नई दिल्ली: आज सावन की शिवरात्रि है. जिसकी हिंदू धर्म में विशेष मान्यता है. मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन मास में पड़ने वाली महाशिवरात्रि की तरह ही सावन की शिवरात्रि में भगवान भोलेनाथ की पूजा का विशेष महत्व होता है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान भोलेनाथ माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी अपने दूतों के साथ पृथ्वी पर आते हैं. जिसको लेकर शिव भक्तों के लिए सावन की शिवरात्रि बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. सावन का महीना शुरू होते ही शिवभक्त बम बम भोले के नारों के साथ कावड़ यात्रा लेकर हरिद्वार, गोमुख की ओर निकल पड़ते हैं और गंगाजल लेकर आते हैं. इसके बाद शिवलिंग पर जलाभिषेक कर अपनी यात्रा पूरी करते हैं.
मंदिरों में लगा भक्तों का तांता
इस पावन पर्व पर सुबह से ही भक्तों का मंदिरों में तांता लग गया. भक्त सुबह 5:00 बजे से ही भगवान शिव के दर्शन और पूजा आराधना के लिए मंदिर में पहुंच गए. भारी तादाद में शिवभक्तों ने शिवलिंग पर जलाभिषेक किया.
शिवरात्रि पर भगवान शिव की आराधना का विशेष फल
भगवान शिव सभी के आराध्य हैं और वो अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. कहा जाता हैं कि शिवरात्रि पर अगर भगवान शिव से कुछ भी मांगा जाए तो वो अपने हर भक्तों की मनोकामना जरूर पूरी करते हैं. शिवरात्रि पर जलाभिषेक शिव की उपासना और खासतौर पर शिवरात्रि यानी रात्रि के दिन जागरण करना काफी फलदाई होता है.
कठिन यात्रा कर कांवड़िए लाते हैं गंगाजल
कांवड़िए हर साल शिवरात्रि पर गंगाजल से भगवान का अभिषेक करते हैं. इसके लिए वे हरिद्वार तक पैदल यात्रा कर गंगाजल लेकर आते हैं और शिवरात्रि के दिन शिवलिंग का अभिषेक के साथ अपनी यात्रा को संपन्न करते हैं. कावड़ियों का कहना था कि इससे भगवान उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं.
जलाभिषेक कर संपन्न होती है यात्रा
सावन की शिवरात्रि के साथ ही कावड़ियों की यात्रा भी पूरी हो गई है. जिस तरीके से वे कठिन यात्रा कर गंगाजल लेकर आते हैं. अब शिवरात्रि में जलाभिषेक के बाद उनकी यात्रा संपन्न हो जाएगी.