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कृषि कानूनों का विरोध: संसद का घेराव करेंगे किसान

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Published : Apr 1, 2021, 2:14 AM IST

Updated : Apr 1, 2021, 9:27 AM IST

कृषि कानूनों के खिलाफ गाजीपुर बार्डर पर धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों ने संसद घेराव का ऐलान किया है.

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संसद का घेराव करेंगे किसान

नई दिल्ली/गाजियाबाद: कृषि कानूनों के खिलाफ गाजीपुर बार्डर पर धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों ने संसद घेराव का ऐलान किया है. बुधवार को बुलाई गए प्रेस वार्ता में भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने इस बात की जानकारी दी.

संसद का घेराव करेंगे किसान

भाजपा को खुली चुनौती

धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि भाजपा के प्रवक्ता यह कहते हैं, किसान बताएं कि नए कृषि कानूनों में काला क्या है? हम बात का जबाब देने के लिए संयुक्त मोर्चा गाजीपुर बार्डर की ओर से एक प्रपत्र जारी कर रहे हैं और साथ इस प्रेसवार्ता के माध्यम से भाजपा वालों को खुले मंच बहस करने की चुनौती भी देते हैं. हम बताएंगे कि कानून में काला क्या है?

देश में जंग के हालात

धर्मेंद्र मलिक ने स्वर्गीय चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का जिक्र करते हुए कहा कि टिकैत साहब कहा करते थे कि “तंग आए, जंग आए” तो किसान अब इतना तंग हो चुका है, देश में जंग के हालात पैदा हो रहे हैं. हमने संयुक्त मोर्चा में कल प्रस्ताव दिया था कि सत्र शुरू होते ही संसद का घेराव किया जाए. संयुक्त किसान मोर्चा ने इस पर फैसला ले लिया है. सत्र शुरू होते ही किसान संसद का घेराव करेंगे.

देश में नहीं चलेगा गुजरात मॉडल

धर्मेंद्र मलिक ने कहा प्रधानमंत्री को हम बता देना चाहते हैं कि गुजरात में प्रेसवार्ता के बीच से किसान नेता को उठाकर गिरफ्तारी की जाती है, गुजरात मॉडल इस देश में नहीं चल पाएगा. यह देश किसानों का है, यह देश जवानों का है. इस देश को किसान और जवान ही चलाएगा. जो सत्ता के नशे में रहने वालों की कुर्सी खींचने में पूरी सक्षम हैं.

ये भी पढ़ें- ममता ने विपक्षी दलों के नेताओं को लिखा पत्र, एकजुट होने की अपील

UFTA हमारे डेयरी उद्योग पर बड़ा खतरा

मलिक ने किसानों के साथ ही मजदूरों, सैनिकों और अन्य नौकरीपेशा लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि किसान तो मारा ही जा रहा है, तैयारी दूसरे तबकों का भी यही हाल करने की है. अब सरकार यूएफटीए पर साइन करने जा रही है. यूएफटीए हमारे डेयरी उद्योग पर बड़ा खतरा है और पहले से ही हमारे एजेंडे में है. किसान तीन नए कृषि कानूनों की ही तरह यूएफटीए का भी विरोध करेगा. यूएफटीए के माध्यम से डेन्मार्क जैसे देश में दूध आयात किया जाएगा और किसान से कृषि के साथ दुग्ध उत्पादन का काम भी छीनने की तैयारी है.

उत्तराखंड सरकार के खिलाफ होगा उपवास

गाजीपुर आंदोलन कमेटी के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने बताया कि उत्तराखंड के बाजपुर और खटीमा जनपदों में उत्तराखंड सरकार 20 गांवों की जमीन छीन रही है. खटीमा में सवा सौ एकड़ और बाजपुर में 5800 एकड़ जमीन बचाने के लिए किसान दस माह से आंदोलन कर रहे हैं. उन्होंने कहा गुरूवार को दस माह पूरे होने पर गाजीपुर बार्डर पर किसान दोपहर 12 से 1 बजे तक एक घंटे का सांकेतिक उपवास कर उत्तराखंड सरकार को बताने का प्रयास करेंगे कि सरकार दस माह से आंदोलनरत किसानों की सुध ले.

