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एमजे अकबर के खिलाफ मैं चुप रह सकती थी, लेकिन ये ठीक नहीं होता: प्रिया रमानी - arguments on defamation suit

राउज एवेन्यू कोर्ट ने आज पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ पूर्व मंत्री एम जे अकबर की ओर से दायर किए गए मानहानि के मुकदमे पर प्रिया रमानी की वकील रेबेका जॉन की दलीलें सुनीं. मामले की अगली सुनवाई 14 सितंबर को होगी.

Priya Ramani lawyer Rebecca John arguments on defamation suit in Rouse Avenue Court
पत्रकार प्रिया रमानी केस की सुनवाई
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Published : Sep 8, 2020, 9:26 PM IST

नई दिल्ली: राउज एवेन्यू कोर्ट ने आज पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ पूर्व मंत्री एम जे अकबर की ओर से दायर किए गए मानहानि के मुकदमे पर प्रिया रमानी की वकील रेबेका जॉन की दलीलें सुनीं. आज एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहूजा के समक्ष प्रिया रमानी की ओर से कहा गया कि अगर वो चुप रहतीं तो ठीक नहीं होता. मामले की अगली सुनवाई 14 सितंबर को होगी.

पत्रकार प्रिया रमानी केस की सुनवाई
जनता के हित में सच बोला


सुनवाई के दौरान रेबेका जॉन ने कहा कि एमजे अकबर ने कोर्ट में केस दर्ज कर उन लोगों का मुंह बंद कराने की कोशिश की है जिन्होंने उनके खिलाफ बोला था. उन्होंने कहा कि प्रिया रमानी ने जनता के हित में सच बोला. प्रिया रमानी को इसलिए टारगेट किया जा रहा था ताकि एमजे अकबर के खिलाफ लगे गंभीर आरोपों से ध्यान हटाया जा सके. रेबेका जॉन ने मुंबई के ओबेराय होटल की पूरी कहानी बताई. उन्होंने कहा कि प्रिया रमानी को इंटरव्यू में बुलाकर व्यक्तिगत सवाल पूछे गए और अल्कोहल मिले पेय पीने को कहा गया जिसे रमानी ने इनकार कर दिया.


प्रिया रमानी के ट्वीट्स एक ईमानदार गलती


रेबका जॉन ने कहा कि प्रिया रमानी ने एमजे अकबर का नाम वोग मैगजीन में छपे आलेख में नहीं लिया. प्रिया रमानी दूसरी महिलाओं के ट्वीट्स देखने के बाद बोलने को मजबूर हुई. उन्होंने कहा कि यौन प्रताड़ना शारीरिक और शाब्दिक दोनों हो सकती है. शिकारी हमेशा शिकार से शक्तिशाली होता है. उन्होंने कहा कि प्रिया रमानी के ट्वीट्स एक ईमानदार गलती है.


जनता के हित में सही बात रखना मानहानि नहीं


पिछले 5 सितंबर को सुनवाई के दौरान रेबेका जॉन ने कहा था कि जनता के हित में अगर सही बात रखी जाए तो वो मानहानि का मामला नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा था कि प्रिया रमानी के ट्वीट और वोग मैगजीन में छपे आलेख सच्चाई को बयां कर रहे थे. उन्होंने कहा था कि एमजे अकबर की याचिका को खारिज करने की मांग की.

एमजे अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. उन्होंने प्रिया रमानी द्वारा अपने खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप लगाने के बाद ये आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है. 18 अक्टूबर 2018 को कोर्ट ने एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि की याचिका पर संज्ञान लिया था. 25 फरवरी 2019 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को जमानत दी थी. कोर्ट ने प्रिया रमानी को दस हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी थी. कोर्ट ने 10 अप्रैल 2019 को प्रिया रमानी के खिलाफ आरोप तय किए थे. कोर्ट ने प्रिया रमानी को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने की स्थाई छूट दी थी.

वकीलों के बारे में व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करने का निर्देश


11 दिसंबर 2019 को कोर्ट ने मीडिया से आग्रह किया था कि वे इस केस के संबंधित वकीलों के बारे में व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करें. दरअसल 11 दिसंबर 2019 को जब इस मामले की सुनवाई शुरू हुई तो एमजे अकबर की वकील गीता लूथरा ने एक वेबसाईट में गजाला वहाब के बयानों के बारे में छपी खबरों के कुछ खास हिस्सों पर आपत्ति जताई थी. लूथरा ने अपनी आपत्ति एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहूजा के चैंबर में जाकर बताई. लूथरा की शिकायत सुनने के बाद जज विशाल पाहूजा कोर्ट में आए और पत्रकारों से अपील की कि वे वकीलों के बारे में निजी टिप्पणी नहीं करें.

