नई दिल्ली: लैंडफिल साइट से आरडीएएफ की ढुलाई को लेकर 84 करोड़ रुपए के घपले के आम आदमी पार्टी के आरोपों को दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) ने सिरे से खारिज कर दिया है. निगम ने बयान जारी कर कहा है कि इस तरह के आरोप निगम की छवि को नुकसान पहुंचाने की दिशा में एक व्यर्थ प्रयास है. निगम ने इस संदर्भ में तथ्य पेश किए हैं.
फरवरी 2020 में ढुलाई के लिए 3250 रुपए प्रति मीट्रिक टन की सबसे कम बोली लगाने वाले को यह ठेका दिया गया था. यह ठेका तीन महीने कोरोना संबंधी लॉकडाउन की अवधि तक ही सीमित रहा. मई 2020 में लॉकडाउन के नियमों में छूट मिलते ही निगम ने ढुलाई का ठेका नया टेंडर कर नई एजेंसी को 1807.74 रुपए प्रति मीट्रिक टन में आवंटित किया. साथ ही निगम ने ढुलाई की दरों में कमी के लिए अपने प्रयास लगातार जारी रखे. दिसंबर 2021 में इन्हें 1746 रुपए प्रति मीट्रिक टन की दर से आवंटित किया गया.
निगम ने अगस्त 2022 से ढुलाई की मद में दी जाने वाली सब्सिडी 300/ रुपए प्रति मीट्रिक टन (अगर उठाए जाने वाले कूड़े की मात्रा प्रति माह 5000 मीट्रिक टन से कम है), रुपए 400/ रुपये प्रति मीट्रिक टन (अगर उठाए जाने वाले कूड़े की मात्रा 5,000 से 7500 मीट्रिक टन प्रति माह है), 450/ रुपये प्रति मीट्रिक टन (अगर उठाए जाने वाले कूड़े की मात्रा 7500 से 10000 मीट्रिक टन प्रति माह है), 500/ रुपये प्रति मीट्रिक टन( अगर उठाए जाने वाले कूड़े की मात्रा 10000 मीट्रिक टन प्रति माह से अधिक है) निर्धारित की है.
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निगम ने फरवरी 2020 से लेकर अगस्त 2022 तक ढुलाई की मद में रुपए 3250/ प्रति मीट्रिक टन की दर से भुगतान नहीं किया है, जैसा कि दर्शाने की कोशिश की जा रही है. बल्कि निगम ढुलाई के मद में होने वाले खर्च को तत्परता से कम किया है. घोटाले के आरोप आधे-अधूरे तथ्यों के आधार पर लगाए गए हैं.
आम आदमी पार्टी के विधायक दुर्गेश पाठक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया है कि एमसीडी के भलस्वा लैंडफिल साइट से आरडीएफ की ढुलाई की मद में निजी कंपनी को फरवरी 2020 में निगम द्वारा 3250 रुपए प्रति मीट्रिक टन की दर से भुगतान करके 84 करोड़ रुपए का घपला/नुकसान किया गया है.
जबकि, आरडीएफ उठाने हेतु अगस्त 2022 में 400 रू प्रति मीट्रिक टन की दर से आवंटित किया गया था. आरडीएफ उठाने की दरों में अंतर ही घाटे/ घोटाले के आरोप का आधार है.
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