नहीं भूले बाजपुर और खटीमा की पीड़ा

बाजवा ने बताया कि वह दस माह से उत्तराखंड में चल रहे आंदोलन के संयोजक भी हैं. इसी बीच नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन शुरू होने पर दिल्ली बार्डर पर आ गए पर. उत्तराखंड सरकार को बता देना चाहते हैं कि बाजपुर और खटीमा की पीड़ा हम भूले नहीं हैं और जरूरत पड़ी तो उत्तराखंड सरकार के खिलाफ भी आंदोलन तेज करेंगे.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: कृषि कानूनों के खिलाफ गाजीपुर बार्डर पर धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों ने संसद घेराव का ऐलान किया है. बुधवार को बुलाई गए प्रेस वार्ता में भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने इस बात की जानकारी दी.

संसद का घेराव करेंगे किसान

भाजपा को खुली चुनौती

धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि भाजपा के प्रवक्ता यह कहते हैं, किसान बताएं कि नए कृषि कानूनों में काला क्या है? हम बात का जबाब देने के लिए संयुक्त मोर्चा गाजीपुर बार्डर की ओर से एक प्रपत्र जारी कर रहे हैं और साथ इस प्रेसवार्ता के माध्यम से भाजपा वालों को खुले मंच बहस करने की चुनौती भी देते हैं. हम बताएंगे कि कानून में काला क्या है?

देश में जंग के हालात

धर्मेंद्र मलिक ने स्वर्गीय चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का जिक्र करते हुए कहा कि टिकैत साहब कहा करते थे कि “तंग आए, जंग आए” तो किसान अब इतना तंग हो चुका है, देश में जंग के हालात पैदा हो रहे हैं. हमने संयुक्त मोर्चा में कल प्रस्ताव दिया था कि सत्र शुरू होते ही संसद का घेराव किया जाए. संयुक्त किसान मोर्चा ने इस पर फैसला ले लिया है. सत्र शुरू होते ही किसान संसद का घेराव करेंगे.

देश में नहीं चलेगा गुजरात मॉडल

धर्मेंद्र मलिक ने कहा प्रधानमंत्री को हम बता देना चाहते हैं कि गुजरात में प्रेसवार्ता के बीच से किसान नेता को उठाकर गिरफ्तारी की जाती है, गुजरात मॉडल इस देश में नहीं चल पाएगा. यह देश किसानों का है, यह देश जवानों का है. इस देश को किसान और जवान ही चलाएगा. जो सत्ता के नशे में रहने वालों की कुर्सी खींचने में पूरी सक्षम हैं.

ये भी पढ़ें- ममता ने विपक्षी दलों के नेताओं को लिखा पत्र, एकजुट होने की अपील

UFTA हमारे डेयरी उद्योग पर बड़ा खतरा

मलिक ने किसानों के साथ ही मजदूरों, सैनिकों और अन्य नौकरीपेशा लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि किसान तो मारा ही जा रहा है, तैयारी दूसरे तबकों का भी यही हाल करने की है. अब सरकार यूएफटीए पर साइन करने जा रही है. यूएफटीए हमारे डेयरी उद्योग पर बड़ा खतरा है और पहले से ही हमारे एजेंडे में है. किसान तीन नए कृषि कानूनों की ही तरह यूएफटीए का भी विरोध करेगा. यूएफटीए के माध्यम से डेन्मार्क जैसे देश में दूध आयात किया जाएगा और किसान से कृषि के साथ दुग्ध उत्पादन का काम भी छीनने की तैयारी है.

उत्तराखंड सरकार के खिलाफ होगा उपवास

गाजीपुर आंदोलन कमेटी के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने बताया कि उत्तराखंड के बाजपुर और खटीमा जनपदों में उत्तराखंड सरकार 20 गांवों की जमीन छीन रही है. खटीमा में सवा सौ एकड़ और बाजपुर में 5800 एकड़ जमीन बचाने के लिए किसान दस माह से आंदोलन कर रहे हैं. उन्होंने कहा गुरूवार को दस माह पूरे होने पर गाजीपुर बार्डर पर किसान दोपहर 12 से 1 बजे तक एक घंटे का सांकेतिक उपवास कर उत्तराखंड सरकार को बताने का प्रयास करेंगे कि सरकार दस माह से आंदोलनरत किसानों की सुध ले.

नहीं भूले बाजपुर और खटीमा की पीड़ा

बाजवा ने बताया कि वह दस माह से उत्तराखंड में चल रहे आंदोलन के संयोजक भी हैं. इसी बीच नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन शुरू होने पर दिल्ली बार्डर पर आ गए पर. उत्तराखंड सरकार को बता देना चाहते हैं कि बाजपुर और खटीमा की पीड़ा हम भूले नहीं हैं और जरूरत पड़ी तो उत्तराखंड सरकार के खिलाफ भी आंदोलन तेज करेंगे.

Last Updated : Apr 1, 2021, 9:27 AM IST
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