नई दिल्ली: डूसू चुनाव में इस बार वीर सावरकर की मूर्ति को कैंपस में लगाने को लेकर विवाद गरमाता जा रहा है. जहां छात्र संगठन ABVP द्वारा वीर सावरकर के समर्थन में यह मूर्ति लगाई गई थी, वहीं छात्र संगठन NSUI लगातार इसका विरोध कर रहा है.
एक तरफ ABVP वीर सावरकर को स्वतंत्रता सेनानी मानकर उन्हें सम्मान दे रहा है तो वहीं एनसीयूआई उन्हें स्वतंत्रता सेनानी मानने को तैयार नहीं है. इस विषय पर हमने एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन से बात की.
'सजा कम कराने को लिखे पत्र'
नीरज कुंदन ने साफ तौर पर कहा कि वीर सावरकर कोई स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे. वह केवल और केवल अंग्रेजों के एजेंट थे और उन्होंने लगातार जेल में रहकर अंग्रेजों से अपनी सजा माफ कराने को लेकर पत्र लिखे.
'कोई छात्र नहीं करता सावरकर का समर्थन'
नीरज कुंदन का कहना था कि वीर सावरकर कोई स्वतंत्रता सेनानी नहीं है उन्होंने अंग्रेजों को 16 बार चिट्ठी लिखकर अपनी सजा माफ करने को कहा जबकि शहीद भगत सिंह ने आजादी की खातिर खुद को बलिदान कर दिया.
इसके अलावा नीरज कुंदन का कहना था कि कोई छात्र वीर सावरकर को समर्थन नहीं करता केवल और केवल आरएसएस और बीजेपी के एजेंट ही उनका समर्थन करते हैं.