नई दिल्ली/ग़ाज़ियाबाद : सब्जबाग और सुनहरे सपनों ने देश का सबसे ज्यादा बेड़ा गर्क किया और सबसे ज्यादा अवाम के अरमानों पर कुठाराघात भी किया है. ये हकीकत अब पढ़े लिखे लोगों से लेकर अनपढ़, गंवार-बेरोजगार से लेकर शहरी-बुद्धिजीवी, कारोबारी और मजदूर-किसान. यानी देश का हर तबका, हर समाज अच्छी तरह समझ चुका है. जब से चुनावी मंचों, सरकारी आयोजनों और निजी ट्विटर तक से नेहरू से लेकर अपने पहले तक के जिम्मेदारों और नेताओं की नालायकी बखानने का चलन शुरू हुआ है. तब से लोगों को कथनी-करनी का अंतर ही नहीं बल्कि हर बात में जुमलेबाजी तलाशने का हुनर और सलीका भी आ गया है. ऐसे में नेताओं को नित नए नारे, नए दावे और चुनावी वादों के लिए जुबान को बड़ी चपलता से चलाना पड़ रहा है. ग़ाज़ियाबाद जो देश की जानी-मानी औद्योगिक नगरी है. यहां की सियासत भी गोरखपुर और ग़ाज़ीपुर से अलग नहीं है. लिहाज़ा दावों का वो दौर वादों की चाशनी में भिनता और लिपटता अपनी परिपाटी यूपी विधानसभा चुनाव में फिर चल पड़ा है.
देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में जीत की जुगत पहले से दो कदम आगे बढ़ गई है. कोई दिल्ली को पेरिस बनाने के दावे उत्तराखंड में जाकर करता है. तो कोई वाराणसी में जाकर काशी में क्योटो बनाने के दावे करता है. ऐसे में लोनी भला पीछे कैसे रहती. लिहाज़ा लोनी के मौजूदा भाजपा विधायक ने भी दावों की नई किस्त पेश कर दी. नंदकिशोर गुर्जर ने लोनी को लंदन बनाने का दावा कर दिया है. वो लंदन जिसके कुछ अफसरों का एक जत्था ईस्ट इंडिया कंपनी के जरिए हिंदुस्तान की नसें निचोड़कर सदियों तक राज किया. और जाते-जाते मजहब और ऊंच-नीच का ऐसा जहर बोया कि इसकी लहलहाती फसलें काली सियासत के कुछ कारिंदे सदियों तक नए-नए अंदाज में काटते-बोते रहेंगे. बीजेपी के गुर्जर लोनी को लंदन ही नहीं बनाएंगे, बल्कि रामराज्य की परिपाटी को भी और आगे ले जाने के दावे कर रहे हैं. दावा है कि देश में रामराज्य स्थापित हो चुका है. जिसकी परिपाटी लोनी में अभी और आगे ले जाना है. और कितना आगे, शायद इसका खुलासा किसी मंच से दावे की किसी अगली किस्त में किया जाए. बहरहाल उन्होंने ग़ाज़ियाबाद की लोनी विधानसभा सीट से मंगलवार को कलेक्ट्रेट में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद नंदकिशोर ने मीडिया से बड़े जज्बे के साथ बात की. उन्होंने दावा किया कि सूबे में विरोधी समाजवादी पार्टी की 8 से ज्यादा सीटें नहीं निकलेंगी. इतना ही नहीं उन्होंने दावा ये भी किया कि समाजवादी पार्टी का हर कार्यकर्ता बीजेपी को जिताने का काम करेगा और उन्हें वोट देगा.
ग़ाज़ियाबाद कलेक्ट्रेट से बाहर निकलते हुए बीजेपी उम्मीदवार नंदकिशोर गुर्जर ने दावा किया कि वह पिछले चुनाव के मुकाबले इस चुनाव में और अधिक वोटों से जीत दर्ज करेंगे. नंदकिशोर गुर्जर ने 2017 के विधानसभा चुनाव में लोनी विधानसभा से जीत दर्ज की थी. एक बार फिर भाजपा ने नंदकिशोर गुर्जर पर भरोसा जताते हुए लोनी से उन्हें उम्मीदवार बनाया है. गुर्जर ने कहा कि बीते 5 साल के दौरान लोनी विधानसभा क्षेत्र में हुए विकास कार्यों से विधानसभा की हालत सुधरी है. उन्होंने कहा कि 5 साल के कार्यकाल के दौरान दो इंटर कॉलेज और दो डिग्री कॉलेज बनवाए गए हैं. विधायक निधि से लोनी के प्राथमिक विद्यालयों की तस्वीर बदली है. बीते पांच सालों में लोनी विधानसभा में 5 बिजली घर भी बनवाए गए हैं.
