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गंगा-जमुनी तहजीब: मुस्लिम कारीगर तैयार कर रहे रावण का 80 फीट का पुतला, तीन पीढ़ियों से कर रहे ये काम - 80 feet effigy of Ravana

बुलंदशहर के गुलावठी के रहने वाले आदिल बताते हैं कि वह तकरीबन 12 वर्षों से रावण आदि के पुतले बनाने का काम कर रहे हैं, जबकि उनके परिवार की तीन पीढ़ियां इस व्यवसाय से जुड़ी हैं. उनके दादा और पिता भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के लिए रावण आदि के पुतले बनाने का काम करते आ रहे हैं. आदिल अपने साथियों के साथ गाजियाबाद की कविनगर रामलीला (Ghaziabad Kavinagar Ramleela) के लिए 80 फीट लंबा रावण का विशालकाय पुतला बनाने में लगे हुए हैं.

कविनगर रामलीला
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Published : Sep 28, 2022, 5:47 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद : गाजियाबाद की कविनगर रामलीला (Ghaziabad Kavinagar Ramleela) हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश कर रही है. बुलंदशहर के गुलावठी से आए मुस्लिम कारीगर इस रामलीला मैदान में रावण और उसके कुनबे के पुतले तैयार करने में जुटे हुए हैं. दशहरा के लिए यहां इस बार रावण का 80 फीट का पुतला तैयार किया गया है, जो बटन दबने के साथ ही धू-धूकर जल उठेगा.

ये भी पढ़ें : गाजियाबाद के रामलीला मैदान में जलभराव, नहीं पहुंच पा रहे हैं तो घर बैठे यहां देखें रामलीला


बुलंदशहर के गुलावठी के रहने वाले आदिल बताते हैं कि वह तकरीबन 12 वर्षों से रावण आदि के पुतले बनाने का काम कर रहे हैं, जबकि उनके परिवार की तीन पीढ़ियां इस व्यवसाय से जुड़ी हुई हैं. उनके दादा और पिता भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के लिए रावण आदि के पुतले बनाने का काम करते आ रहे हैं. आदिल अपने साथियों के साथ 80 फीट लंबा रावण का विशालकाय पुतला बनाने में लगे हुए हैं. रावण और उसके कुनबे के पुतले अलग-अलग चरणों में तैयार किए जा रहे हैं. 12 कारीगर करीब एक महीने से लगातार पुतला तैयार करने में लगे हैं. वे रावण, कुंभकरण और मेघनाथ को पुतलों को बनाने में बांस, रद्दी के साथ सुतली समेत अन्य सामान का इस्तेमाल कर रहे हैं.

कविनगर रामलीला
कविनगर रामलीला कमेटी के महामंत्री भूपेंद्र चोपड़ा बताते हैं कि दो साल के बाद रामलीला का वृहद स्तर पर आयोजन हो रहा है. ऐसे लोगों में भी इसको लेकर काफी उत्साह है. कोरोना काल के दौरान रावण आदि के छोटे पुतले बनाकर सांकेतिक रूप से दहन किया गया था. रावण का 80 फीट, मेघनाथ का 70 और कुंभकरण का 60 फीट का पुतला बनाया जा रहा है. पर्यावरण को मद्देनजर रखते हुए रावण दहन के दौरान केवल ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल किया जाएगा. इस बार दर्शकों को रामलीला मैदान में इलेक्ट्रिक आतिशबाजी भी देखने को मिलेगी.

नई दिल्ली/गाजियाबाद : गाजियाबाद की कविनगर रामलीला (Ghaziabad Kavinagar Ramleela) हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश कर रही है. बुलंदशहर के गुलावठी से आए मुस्लिम कारीगर इस रामलीला मैदान में रावण और उसके कुनबे के पुतले तैयार करने में जुटे हुए हैं. दशहरा के लिए यहां इस बार रावण का 80 फीट का पुतला तैयार किया गया है, जो बटन दबने के साथ ही धू-धूकर जल उठेगा.

ये भी पढ़ें : गाजियाबाद के रामलीला मैदान में जलभराव, नहीं पहुंच पा रहे हैं तो घर बैठे यहां देखें रामलीला


बुलंदशहर के गुलावठी के रहने वाले आदिल बताते हैं कि वह तकरीबन 12 वर्षों से रावण आदि के पुतले बनाने का काम कर रहे हैं, जबकि उनके परिवार की तीन पीढ़ियां इस व्यवसाय से जुड़ी हुई हैं. उनके दादा और पिता भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के लिए रावण आदि के पुतले बनाने का काम करते आ रहे हैं. आदिल अपने साथियों के साथ 80 फीट लंबा रावण का विशालकाय पुतला बनाने में लगे हुए हैं. रावण और उसके कुनबे के पुतले अलग-अलग चरणों में तैयार किए जा रहे हैं. 12 कारीगर करीब एक महीने से लगातार पुतला तैयार करने में लगे हैं. वे रावण, कुंभकरण और मेघनाथ को पुतलों को बनाने में बांस, रद्दी के साथ सुतली समेत अन्य सामान का इस्तेमाल कर रहे हैं.

कविनगर रामलीला
कविनगर रामलीला कमेटी के महामंत्री भूपेंद्र चोपड़ा बताते हैं कि दो साल के बाद रामलीला का वृहद स्तर पर आयोजन हो रहा है. ऐसे लोगों में भी इसको लेकर काफी उत्साह है. कोरोना काल के दौरान रावण आदि के छोटे पुतले बनाकर सांकेतिक रूप से दहन किया गया था. रावण का 80 फीट, मेघनाथ का 70 और कुंभकरण का 60 फीट का पुतला बनाया जा रहा है. पर्यावरण को मद्देनजर रखते हुए रावण दहन के दौरान केवल ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल किया जाएगा. इस बार दर्शकों को रामलीला मैदान में इलेक्ट्रिक आतिशबाजी भी देखने को मिलेगी.
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