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फाइलों में शहरीकृत हो गए दिल्ली के 80 गांव, फिर भी सुविधाओं का अभाव - आया नगर गांव में सुविधाओं का अभाव

दिल्ली के लगभग 80 गांवों को शहर बने हुए 2 साल हाे गये, लेकिन आज भी इन गांवाें में पानी की निकासी की सुविधा नहीं है. सड़क का भी हाल बेहाल है. बस स्टैंड टर्मिनल है, लेकिन कोई सुविधा नहीं.

water logging
पानी की निकासी की सुविधा नहीं है
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Published : Sep 14, 2021, 8:37 PM IST

Updated : Sep 14, 2021, 10:31 PM IST

नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली के लगभग 80 गांवों को शहरीकृत घोषित करने के बाद भी लैंड रिकॉर्डर निगम के पास नहीं पहुंचा है. करीब 2 साल पहले शहरीकृत घोषित किए जा चुके इन गांवों की सूरत में कोई खास बदलाव नहीं आया है. लाखों ग्रामवासी स्वास्थ्य, सड़क, पानी की निकासी की सुविधा नहीं होने परेशान हैं. दिल्ली सरकार ने नवंबर 2019 में दक्षिण नगर निगम में आने वाले 29 गांव शहरीकृत घोषित किए थे.

दिल्ली के उपराज्यपाल ने घोषणा की थी कि जो अब तक ग्रामीण क्षेत्रों के भाग हैं उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों से हटाया जाएगा और शहरी क्षेत्र के रूप में माना जाएगा. अधिसूचना में यह भी कहा गया था कि गांव की पुरानी आबादी के साथ पूरी राजस्व संपदा को शहरी घोषित किया जाता है. कागजात में तो गांव शहरीकृत हो गए हैं लेकिन लाेग अब भी सुविधाओं से वंचित हैं. दक्षिणी निगम के तहत आने वाले 29 गांव जिनमें छतरपुर, सुल्तानपुर, आया नगर, सतबड़ी, डेरा मंडी, असोला, जैतपुर, मीठापुर, आली, कापसहेड़ा, रजोकरी, समालखा, घिटोरनी, सहित अन्य गांव हैं.

aayanagr

ईटीवी भारत की टीम ने आया नगर पहुंचकर गांव के लोगों से बात की तो उनका कहना था कि करीब 2 साल पहले दिल्ली सरकार के द्वारा गांव तो शहरीकृत घोषित कर दिए हैं, लेकिन हमारे गांव में चिकित्सा की सुविधा नहीं है. न ही खेलने के लिए मैदान है. बस स्टैंड की हालत काफी खराब है. बस टर्मिनल पूरी तरह से टूटा हुआ है. सिर्फ टैक्स वसूलने के लिए गांवों को शहरीकृत कर दिया गया है. गांव के कई लोगों से बात की गई तो उनका साफ तौर पर कहना था कि अभी तक गांव में उस प्रकार की सुविधाएं नहीं हैं, जैसे शहराें में हाेती है, तो फिर काहे का शहर.

यह भी पढ़ें: बारिश से धंस गई अरविंदो मार्ग की सड़क, डीटीसी बस को क्रेन से निकाला गया


वहीं इस मामले पर स्थानीय निगम पार्षद वेदपाल लोहिया ने बताया कि उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के द्वारा करीब 2 साल पहले हमारे गांव को भी शहरीकृत घोषित किया गया था, लेकिन आज हमारे गांव में लोग सुविधाओं से वंचित हैं. इससे तो अच्छा गांव होता तो ही ठीक था, टैक्स तो नहीं देना पड़ता. शहरीकृत के नाम से लोग अच्छा खासा टैक्स भी चुकता करते हैं, लेकिन सुविधाओं से अब भी हमारे गांव के लोग वंचित हैं.

