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जल-जंगल और जमीन बचाने के लिए है किसान आंदोलन : राकेश टिकैत - एमएसपी पर गारंटी

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी कानून की मांग को लेकर दिल्ली गाजीपुर बॉर्डर (Farmers protest at Ghazipur border ) समेत राजधानी दिल्ली विभिन्न सीमाओं पर चल रहा आंदोलन 12 वें महीने में दाखिल हो चुका है. किसान नेता राकेश टिकैत (rakesh tikait) ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा.

राकेश टिकैत
राकेश टिकैत
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Published : Nov 11, 2021, 7:34 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद : दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन (Farmers protest at Ghazipur border) का एक साल 26 नवंबर को पूरा हो जाएगा. कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन (farmers protest) की अगुवाई कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत (rakesh tikait) ने बयान जारी कर कहा है, "जब तक तीनों काले कानूनों की वापसी और एमएसपी पर गारंटी कानून नहीं बनता तब तक आन्दोलन देश भर में जारी रहेगा. बिल वापसी ही घर वापसी है. यह आंदोलन जल-जंगल और जमीन को बचाने का आंदोलन (farmers protest) है.


किसानों और सरकार के बीच गतिरोध बरकरार है. टिकैत (rakesh tikait) लगातार केंद्र सरकार को निशाने पर ले रहे हैं. हाल ही में टिकैत (rakesh tikait) ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि साढ़े सात सौ के आसपास किसान शहीद हो गए और भारत सरकार की तरफ से एक भी शोक संदेश नहीं आया. देश के किसानों को ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री जो हैं वो देश के हैं. किसानों के प्रधानमंत्री नहीं हैं.

नई दिल्ली/गाजियाबाद : दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन (Farmers protest at Ghazipur border) का एक साल 26 नवंबर को पूरा हो जाएगा. कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन (farmers protest) की अगुवाई कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत (rakesh tikait) ने बयान जारी कर कहा है, "जब तक तीनों काले कानूनों की वापसी और एमएसपी पर गारंटी कानून नहीं बनता तब तक आन्दोलन देश भर में जारी रहेगा. बिल वापसी ही घर वापसी है. यह आंदोलन जल-जंगल और जमीन को बचाने का आंदोलन (farmers protest) है.


किसानों और सरकार के बीच गतिरोध बरकरार है. टिकैत (rakesh tikait) लगातार केंद्र सरकार को निशाने पर ले रहे हैं. हाल ही में टिकैत (rakesh tikait) ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि साढ़े सात सौ के आसपास किसान शहीद हो गए और भारत सरकार की तरफ से एक भी शोक संदेश नहीं आया. देश के किसानों को ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री जो हैं वो देश के हैं. किसानों के प्रधानमंत्री नहीं हैं.

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