका पार्थिव शरीर तलाश लिया, जिसके बाद अमरीश के परिवार को कॉल आई. पता चला है कि मंगलवार को अमरीश का शव उनके पैतृक गांव में पहुंचने वाला है. राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. अमरीश त्यागी के पिता ने 1962 और 1965 की लड़ाई में योगदान दिया था. अब उनका देहांत हो चुका है और वह बेटे के अंतिम दर्शन तक नहीं कर पाए थे.

नई दिल्ली/गाजियाबादः सेना के जवान अमरीश त्यागी का शव 16 साल बाद पैतृक गांव पहुंचा है. 16 साल बाद इस जांबाज देशभक्त सिपाही का आज अंतिम संस्कार होगा. मामले के बारे में जिसको भी जानकारी मिल रही है, वह गांव में पहुंच रहा है. अमरीश त्यागी ने साल 2005 में सियाचिन की पहाड़ी पर तिरंगा झंडा फहरा कर सबका का नाम गर्व से ऊंचा किया था, मगर वापस लौटते समय उत्तराखंड की पहाड़ियों से गिरकर उनकी शहादत हो गई थी.

3 दिन पहले मुरादनगर में रहने वाले परिवार के पास सूचना आई थी कि 16 साल बाद अमरीश त्यागी का पार्थिव शरीर उत्तराखंड की खाई में से बरामद किया गया है. आज सेना के अधिकारी शव को लेकर मुरादनगर में अमरीश त्यागी के पैतृक गांव पहुंचे हैं.

सिपाही अमरीश त्यागी का शव पहुंचा गांव

अमरीश त्यागी की शव यात्रा मुरादनगर स्थित हिसाली गांव में पहुंच चुकी है. इसके लिए गांववासी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं. आसपास के गांव के निवासी भी गांव में पहुंच रहे हैं. फूलों से अमरीश त्यागी को श्रद्धांजलि दी जा रही है. सबकी आंखें नम है. 16 साल बाद एक बार फिर से जख्म ताज़ा हो गया है. हालांकि, परिवार और गांववालों को तो यह तक नहीं पता था कि वह जिंदा भी हैं या नहीं. 16 साल पहले परिवार का रो-रोकर बुरा हाल था. हर रोज अमरीश त्यागी की याद सताती थी. यह जानने की उत्सुकता रहती थी कि अमरीश के साथ क्या हुआ होगा. अमरीश के साथ गए उनके तीन साथियों के शव तभी बरामद हो गए थे.

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सिपाही अमरीश त्यागी गाजियाबाद के मुरादनगर इलाके के हिसाली गांव के रहने वाले थे. वह काफी जांबाज थे. पूर्व में वह कारगिल में तैनात रहे थे. वह एक जांबाज पर्वतारोही भी थे. वह हिमालय और सियाचिन से होते हुए सबसे ऊंची चोटी पर कई बार तिरंगा फहरा चुके थे. साल 2005 में भी सियाचिन की चोटी पर वह टीम के साथ ध्वजारोहण करने गए थे, लेकिन लौटते समय उत्तराखंड में हादसा हो गया और सभी सिपाही बर्फ में दब गए. रेस्क्यू के दौरान तीन सिपाहियों के शव को निकाल लिया गया था, मगर अमरीश का शव नहीं मिल पाया था. बताया जाता है कि उनका शव गहरी खाई में चला गया था, जहां पर काफी ज्यादा बर्फ थी.

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16 साल बाद सेना ने उनका पार्थिव शरीर तलाश लिया, जिसके बाद अमरीश के परिवार को कॉल आई. पता चला है कि मंगलवार को अमरीश का शव उनके पैतृक गांव में पहुंचने वाला है. राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. अमरीश त्यागी के पिता ने 1962 और 1965 की लड़ाई में योगदान दिया था. अब उनका देहांत हो चुका है और वह बेटे के अंतिम दर्शन तक नहीं कर पाए थे.

Last Updated : Sep 28, 2021, 11:52 AM IST
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