नई दिल्ली: कोविड 19 के चलते पूरी दुनिया मानो थम सी गई. वहीं शैक्षणिक संस्थान भी इससे अछूते नहीं रहे. स्कूल बंद हुए और बच्चे घरों में सिमट गए. लगा मानो फुलवारी से सारे फूल चुन लिए गए हों. लेकिन कहते हैं न कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है और सचमुच यही हुआ. इस चुनौती को अवसर में तब्दील करते हुए एक नई शिक्षण पद्धति हुई. क्लास रूम टीचिंग के विकल्प के तौर पर शुरुआत हुई ऑनलाइन टीचिंग की. लेकिन इसे लागू करना इतना आसान नहीं था.
ऑनलाइन टीचिंग को लेकर क्या-क्या चुनौतियां रहीं
स्कूल बंद हैं और नौनिहाल घर पर हैं. ऐसे में सबसे पहला अनुभव उन्होंने ही साझा किया. छोटी क्लास के बच्चों का कहना था कि स्कूल नहीं खुलने चाहिए, क्योंकि उन्हें पढ़ाई के बीच बार-बार ब्रेक नहीं मिलता. तो वहीं बड़ी क्लास के बच्चों ने स्कूल खुलने की मंशा ज़ाहिर की. बच्चों ने कहा कि वो घर में बोर हो गए हैं और अपने दोस्तों को बहुत मिस कर रहे हैं.
अभिभावकों ने भी साझा किया अपना अनुभव
वहीं अभिभावकों से भी उनके अनुभव जानने की कोशिश की गई, तो अभिभावकों ने समय को देखते हुए फिलहाल स्कूल बंद रखने के निर्णय को सही करार दिया. हालांकि उन्होंने यह भी माना कि क्लासरूम टीचिंग का कोई विकल्प नहीं है.साथ ही कुछ अभिभावकों का कहना है कि स्कूल में केवल किताबी ज्ञान नहीं मिलता बल्कि बच्चों का सामाजिक विकास भी होता है और पढ़ाई तो हर कोई घर पर करवा सकता है. लेकिन स्कूल जाकर बच्चे अपने शिक्षकों से और भी बहुत कुछ सीखते हैं. उनका आदर करते हैं, उनके दिशा निर्देशों को मानते हैं, जिनसे उनमें सामाजिक और नैतिक विकास होता है.
'ऑनलाइन टीचिंग की राह आसान नहीं'
वहीं शिक्षकों के लिए भी ऑनलाइन टीचिंग की राह आसान नहीं थी. इसको लेकर दिल्ली के सरकारी स्कूल के शिक्षक रोहित उपाध्याय ने ईटीवी भारत से बात की. जिसमें शिक्षक रोहित उपाध्याय ने बताया कि कोरोना काल के दौरान बच्चे डर के माहौल में जी रहे थे, ऐसे में उनके साथ जुड़ना और उन्हें ऑनलाइन क्लासेस से जोड़ना बहुत बड़ी चुनौती थी. उन्होंने बताया कि शिक्षकों ने हर बच्चे से व्यक्तिगत तौर पर उनका कुशलक्षेम लेना शुरू किया. साथ ही इस दौरान शिक्षकों ने एक नई भूमिका निभाई.
'शुरूआत में बच्चों को जोड़ना बेहद चुनौतीपूर्ण'
साथ ही शिक्षक रोहित उपाध्याय ने बताया कि सभी अतिरिक्त जिम्मेदारियां निभाते हुए भी शिक्षकों ने अपने शिक्षण के दायित्व के साथ कोई समझौता नहीं किया. उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन क्लास की शुरूआत में बच्चों को जोड़ना बेहद चुनौतीपूर्ण था. उन्होंने गली गली मोहल्ला - मोहल्ला जाकर बच्चों और अभिभावकों को ऑनलाइन टीचिंग को लेकर जागरूक किया. साथ ही जिनके पास स्मार्टफोन या कंप्यूटर नहीं थे उनके लिए स्कूल आकर वर्कशीट लेने का विकल्प भी दिया.
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'कोरोना वैक्सीन आने की उम्मीद जगी'
साल बीतते बीतते कोरोना वैक्सीन आने की उम्मीद जगी है और अब छात्र, अभिभावक और शिक्षक सब यही उम्मीद कर रहे हैं कि इस महामारी से निजात मिलेगी. नए साल में नई उमंग के साथ फिर से सुनसान पड़े स्कूलों में रौनक लौट आएगी. साथ ही बच्चों की चहल-पहल से फिर से स्कूल परिसर गुंजायमान हो जाएगा.