बीजेपी प्रत्याशी ने कहा कि लोनी के हालात पहले बद से बदतर थे. जल निकासी लोनी के लिए एक विकराल समस्या थी. विधायक बनने के बाद उन्होंने लोनी को जल निकासी की समस्या से निजात दिलाई. उन्होंने कहा कि लोनी के विकास के लिए रोड मैप तैयार है. लंदन की तर्ज पर लोनी को विकसित किया जाएगा. जब पत्रकारों ने पूछा कि आपके पड़ोस में कॉलोनी वालों ने मतदान बहिष्कार का बैनर लगाया है. तो उन्होंने अपने आदर्शजनों की तरह रटे-रटाए अंदाज में कहा कि वो विरोधी पार्टी के लोग हैं. इसके बाद नंदकिशोर ने कहा कि 2017 से पहले लोनी के हालात बेहद खराब थे. गुर्जर ने दावा ये भी किया कि योगी सरकार बनने के बाद लोनी विधानसभा में रामराज्य स्थापित हुआ है. लोनी में रात 2 बजे तक महिलाएं सुरक्षित सड़कों पर घूमती हैं.
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इस बार कोरोना के खतरे को देखते हुए नामांकन के लिए प्रत्याशी के साथ केवल दो लोगों को ही कलेक्ट्रेट परिसर में प्रवेश करने की अनुमति है. सुरक्षा व्यवस्था को मद्देनजर रखते हर पुलिस के साथ-साथ कलेक्ट्रेट परिसर में मजिस्ट्रेट भी तैनात किए गए हैं. मजिस्ट्रेट को कोरोना वायरस प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. कलेक्ट्रेट परिसर की वीडियोग्राफी भी कराई जा रही है. नामांकन कक्ष के अंदर और बाहर कुल मिलाकर 14 CCTV कैमरे से निगरानी की जा रही है. ऐसे में इस बार नामांकन का नजारा एकदम अलग है. पहले की तरह भारी भीड़, जुलूस और नारेबाजी का कहीं नामोनिशान नहीं है.
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ऐसे में समर्थकों के दावों का तूफान दूर-दूर तक महसूस नहीं हुआ. या यूं कहें कि चुनावी दावों और वादों की बयार में कुछ रूखापन महसूस हुआ. जिससे पांच साल सब्र करने वाली जनता का इंतजार धरा रह गया. उनसे तो इस कोरोना की बयार के बीच कोई ये भी नहीं पूछने वाला है कि कैसी सरकार और किसकी सरकार बनाएंगे. क्यों बनाएंगे या क्यों नहीं बनाएंगे. लिहाज़ा आमजन इस बार के चुनाव में कुछ खालीपन महसूस कर रही है. लिहाजा अब उसे वोटिंग करके मशीन का बटन दबाकर ही गुस्सा निकालने का इंतज़ार करना होगा. ऐसे में जनता को गुर्जर के लंदन से ललचाने की बजाय पहले क्योटो और पेरिस की हकीकत भी देख लेनी चाहिए. हालांकि देश को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले शहरों में शुमार होने वाले जिले ग़ाज़ियाबाद की पट्टी कब नए नाम से बदल दी जाए. ये तो सिर्फ गुर्जर के आका ही बता सकते हैं. जिनकी सियासत का आइटम नंबर सिर्फ नाम बदलने से ही बढ़ता है. लिहाजा ऐसे आसार और ऐसी आशंकाओं को भी गुर्जर को नहीं भूलना चाहिए. क्योंकि ग़ाज़ियाबाद का कोई नाय नाम गोचर होगा तो लोनी की भी पट्टी बदल सकती है. ये नाम बदल भी जाए तो लोनी की कचरपट्टी की पहचान से लिपटी गंदगी और दुर्गंध भला कैसे साथ छोड़ देगी. ऐसे में उनका लंदन कहीं चुनावी मंचों पर ही दम न तोड़ दे. वैसे देश के विकास का पैमाना जब तक हेमा मालिनी और कंगना के गालों पर लोकतंत्र के अमूल्य मताधिकार को नौछावर करके चुनावी मंचों से तय किया जाता रहेगा. तब तक दुनिया में न जाने कितने नए क्योटो, लंदन और सिंगापुर तैयार होते रहेंगे. और हमारे-आपके हिस्से चुनावी मंचों से और नेताओं के मुखार बिंदुओं से इसी तरह के लोक-लुभावन जुमले ही निकलते रहेंगे. कुछ चुनाव जीतेंगे. कुछ चुनाव हारेंगे. मातम और जश्न होगा. वक्त-बेवक्त नीति और निष्ठाएं बदलेंगी. पाला-खेमा और पार्टियां बदलेंगी. लेकिन आपकी हालत क्या