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फरीदाबाद में आशा वर्कर्स का विरोध प्रदर्शन 15वें दिन भी जारी

फरीदाबाद में आशा वर्करों का अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है. आशा का कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती तक तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा.

asha workers protest in faridabad
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Published : Aug 21, 2020, 10:28 PM IST

नई दिल्ली/फरीदाबाद: सात अगस्त से हड़ताल पर बैठी आशा वर्करों ने शुक्रवार को थाली चम्मच बजाकर प्रदर्शन किया. इस दौरान सर्व कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने रविवार तक आशा वर्कर्स की बातें नहीं मानी गई तो पूरे प्रदेश के कर्मचारी सोमवार से सड़कों पर उतर आएंगे.

15वें दिन भी प्रदर्शन करते हुए आशा वर्कर्स

आशा वर्कर्स का कहना है कि उन्हें हेल्थ वर्कर का दर्जा देकर परमानेंट कर्मचारी नियुक्त किया जाए. वहीं जब तक उन्हें स्थाई कर्मचारी नहीं बनाया जाता तब तक न्यूनतम वेतन 24 रुपये किया जाए. साथ ही कोविड-19 की ड्यूटी के दौरान संक्रमित होने पर अस्पताल में फ्री इलाज मुहैया कराया जाए.

आशा वर्कर का कहना है कि एक तरफ सरकार डॉक्टर्स को डबल सैलरी दे रही है. वहीं उन्हें केवल चार हजार रुपये में ड्यूटी के बोझ के तले दबा दिया गया है. उनका कहना है कि सरकार को उनकी मांगों पर विचार करना चाहिए. वहीं आज सर्व कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष लांबा भी आशा वर्करों के साथ प्रदर्शन में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने साफ तौर पर कहा कि आशा वर्कर्स की मांगे जायज है और सरकार को इन मांगों को मानना चाहिए.

नई दिल्ली/फरीदाबाद: सात अगस्त से हड़ताल पर बैठी आशा वर्करों ने शुक्रवार को थाली चम्मच बजाकर प्रदर्शन किया. इस दौरान सर्व कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने रविवार तक आशा वर्कर्स की बातें नहीं मानी गई तो पूरे प्रदेश के कर्मचारी सोमवार से सड़कों पर उतर आएंगे.

15वें दिन भी प्रदर्शन करते हुए आशा वर्कर्स

आशा वर्कर्स का कहना है कि उन्हें हेल्थ वर्कर का दर्जा देकर परमानेंट कर्मचारी नियुक्त किया जाए. वहीं जब तक उन्हें स्थाई कर्मचारी नहीं बनाया जाता तब तक न्यूनतम वेतन 24 रुपये किया जाए. साथ ही कोविड-19 की ड्यूटी के दौरान संक्रमित होने पर अस्पताल में फ्री इलाज मुहैया कराया जाए.

आशा वर्कर का कहना है कि एक तरफ सरकार डॉक्टर्स को डबल सैलरी दे रही है. वहीं उन्हें केवल चार हजार रुपये में ड्यूटी के बोझ के तले दबा दिया गया है. उनका कहना है कि सरकार को उनकी मांगों पर विचार करना चाहिए. वहीं आज सर्व कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष लांबा भी आशा वर्करों के साथ प्रदर्शन में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने साफ तौर पर कहा कि आशा वर्कर्स की मांगे जायज है और सरकार को इन मांगों को मानना चाहिए.

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