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धूप में मासूम को पल्लू से ढक घर ले जा रही मां, नहीं आता ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना

फरीदाबाद में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की जानकारी ना होने के कारण अभी भी कई मजदूर परिवारों के साथ सड़क के रास्ते पैदल चलकर अपने घर जा रहे हैं.

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प्रवासी मजदूर
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Published : May 20, 2020, 7:09 PM IST

नई दिल्ली/फरीदाबाद: सरकार ने बेशक प्रवासियों को भेजने के लिए ट्रेन और बस की व्यवस्था कर दी है, लेकिन यह सिर्फ उन्हीं के लिए है जो ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं. सैकड़ों श्रमिक अभी भी पैदल ही अपने घर जा रहे हैं. क्योंकि उनको ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना नहीं आता और ना ही कोई उनकी मदद कर रहा है.

धूप में मासूम को पल्लू से ढक घर ले जा रही मां

कड़ी धूप में मासूम को पल्लू में ढककर ले जा रही मां

कभी अपने आपको तो कभी अपने मासूम को अपने पल्लू से ढकते हुए महिला मजदूर पैदल ही मध्य प्रदेश जाने को मजबूर है. इस मां की व्यथा देखिए कि बच्चा गहरी नींद में है लेकिन मजबूरी ऐसी कि कहीं रुक कर अपने बच्चे को सुला भी नहीं पा रही है क्योंकि रास्ता लंबा है और मंजिल दूर है. ऐसे ही कई मजबूर लोग आपको हाईवे पर मिल जाएंगे.

ये वह लोग हैं जो पढ़े लिखे नहीं हैं और इनको ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने में कोई मदद नहीं कर रहा है. ना ही यह ट्रेन और ना ही बस का सफर कर पा रहे हैं, इसलिए इन्होंने तय किया है कि यह अब अपने अपने राज्य पैदल ही जाएंगे क्योंकि यह जहां रह रहे हैं वहां इनको किसी तरह की कोई सुविधा नहीं मिल रही है. बिना किसी सहायता के यह लोग कड़ी धूप में मजबूर होकर घर से निकल पड़े हैं.

नहीं मिल रही कोई मदद, पैदल ही घर के लिए कर दिया कूच

फरीदाबाद के नेशनल हाईवे पर पैदल चल रहे लोग कोई बिहार तो कोई मध्य प्रदेश तो कोई किसी और राज्य में अपने घर जाना चाह रहा है. अपना सामान अपने साथ लेकर यह लोग चल रहे हैं, इसके अलावा इनको रास्ते भर में अपने परिवार के लिए खाने का भी इंतजाम करना है. ऐसे में अगर कोई रास्ते में खाना खिला देता है तो ये वहां रुक कर दो रोटी खा लेते हैं, लेकिन सरकार की सुविधाओं का लाभ इनको नहीं पहुंच रहा है और ऐसे में इन लोगों के अंदर सरकार के खिलाफ नाराजगी भी है.

पैदल ही अपने गृह राज्यों के लिए कूच करने की तस्वीरें पूरे देश से सामने आ रही हैं. इनमें से कई तस्वीरें तो दिल को झकझोर देने वाली हैं. वहीं सरकार ने मजदूरों को घर भेजने की पहल तो की है लेकिन ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बारे में जानकारी और मदद न मिलने के कारण कई परिवार आज भी सड़क पर पैदल चल कर अपने घर जा रहे हैं. ऐसे में इन लोगों को इंतजार है कि उनको कोई वाहन मिले और वह उनको घर तक पहुंचा दें.

नई दिल्ली/फरीदाबाद: सरकार ने बेशक प्रवासियों को भेजने के लिए ट्रेन और बस की व्यवस्था कर दी है, लेकिन यह सिर्फ उन्हीं के लिए है जो ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं. सैकड़ों श्रमिक अभी भी पैदल ही अपने घर जा रहे हैं. क्योंकि उनको ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना नहीं आता और ना ही कोई उनकी मदद कर रहा है.

धूप में मासूम को पल्लू से ढक घर ले जा रही मां

कड़ी धूप में मासूम को पल्लू में ढककर ले जा रही मां

कभी अपने आपको तो कभी अपने मासूम को अपने पल्लू से ढकते हुए महिला मजदूर पैदल ही मध्य प्रदेश जाने को मजबूर है. इस मां की व्यथा देखिए कि बच्चा गहरी नींद में है लेकिन मजबूरी ऐसी कि कहीं रुक कर अपने बच्चे को सुला भी नहीं पा रही है क्योंकि रास्ता लंबा है और मंजिल दूर है. ऐसे ही कई मजबूर लोग आपको हाईवे पर मिल जाएंगे.

ये वह लोग हैं जो पढ़े लिखे नहीं हैं और इनको ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने में कोई मदद नहीं कर रहा है. ना ही यह ट्रेन और ना ही बस का सफर कर पा रहे हैं, इसलिए इन्होंने तय किया है कि यह अब अपने अपने राज्य पैदल ही जाएंगे क्योंकि यह जहां रह रहे हैं वहां इनको किसी तरह की कोई सुविधा नहीं मिल रही है. बिना किसी सहायता के यह लोग कड़ी धूप में मजबूर होकर घर से निकल पड़े हैं.

नहीं मिल रही कोई मदद, पैदल ही घर के लिए कर दिया कूच

फरीदाबाद के नेशनल हाईवे पर पैदल चल रहे लोग कोई बिहार तो कोई मध्य प्रदेश तो कोई किसी और राज्य में अपने घर जाना चाह रहा है. अपना सामान अपने साथ लेकर यह लोग चल रहे हैं, इसके अलावा इनको रास्ते भर में अपने परिवार के लिए खाने का भी इंतजाम करना है. ऐसे में अगर कोई रास्ते में खाना खिला देता है तो ये वहां रुक कर दो रोटी खा लेते हैं, लेकिन सरकार की सुविधाओं का लाभ इनको नहीं पहुंच रहा है और ऐसे में इन लोगों के अंदर सरकार के खिलाफ नाराजगी भी है.

पैदल ही अपने गृह राज्यों के लिए कूच करने की तस्वीरें पूरे देश से सामने आ रही हैं. इनमें से कई तस्वीरें तो दिल को झकझोर देने वाली हैं. वहीं सरकार ने मजदूरों को घर भेजने की पहल तो की है लेकिन ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बारे में जानकारी और मदद न मिलने के कारण कई परिवार आज भी सड़क पर पैदल चल कर अपने घर जा रहे हैं. ऐसे में इन लोगों को इंतजार है कि उनको कोई वाहन मिले और वह उनको घर तक पहुंचा दें.

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