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दिल्ली हिंसा: ऑटो ड्राइवर की हत्या के आरोपी की जमानत याचिका खारिज - कड़कड़डूमा कोर्ट

दिल्ली हिंसा मामले में एक ऑटो ड्राइवर की हत्या के आरोपी की जमानत याचिका कड़कड़डूमा कोर्ट ने खारिज कर दी है. बता दें कि आरोपी शाबुद्दीन को 9 मार्च को गिरफ्तार किया गया था.

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कड़कड़डूमा कोर्ट
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Published : Jul 18, 2020, 8:40 AM IST

नई दिल्ली: कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के मामले में एक ऑटो ड्राइवर की हत्या के आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी है. एडिशनल सेशन जज विनोद यादव ने याचिका खारिज करते हुए कहा यह मामला एक निर्दोष व्यक्ति की हत्या का है और आरोपी की पहचान एक स्वतंत्र चश्मदीद गवाह ने की है.


कोर्ट ने कहा कि गवाह दीपक का बयान 24 अप्रैल को दर्ज किया गया था. गवाह के बयान दर्ज करने में देरी की वजह जांच अधिकारी ने कोरोना का संक्रमण बताया. जांच अधिकारी ने कहा कि कोरोना के संक्रमण की वजह से गवाह को खोज पाना मुश्किल हो गया था. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की इस दलील को सही बताया कि अगर आरोपी को जमानत दी जाती है तो वह स्वतंत्र गवाह को धमकियां दे सकता है.

'गवाह की जान को खतरा हो सकता है'
कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देते हुए कहा कि दंगे का असर व्यापक होता है जिससे सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को काफी नुकसान पहुंचा है. शाबुद्दीन की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा कि आरोपी उसी इलाके का है जिस इलाके का चश्मदीद गवाह है. ऐसे में अगर आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाता है तो चश्मदीद गवाह की जान को खतरा हो सकता है.


शाबुद्दीन पर आरोप है कि वह दिल्ली दंगों के दौरान 25 फरवरी को खजूरी खास में एक ऑटो ड्राइवर की हत्या करनेवाली भीड़ का हिस्सा था. शाबुद्दीन को 9 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और उसके बाद से वह न्यायिक हिरासत में है.

नई दिल्ली: कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के मामले में एक ऑटो ड्राइवर की हत्या के आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी है. एडिशनल सेशन जज विनोद यादव ने याचिका खारिज करते हुए कहा यह मामला एक निर्दोष व्यक्ति की हत्या का है और आरोपी की पहचान एक स्वतंत्र चश्मदीद गवाह ने की है.


कोर्ट ने कहा कि गवाह दीपक का बयान 24 अप्रैल को दर्ज किया गया था. गवाह के बयान दर्ज करने में देरी की वजह जांच अधिकारी ने कोरोना का संक्रमण बताया. जांच अधिकारी ने कहा कि कोरोना के संक्रमण की वजह से गवाह को खोज पाना मुश्किल हो गया था. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की इस दलील को सही बताया कि अगर आरोपी को जमानत दी जाती है तो वह स्वतंत्र गवाह को धमकियां दे सकता है.

'गवाह की जान को खतरा हो सकता है'
कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देते हुए कहा कि दंगे का असर व्यापक होता है जिससे सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को काफी नुकसान पहुंचा है. शाबुद्दीन की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा कि आरोपी उसी इलाके का है जिस इलाके का चश्मदीद गवाह है. ऐसे में अगर आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाता है तो चश्मदीद गवाह की जान को खतरा हो सकता है.


शाबुद्दीन पर आरोप है कि वह दिल्ली दंगों के दौरान 25 फरवरी को खजूरी खास में एक ऑटो ड्राइवर की हत्या करनेवाली भीड़ का हिस्सा था. शाबुद्दीन को 9 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और उसके बाद से वह न्यायिक हिरासत में है.

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