नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court ) ने दसवीं बोर्ड (10th board) का अंकपत्र तैयार करने के लिए स्कूलों के आंतरिक आंकलन के आधार पर बनी नीति में बदलाव की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीएसई (CBSE), केंद्र और दिल्ली सरकार (delhi government) को नोटिस (notice) जारी किया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने 27 अगस्त तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.
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केंद्र ने रद्द की थी दसवीं बोर्ड की परीक्षा
याचिका एनजीओ जस्टिस फॉर ऑल (Justice for All NGO ) की ओर से वकील शिखा शर्मा बग्गा ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील खगेश झा ने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले 14 अप्रैल को कोरोना के बढ़ते मामलों के बाद दसवीं की बोर्ड परीक्षा रद्द करने का फैसला किया. केंद्र सरकार (central government) ने कहा था कि छात्रों को सीबीएसई की और से तैयार ऑब्जेक्टिव मानदंड के मुताबिक अंक दिए जाएंगे. केंद्र सरकार ने ये फैसला प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक के बाद लिया.
स्कूलों के तीन साल के प्रदर्शन को आधार बनाया जा रहा है
याचिका में मांग की गई है कि दसवीं बोर्ड के लिए अंकों का टेबुलेशन ( tabulation policy) स्कूल की ओर से आयोजित आंतरिक आंकलन के आधार पर करने की नीति में बदलाव हो. याचिका में कहा गया है कि सीबीएसई स्कूलों के पिछले तीन साल के प्रदर्शन के आधार पर टेबुलेशन तैयार कर रहा है, जो सरासर गलत है. वर्तमान शैक्षणिक सत्र के बच्चों का आंकलन पूर्व के सत्र के बच्चों के साथ करना उनके अधिकारों का उल्लंघन है.