नई दिल्ली: राउज एवेन्यू कोर्ट ने आज पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ पूर्व मंत्री एम जे अकबर की ओर से दायर किए गए मानहानि के मुकदमे पर प्रिया रमानी की वकील रेबेका जॉन की दलीलें सुनीं. आज एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहूजा के समक्ष प्रिया रमानी की ओर से कहा गया कि अगर वो चुप रहतीं तो ठीक नहीं होता. मामले की अगली सुनवाई 14 सितंबर को होगी.

पत्रकार प्रिया रमानी केस की सुनवाई
जनता के हित में सच बोला


सुनवाई के दौरान रेबेका जॉन ने कहा कि एमजे अकबर ने कोर्ट में केस दर्ज कर उन लोगों का मुंह बंद कराने की कोशिश की है जिन्होंने उनके खिलाफ बोला था. उन्होंने कहा कि प्रिया रमानी ने जनता के हित में सच बोला. प्रिया रमानी को इसलिए टारगेट किया जा रहा था ताकि एमजे अकबर के खिलाफ लगे गंभीर आरोपों से ध्यान हटाया जा सके. रेबेका जॉन ने मुंबई के ओबेराय होटल की पूरी कहानी बताई. उन्होंने कहा कि प्रिया रमानी को इंटरव्यू में बुलाकर व्यक्तिगत सवाल पूछे गए और अल्कोहल मिले पेय पीने को कहा गया जिसे रमानी ने इनकार कर दिया.


प्रिया रमानी के ट्वीट्स एक ईमानदार गलती


रेबका जॉन ने कहा कि प्रिया रमानी ने एमजे अकबर का नाम वोग मैगजीन में छपे आलेख में नहीं लिया. प्रिया रमानी दूसरी महिलाओं के ट्वीट्स देखने के बाद बोलने को मजबूर हुई. उन्होंने कहा कि यौन प्रताड़ना शारीरिक और शाब्दिक दोनों हो सकती है. शिकारी हमेशा शिकार से शक्तिशाली होता है. उन्होंने कहा कि प्रिया रमानी के ट्वीट्स एक ईमानदार गलती है.


जनता के हित में सही बात रखना मानहानि नहीं


पिछले 5 सितंबर को सुनवाई के दौरान रेबेका जॉन ने कहा था कि जनता के हित में अगर सही बात रखी जाए तो वो मानहानि का मामला नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा था कि प्रिया रमानी के ट्वीट और वोग मैगजीन में छपे आलेख सच्चाई को बयां कर रहे थे. उन्होंने कहा था कि एमजे अकबर की याचिका को खारिज करने की मांग की.

एमजे अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. उन्होंने प्रिया रमानी द्वारा अपने खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप लगाने के बाद ये आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है. 18 अक्टूबर 2018 को कोर्ट ने एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि की याचिका पर संज्ञान लिया था. 25 फरवरी 2019 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को जमानत दी थी. कोर्ट ने प्रिया रमानी को दस हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी थी. कोर्ट ने 10 अप्रैल 2019 को प्रिया रमानी के खिलाफ आरोप तय किए थे. कोर्ट ने प्रिया रमानी को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने की स्थाई छूट दी थी.

वकीलों के बारे में व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करने का निर्देश


11 दिसंबर 2019 को कोर्ट ने मीडिया से आग्रह किया था कि वे इस केस के संबंधित वकीलों के बारे में व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करें. दरअसल 11 दिसंबर 2019 को जब इस मामले की सुनवाई शुरू हुई तो एमजे अकबर की वकील गीता लूथरा ने एक वेबसाईट में गजाला वहाब के बयानों के बारे में छपी खबरों के कुछ खास हिस्सों पर आपत्ति जताई थी. लूथरा ने अपनी आपत्ति एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहूजा के चैंबर में जाकर बताई. लूथरा की शिकायत सुनने के बाद जज विशाल पाहूजा कोर्ट में आए और पत्रकारों से अपील की कि वे वकीलों के बारे में निजी टिप्पणी नहीं करें.

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