नई दिल्ली: हिंदू धर्म में धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक परंपराओं के अनुसार रक्षाबंधन का पर्व बेहद अहम और खास होता है. इस साल रक्षाबंधन को लेकर पंचांगों में मतभेद होने के चलते दुविधा का माहौल है. इसको लेकर झंडेवाला माता मंदिर के पंडित अंबिका पंत (Pandit Ambika Pant of Jhandewala Mata Mandir) का स्पष्ट तौर पर कहना है कि जो जिस पंचांग को मानता है उसके हिसाब से रक्षाबंधन मना सकते हैं. भद्रा काल के अंदर किसी भी त्योहार को मनाया जाना अशुभ माना जाता है. 11 अगस्त को सुबह 10:39 से शाम 8:51 तक भद्राकाल है. ऐसे में इस समय के बीच रक्षाबंधन के त्यौहार को नहीं मनाया जा सकता. जबकि, 12 तारीख को भद्रा का नहीं है. ऐसे में 12 अगस्त को भी आप रक्षाबंधन मना सकते हैं.
पंडित पंत के मुताबिक, इस बार रक्षाबंधन भिन्न-भिन्न प्रकार के मत भिन्न-भिन्न पंचांग के हिसाब से सामने आ रहे हैं. पंचांगों में राखी के त्योहार की तारीख को लेकर मतभेद देखा जा रहा है. इसके पीछे का कारण भद्रा काल है. 11 अगस्त के दिन भद्रा काल सुबह 10:39 से शुरू होकर शाम 8:51 तक रहेगा. कुछ पंचांग के मत अनुसार सुबह 7:00 बजे से 10:39 तक 11 अगस्त को रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जा सकता है, उसके बाद भद्रा काल शुरू हो जाएगा. कुछ पंचांग के अनुसार भद्रा काल में किसी भी त्योहार को मनाया जाना शुभ नहीं माना जाता है.
इस साल झंडेवाला माता मंदिर में रक्षाबंधन के त्यौहार को 12 अगस्त के दिन पूरे हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाएगा. रक्षाबंधन एक ऐसा त्यौहार है जिसमें एक बहन भाई के हाथ पर रक्षा सूत्र बांधती है. यह त्यौहार भाई-बहन के आपस में प्रेम का त्यौहार होने के साथ रक्षा का प्रतीक भी है. पुराणों में यह बताया गया है कि माता लक्ष्मी ने राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधा था. उस समय भगवान श्री हरि विष्णु पताल लोक और नाग लोक में थे. माता लक्ष्मी द्वारा राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधने के बाद भगवान विष्णु को महालक्ष्मी वहां से वैकुंठधाम ले गई थी.
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