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शिवरात्रि पर प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर में भक्त कर रहे जलाभिषेक

शिवरात्रि के मौके पर गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर में भक्त जलाभिषेक कर रहे हैं. शिवरात्रि के मद्देनजर पुलिस ने मंदिर में मल्टी लेयर सिक्योरिटी लगाई है.

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जलाभिषेक
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Published : Aug 6, 2021, 7:58 AM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: देश के प्रसिद्ध मंदिर और मठों में से एक प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर मठ में शिवरात्रि के मौके पर भारी संख्या में भक्त पहुंचे कर जलाभिषेक कर रहे हैं. पुलिस के सामने इस बार दोहरी चुनौती है. एक तरफ सुरक्षा-व्यवस्था देखनी है, तो वहीं दूसरी तरफ कोरोना प्रोटोकॉल का पालन भी करवाना है. शिवरात्रि के चलते प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर के आसपास के हिस्से में रूट भी डायवर्ट किया गया है. मंदिर प्रशासन के लोग भी व्यवस्था को करवा रहे हैं.

बता दें कि, शिवरात्रि के मौके पर हर साल यहां दूर-दूर से भक्त जलाभिषेक के लिए आते हैं. सावन के मौके पर यहां भक्तों की काफी ज्यादा संख्या देखने को मिलती है. कांवड़ लाने वाले भक्त भी यहां आते हैं. हालांकि इस साल कांवड़ यात्रा पर रोक है, लेकिन उसके बाद भी भक्तों की अच्छी खासी तादात यहां पर देखी जा रही है.

मंदिर की सुरक्षा चाक-चौबंद.

ये भी पढ़ें: सावन शिवरात्रि होती है विशेष, जानें शिव पूजा मुहूर्त और महत्व

वहीं, मंदिर में भारी भीड़ के चलते सुरक्षा को लेकर सुरक्षा एजेंसियों का अलर्ट हैं. मंदिर की सुरक्षा में इजाफा कर दिया गया है. मेरठ जोन के आईजी ने भी मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था और तैयारियों का जायजा लिया था. मंदिर में सीसीटीवी कैमरे बढ़ाए गये हैं इसके साथ ही मंदिर पर ड्रोन से भी नजर रखी जा रही है. एसपी सिटी निपुण अग्रवाल ने बताया कि 3 गजेटेड ऑफिसर की निगरानी में मंदिर की सुरक्षा है. इसके अलावा मंदिर की प्राइवेट सिक्योरिटी भी अपना काम कर रही है. मंदिर के 3 किलोमीटर के दायरे में ट्रैफिक को रोका गया है. पुलिस ने सभी से अपील की है कि कोरोना नियमों का पालन करें.

दूधेश्वर नाथ मंदिर में भक्त कर रहे जलाभिषेक.

ये भी पढ़ें: जानें, कौन हैं जीत के हीरो और कैसी रही है हॉकी की विजय गाथा

वहीं मंदिर के महंत श्री नारायण गिरी ने शिवरात्रि के मौके पर बताया कि आज के दिन कितना महत्व है. भक्त काफी दूर-दूर से आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि सावन में भगवान शिव स्वयं सभी मंदिरों में वास करते हैं. भगवान सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

महंत श्री नारायण गिरी ने बताया कि मंदिर में रात 12:00 बजे से ही जलाभिषेक प्रारंभ हो गया था. सुबह 3 बजकर 50 मिनट पर आरती हुई थी. भगवान पर 56 भोग से भोग लगाया गया. उन्होंने बताया कि सावन में ही भगवान शिव ने विष अपने कंठ में धारण कर लिया था जिससे पूरी धरती बच पाई थी.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: देश के प्रसिद्ध मंदिर और मठों में से एक प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर मठ में शिवरात्रि के मौके पर भारी संख्या में भक्त पहुंचे कर जलाभिषेक कर रहे हैं. पुलिस के सामने इस बार दोहरी चुनौती है. एक तरफ सुरक्षा-व्यवस्था देखनी है, तो वहीं दूसरी तरफ कोरोना प्रोटोकॉल का पालन भी करवाना है. शिवरात्रि के चलते प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर के आसपास के हिस्से में रूट भी डायवर्ट किया गया है. मंदिर प्रशासन के लोग भी व्यवस्था को करवा रहे हैं.

बता दें कि, शिवरात्रि के मौके पर हर साल यहां दूर-दूर से भक्त जलाभिषेक के लिए आते हैं. सावन के मौके पर यहां भक्तों की काफी ज्यादा संख्या देखने को मिलती है. कांवड़ लाने वाले भक्त भी यहां आते हैं. हालांकि इस साल कांवड़ यात्रा पर रोक है, लेकिन उसके बाद भी भक्तों की अच्छी खासी तादात यहां पर देखी जा रही है.

मंदिर की सुरक्षा चाक-चौबंद.

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वहीं, मंदिर में भारी भीड़ के चलते सुरक्षा को लेकर सुरक्षा एजेंसियों का अलर्ट हैं. मंदिर की सुरक्षा में इजाफा कर दिया गया है. मेरठ जोन के आईजी ने भी मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था और तैयारियों का जायजा लिया था. मंदिर में सीसीटीवी कैमरे बढ़ाए गये हैं इसके साथ ही मंदिर पर ड्रोन से भी नजर रखी जा रही है. एसपी सिटी निपुण अग्रवाल ने बताया कि 3 गजेटेड ऑफिसर की निगरानी में मंदिर की सुरक्षा है. इसके अलावा मंदिर की प्राइवेट सिक्योरिटी भी अपना काम कर रही है. मंदिर के 3 किलोमीटर के दायरे में ट्रैफिक को रोका गया है. पुलिस ने सभी से अपील की है कि कोरोना नियमों का पालन करें.

दूधेश्वर नाथ मंदिर में भक्त कर रहे जलाभिषेक.

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वहीं मंदिर के महंत श्री नारायण गिरी ने शिवरात्रि के मौके पर बताया कि आज के दिन कितना महत्व है. भक्त काफी दूर-दूर से आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि सावन में भगवान शिव स्वयं सभी मंदिरों में वास करते हैं. भगवान सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

महंत श्री नारायण गिरी ने बताया कि मंदिर में रात 12:00 बजे से ही जलाभिषेक प्रारंभ हो गया था. सुबह 3 बजकर 50 मिनट पर आरती हुई थी. भगवान पर 56 भोग से भोग लगाया गया. उन्होंने बताया कि सावन में ही भगवान शिव ने विष अपने कंठ में धारण कर लिया था जिससे पूरी धरती बच पाई थी.

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