यह भी पढ़ें: ऑनलाइन पैथोलॉजिकल लेबोरेटरी पर नियंत्रण मामले में दिल्ली पुलिस को नोटिस

निगम पार्षद ने कहीं भी सीवर लाइन की व्यवस्था नहीं की है, न ही गैस पाइपलाइन है. जबकि शहर होने का मतलब होता है कि सारी सुविधाएं दी जाएं. शहर के नाम पर सिर्फ धोखा किया जा रहा है. इसलिए मेरी सरकार से यही मांग है कि जो हमारे गांव काे शहरीकृत किया गया है ताे सारी व्यवस्था दी जाए.

नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली के लगभग 80 गांवों को शहरीकृत घोषित करने के बाद भी लैंड रिकॉर्डर निगम के पास नहीं पहुंचा है. करीब 2 साल पहले शहरीकृत घोषित किए जा चुके इन गांवों की सूरत में कोई खास बदलाव नहीं आया है. लाखों ग्रामवासी स्वास्थ्य, सड़क, पानी की निकासी की सुविधा नहीं होने परेशान हैं. दिल्ली सरकार ने नवंबर 2019 में दक्षिण नगर निगम में आने वाले 29 गांव शहरीकृत घोषित किए थे.

दिल्ली के उपराज्यपाल ने घोषणा की थी कि जो अब तक ग्रामीण क्षेत्रों के भाग हैं उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों से हटाया जाएगा और शहरी क्षेत्र के रूप में माना जाएगा. अधिसूचना में यह भी कहा गया था कि गांव की पुरानी आबादी के साथ पूरी राजस्व संपदा को शहरी घोषित किया जाता है. कागजात में तो गांव शहरीकृत हो गए हैं लेकिन लाेग अब भी सुविधाओं से वंचित हैं. दक्षिणी निगम के तहत आने वाले 29 गांव जिनमें छतरपुर, सुल्तानपुर, आया नगर, सतबड़ी, डेरा मंडी, असोला, जैतपुर, मीठापुर, आली, कापसहेड़ा, रजोकरी, समालखा, घिटोरनी, सहित अन्य गांव हैं.

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ईटीवी भारत की टीम ने आया नगर पहुंचकर गांव के लोगों से बात की तो उनका कहना था कि करीब 2 साल पहले दिल्ली सरकार के द्वारा गांव तो शहरीकृत घोषित कर दिए हैं, लेकिन हमारे गांव में चिकित्सा की सुविधा नहीं है. न ही खेलने के लिए मैदान है. बस स्टैंड की हालत काफी खराब है. बस टर्मिनल पूरी तरह से टूटा हुआ है. सिर्फ टैक्स वसूलने के लिए गांवों को शहरीकृत कर दिया गया है. गांव के कई लोगों से बात की गई तो उनका साफ तौर पर कहना था कि अभी तक गांव में उस प्रकार की सुविधाएं नहीं हैं, जैसे शहराें में हाेती है, तो फिर काहे का शहर.

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वहीं इस मामले पर स्थानीय निगम पार्षद वेदपाल लोहिया ने बताया कि उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के द्वारा करीब 2 साल पहले हमारे गांव को भी शहरीकृत घोषित किया गया था, लेकिन आज हमारे गांव में लोग सुविधाओं से वंचित हैं. इससे तो अच्छा गांव होता तो ही ठीक था, टैक्स तो नहीं देना पड़ता. शहरीकृत के नाम से लोग अच्छा खासा टैक्स भी चुकता करते हैं, लेकिन सुविधाओं से अब भी हमारे गांव के लोग वंचित हैं.

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निगम पार्षद ने कहीं भी सीवर लाइन की व्यवस्था नहीं की है, न ही गैस पाइपलाइन है. जबकि शहर होने का मतलब होता है कि सारी सुविधाएं दी जाएं. शहर के नाम पर सिर्फ धोखा किया जा रहा है. इसलिए मेरी सरकार से यही मांग है कि जो हमारे गांव काे शहरीकृत किया गया है ताे सारी व्यवस्था दी जाए.

Last Updated : Sep 14, 2021, 10:31 PM IST
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