नई दिल्ली : कड़कड़डूमा कोर्ट ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा के दौरान हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल की हत्या के मामले में एक महिला आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी है. एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने कहा कि आरोपी के खिलाफ आरोप गंभीर हैं और स्वतंत्र गवाहों ने उसकी पहचान की है.
कोर्ट ने कहा कि सांप्रदायिक दंगे की साजिश का पर्दाफाश करने के लिए आरोपी तबस्सुम की उपस्थिति जरूरी है. ऐसे में उसे जमानत नहीं दी जा सकती है. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से वकील अमित प्रसाद ने कहा कि आरोपी के खिलाफ एक हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की बर्बर हत्या का आरोप है. उन्होंने कहा कि इस हमले में शाहदरा के डीसीपी अमित शर्मा, गोकलपुरी के एसीपी अनुज कुमार और 51 पुलिसकर्मी घायल हुए थे.
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने जारी किया था वारंट
अमित प्रसाद ने कहा कि तबस्सुम घटनास्थल के दिन प्रदर्शनकारियों के साथ दूसरे मंच पर थी और वो भीड़ को केंद्र सरकार के खिलाफ भड़का रही थी. इसके बाद ये हिंसा हुई. दिल्ली पुलिस ने कहा कि तबस्सुम के कॉल डिटेल रिकॉर्ड के मुताबिक वो मुख्य आरोपी के साथ-साथ दूसरे आरोपियों के संपर्क में थी. दिल्ली पुलिस ने काफी कोशिश की कि तबस्सुम जांच में शामिल हो, लेकिन वो जानबूझकर जांच में शामिल नहीं हुई. इसके बाद मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने उसके खिलाफ वारंट जारी किया.
झूठे तरीके से फंसाने का आरोप
आरोपी की ओर से वकील दिनेश तिवारी ने कहा कि उसे झूठे तरीके से फंसाया गया है. उन्होंने कहा कि आरोपी का मामले से कुछ लेना-देना नहीं है. इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है.
उन्होंने कहा कि आरोपी दिल्ली की स्थायी निवासी है और इसलिए उसके भागने की कोई आशंका नहीं है. दिनेश तिवारी ने कहा कि तबस्सुम के पास दयालपुर पुलिस की ओर से कई फोन कॉल्स आ रहे थे और वे कई बार उसके घर भी गए थे. वे तबस्सुम को गिरफ्तार करने की धमकी दे रहे थे.