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फरीदाबाद: संयुक्त ट्रेड यूनियन काउंसिल ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

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Published : May 23, 2020, 8:46 PM IST

लॉकडाउन के बीच फरीदाबाद संयुक्त ट्रेड यूनियन काउंसिल ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. यूनियन के नेताओं ने सरकार और प्रशासन के आगे मजदूर वर्ग को लेकर कुछ मांगे रखी हैं. साथ ही मांग पूरी ना करने पर सरकार को आंदोलन की चेतावनी भी दी है.

faridabad joint trade union council protest
संयुक्त ट्रेड यूनियन काउंसिल ने किया विरोध प्रदर्शन

नई दिल्ली/फरीदाबाद: सेक्टर-12 लघु सचिवालय के बाहर संयुक्त ट्रेड यूनियन काउंसिल फरीदाबाद के सदस्यों ने अपनी मांगों को लेकर प्रशासन और सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. साथ ही जिला आयुक्त हो एक ज्ञापन पत्र भी सौंपा. सचिवालय के बाहर अपने हाथों में तख्तियां लेकर प्रदर्शन कर रहे संयुक्त ट्रेड यूनियन काउंसिल फरीदाबाद के नेताओं का कहना है कि कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन से देशभर के उद्योग धंधे बंद है. ऐसे में मजदूर वर्ग की हालत खराब है.

शहरों में रहने वाले प्रवासी मजदूरों के पास अब कमाई का कोई जरिया नहीं है. ऐसे में या तो वे अपने घरों की तरफ पलायन कर रहे हैं या फिर भूखे प्यासे प्रशासन की ओर से दी जाने वाली मदद का इंतजार कर रहे हैं. देश के कोने-कोने से लाखों मजदूर पैदल ही अपने घर की तरफ निकल रहे हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन की तरफ से उनकी कोई मदद नहीं की जा रही है. उन्होंने कहा कि मजदूरों के लिए ना तो पर्याप्त मात्रा में बसें चलाई जा रही हैं, ना ही रेल चलाई जा रही हैं. जबकि विदेशों में फंसे भारतीयों को हवाई जहाज के माध्यम से देश में लाया जा रहा है.

यूनियन ने की सरकार से मांग

  • काम के 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे करने के निर्णय को वापस ले.
  • साथ ही प्रवासी और स्थानीय मजदूरों को पर्याप्त राशन दिया जाए.
  • संगठित और असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूरों और गरीबों को 7500 रुपये की राशि दी जाए.
  • कर्मचारियों एवं पेंशन धारकों का महंगाई भत्ता बहाल किया जाए.
  • एलटीसी और नई भर्तियों पर लगी रोक को हटाया जाए.
  • विभागों के निजीकरण को बंद किया जाए.
  • जितने भी प्रवासी मजदूर देश के अलग-अलग कोनों में हैं, सरकार उनको उनके घर भेजने का उचित प्रबंध करे.
  • मनरेगा में 100 दिन के काम की सीमा को समाप्त किया जाए.
  • धारा 144 हटाई जाए.

सरकार को आंदोलन की चेतावनी

साथ ही कर्मचारी नेता सुभाष लांबा ने कहा कि मजदूरों के साथ दोहरा व्यवहार किया जा रहा है. राज्य सरकारों की तरफ से मजदूरों के लिए खाने पीने की कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है. जो मजदूर किराए के मकान में रहते थे, मकान मालिकों ने उनसे मांगना शुरू कर दिया है. सरकार ने कभी ये नहीं सोचा कि संपूर्ण तालाबंदी का मजदूरों पर क्या प्रभाव पड़ेगा? अगर सरकार ने उनकी इन मांगों को पूरा नहीं किया, तो आने वाले समय में वो और बड़ा आंदोलन करेंगे.

नई दिल्ली/फरीदाबाद: सेक्टर-12 लघु सचिवालय के बाहर संयुक्त ट्रेड यूनियन काउंसिल फरीदाबाद के सदस्यों ने अपनी मांगों को लेकर प्रशासन और सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. साथ ही जिला आयुक्त हो एक ज्ञापन पत्र भी सौंपा. सचिवालय के बाहर अपने हाथों में तख्तियां लेकर प्रदर्शन कर रहे संयुक्त ट्रेड यूनियन काउंसिल फरीदाबाद के नेताओं का कहना है कि कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन से देशभर के उद्योग धंधे बंद है. ऐसे में मजदूर वर्ग की हालत खराब है.

शहरों में रहने वाले प्रवासी मजदूरों के पास अब कमाई का कोई जरिया नहीं है. ऐसे में या तो वे अपने घरों की तरफ पलायन कर रहे हैं या फिर भूखे प्यासे प्रशासन की ओर से दी जाने वाली मदद का इंतजार कर रहे हैं. देश के कोने-कोने से लाखों मजदूर पैदल ही अपने घर की तरफ निकल रहे हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन की तरफ से उनकी कोई मदद नहीं की जा रही है. उन्होंने कहा कि मजदूरों के लिए ना तो पर्याप्त मात्रा में बसें चलाई जा रही हैं, ना ही रेल चलाई जा रही हैं. जबकि विदेशों में फंसे भारतीयों को हवाई जहाज के माध्यम से देश में लाया जा रहा है.

यूनियन ने की सरकार से मांग

  • काम के 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे करने के निर्णय को वापस ले.
  • साथ ही प्रवासी और स्थानीय मजदूरों को पर्याप्त राशन दिया जाए.
  • संगठित और असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूरों और गरीबों को 7500 रुपये की राशि दी जाए.
  • कर्मचारियों एवं पेंशन धारकों का महंगाई भत्ता बहाल किया जाए.
  • एलटीसी और नई भर्तियों पर लगी रोक को हटाया जाए.
  • विभागों के निजीकरण को बंद किया जाए.
  • जितने भी प्रवासी मजदूर देश के अलग-अलग कोनों में हैं, सरकार उनको उनके घर भेजने का उचित प्रबंध करे.
  • मनरेगा में 100 दिन के काम की सीमा को समाप्त किया जाए.
  • धारा 144 हटाई जाए.

सरकार को आंदोलन की चेतावनी

साथ ही कर्मचारी नेता सुभाष लांबा ने कहा कि मजदूरों के साथ दोहरा व्यवहार किया जा रहा है. राज्य सरकारों की तरफ से मजदूरों के लिए खाने पीने की कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है. जो मजदूर किराए के मकान में रहते थे, मकान मालिकों ने उनसे मांगना शुरू कर दिया है. सरकार ने कभी ये नहीं सोचा कि संपूर्ण तालाबंदी का मजदूरों पर क्या प्रभाव पड़ेगा? अगर सरकार ने उनकी इन मांगों को पूरा नहीं किया, तो आने वाले समय में वो और बड़ा आंदोलन करेंगे.

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