नई दिल्ली: RSS प्रमुख सरसंघचालक मोहन भागवत के मॉब लिंचिंग शब्द और राष्ट्रवाद को लेकर दिए गए बयान पर बुद्धिजीवियों ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है. हाल ही में भागवत ने RSS की स्थापना दिवस के कार्यक्रम में ये 'विवादित' बयान दिया था.
'मुसलमानों का भी है यह मुल्क'
मौलाना आबिद कासमी जमीअत उलेमा ए हिंद के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष हैं. इस तरह के बयान पर उन्होंने कहा कि हमें RSS को समझना चाहिए. RSS अंग्रेजों की पिट्ठू है, वह इस देश को तबाह और बर्बाद करने वाली जमात भी है. उन्होंने कहा कि जब हिंदू-मुसलमान देश की आजादी के लिए लड़ रहे थे. तब भी यह संगठन अंग्रेजों की समर्थन कर रहा था. RSS हमेशा से बाहरी ताकतों के हाथों में खेलता रहा है.
मौलाना कासमी ने अमित शाह के बयान को पूरी तरह से गलत बताया. उन्होंने कहा कि अमित शाह का यह बयान भारतीय संविधान के खिलाफ है. ऐसा लगता है कि वह इतिहास से पूरी तरह से अंजान हैं. यह मुल्क मुसलमानों का भी है और वो यहीं के नागरिक हैं. सच्चाई तो यह है कि मुसलमान न तो घुसपैठिया है, न कभी हुआ और न ही कभी होगा.
'न दिए जाएं समाज को बांटने वाले बयान'
दिल्ली माइनॉरिटी कमीशन की क्रिश्चियन मेंबर अनस्तासिया गिल ने मोहन भागवत के उस बयान की कड़े शब्दों में निंदा की. उन्होंने कहा कि भागवत जी ने कहा था कि लिंचिंग शब्द पवित्र बाइबिल से लिया गया है. ये बहुत गलत बात है. उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग से जुड़ी घटनाएं आज देश में हो रही हैं. ऐसे में यह जरूरी है कि किसी भी हाल में ऐसी घटनाओं में शामिल लोगों की निंदा की जाए न कि समाज को बांटने वाले बयान दिए जाये.
उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा धर्म इंसानियत का है. किसी भी धर्म के शख्स के साथ लिंचिंग की घटना हो रही हो तो उसका खंडन करना चाहिए न कि उसे बचाने में लग जाएं.
'RSS का काम झूठ बोलकर गुमराह करना'
मोहन भागवत के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए ऑल इंडिया तिब्बी कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ.सयैद अहमद खान ने कहा कि समाज में गलतफहमी पैदा करने का काम RSS का है. उन्होंने कहा कि RSS में खूबियां भी हैं लेकिन वह इनके झूठ बोलने पर भारी हैं. झूठ बोलना ही RSS की नाकामी का सबसे बड़ा कारण है. एनआरसी को लेकर अमित शाह का बयान बेहद गैर जिम्मेदाराना है. एक जिम्मेदार शख्स से ऐसे बयान की उम्मीद नहीं की जा सकती है.
उनके इस बयान से ऐसा लगता है कि देश मे मुसलमानों को डराकर रखा जाए. इसीलिए यह सब बार-बार दोहराया जा रहा है. ऐसे में अब यह बहुत जरूरी हो गया है कि जमीअत उलेमा ए हिंद, ऑल इंडिया मुशावरत और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे बड़े संगठन इस तरह की चीजों का बायकॉट करें.