ETV Bharat / city

समय पर गन्ना भुगतान न होने से परेशान किसान, कहा- करना पड़ता है प्रदर्शन

author img

By

Published : Jan 21, 2021, 7:40 PM IST

समय पर गन्ना भुगतान न होने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान काफी परेशान हैं. इसी कड़ी में किसानों ने ईटीवी भारत से बातचीत की.

farmers worried over non-payment of sugarcane on time in ghaziabad
समय पर गन्ना भुगतान ना होने से परेशान किसान, कहा- करना पड़ता है प्रदर्शन

नई दिल्ली/गाजियाबाद: पश्चिमी उत्तर प्रदेश को गन्ना की बेल्ट के नाम से भी जाना जाता है. यहां अधिकतर किसान गन्ने की खेती करते हैं. समय पर गन्ना भुगतान न होने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान काफी परेशान हैं. ईटीवी भारत ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों से बातचीत कर ये जाना कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना भुगतान के क्या कुछ हालात हैं.

गन्ना भुगतान ना होने से परेशान किसान
भारतीय किसान यूनियन के जनपद सहारनपुर के युवा महासचिव मेवाराम चौधरी ने बताया कि मीलों पर पिछले साल का गन्ना भुगतान अभी भी बकाया है. किसान गन्ने की फसल काटने के बाद मिलों में गन्ना तो डाल रहा है लेकिन गन्ने की जो पर्ची मिल रही है उस पर गन्ने का रेट शून्य अंकित है. किसान को यह तक नहीं पता चल पा रहा है कि उसकी फसल आखिर किस दाम पर बिक रही है. फसल का भुगतान होने में लम्बा वक़्त लग जाता है.

'दावे हो रहे फेल'


भारतीय किसान यूनियन के जनपद मेरठ के महासचिव राजकुमार चौधरी ने बताया सरकार 14 दिनों में गन्ने का भुगतान करने का दावा तो करती हैं लेकिन गन्ने का भुगतान होने में 14 महीने तक का समय लग जाता है. समय से गन्ने का भुगतान ना होने पर परेशानी उठानी पड़ती है. समय से अगर भुगतान हो तो किसान आसानी से अपने खर्चे चला सके. समय पर भुगतान ना होने पर किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है.

भारतीय किसान यूनियन के गाजियाबाद जिला प्रभारी जय कुमार मलिक ने बताया गन्ने का भुगतान होने में डेढ़ साल तक लग जाता है. पिछली फसल का भुगतान ना होने से अगली फसल को लगाना किसान के लिए एक बड़ी चुनौती होती है. समय पर भुगतान ना होने के कारण कर्ज़ लेकर नई फसल को लगाया जाता है. स्थानीय साहूकार से ब्याज पर पैसा लेने पर किसान को 5% महीने का ब्याज देना पड़ता है.

किसानों का कहना था कि जब समय पर गन्ना भुगतान नहीं हो पाता है तो किसान यूनियन के नेतृत्व में जिला मुख्यालयों पर किसानों धरना प्रदर्शन करना पड़ता है. तब जाकर थोड़ा बहुत गन्ने का भुगतान हो पाता है.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: पश्चिमी उत्तर प्रदेश को गन्ना की बेल्ट के नाम से भी जाना जाता है. यहां अधिकतर किसान गन्ने की खेती करते हैं. समय पर गन्ना भुगतान न होने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान काफी परेशान हैं. ईटीवी भारत ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों से बातचीत कर ये जाना कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना भुगतान के क्या कुछ हालात हैं.

गन्ना भुगतान ना होने से परेशान किसान
भारतीय किसान यूनियन के जनपद सहारनपुर के युवा महासचिव मेवाराम चौधरी ने बताया कि मीलों पर पिछले साल का गन्ना भुगतान अभी भी बकाया है. किसान गन्ने की फसल काटने के बाद मिलों में गन्ना तो डाल रहा है लेकिन गन्ने की जो पर्ची मिल रही है उस पर गन्ने का रेट शून्य अंकित है. किसान को यह तक नहीं पता चल पा रहा है कि उसकी फसल आखिर किस दाम पर बिक रही है. फसल का भुगतान होने में लम्बा वक़्त लग जाता है.

'दावे हो रहे फेल'


भारतीय किसान यूनियन के जनपद मेरठ के महासचिव राजकुमार चौधरी ने बताया सरकार 14 दिनों में गन्ने का भुगतान करने का दावा तो करती हैं लेकिन गन्ने का भुगतान होने में 14 महीने तक का समय लग जाता है. समय से गन्ने का भुगतान ना होने पर परेशानी उठानी पड़ती है. समय से अगर भुगतान हो तो किसान आसानी से अपने खर्चे चला सके. समय पर भुगतान ना होने पर किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है.

भारतीय किसान यूनियन के गाजियाबाद जिला प्रभारी जय कुमार मलिक ने बताया गन्ने का भुगतान होने में डेढ़ साल तक लग जाता है. पिछली फसल का भुगतान ना होने से अगली फसल को लगाना किसान के लिए एक बड़ी चुनौती होती है. समय पर भुगतान ना होने के कारण कर्ज़ लेकर नई फसल को लगाया जाता है. स्थानीय साहूकार से ब्याज पर पैसा लेने पर किसान को 5% महीने का ब्याज देना पड़ता है.

किसानों का कहना था कि जब समय पर गन्ना भुगतान नहीं हो पाता है तो किसान यूनियन के नेतृत्व में जिला मुख्यालयों पर किसानों धरना प्रदर्शन करना पड़ता है. तब जाकर थोड़ा बहुत गन्ने का भुगतान हो पाता है.

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.