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कोरोना मरीजों के शवों के ढेर लगने के मामले पर हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान

जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ ने अपने आदेश में कहा है कि वे दिल्ली के एक नागरिक और एक जज होने के नाते दुखी हैं. अगर अखबारों में छपी खबरें सही हैं तो ये मृतकों के अधिकारों का उल्लंघन है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार और दिल्ली के तीनों नगर निगमों को नोटिस जारी कर 29 मई को कोर्ट में अपना पक्ष रखने को कहा है.

High Court
हाईकोर्ट
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Published : May 28, 2020, 10:21 PM IST

Updated : May 29, 2020, 9:29 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना से संक्रमित मरीजों के शवों के ढेर बनने की खबरों पर स्वत: संज्ञान लिया है. जस्टिस राजीव सहाय एंड लॉ और जस्टिस आशा मेनन की बेंच ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई सुनवाई के बाद इस मामले को चीफ जस्टिस डीएन पटेल के पास जनहित में उचित दिशा निर्देश जारी करने के लिए रेफर कर दिया. इस मामले पर कल यानि 29 मई को चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी.


एलएनजेपी में शवों के लगे हैं ढेर

कोर्ट ने कहा कि आज के अधिकांश अखबारों में लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल (एलएनजेपी) में कोरोना मरीजों के शवों के ढेर के बारे में खबर छपी है. खबर में कहा गया है कि 108 शव पड़े हुए हैं. 80 शवों को रैक में रखा गया है जबकि 28 शवों को एक के ऊपर एक कर रखा गया है. लोकनायक अस्पताल दिल्ली में कोरोना मरीजों का इलाज करने वाला सबसे बड़ा अस्पताल है. इसके मोर्चुरी में उन शवों को रखा जा रहा है जिनकी या तो कोरोना से मौत हो गई या वे कोरोना संदिग्ध थे.

निगमबोध घाट से शवों को लौटाया जा रहा है

खबर के मुताबिक 26 मई को निगमबोध घाट के सीएनजी शवदाह गृह से आठ शवों को लौटाकर लाया गया, क्योंकि वहां इन शवों को अंतिम संस्कार करने के लिए स्वीकार नहीं किया जा सकता था. ऐसा इसलिए क्योंकि निगमबोध घाट पर सिर्फ छह फर्नेस ही काम कर रहे हैं. पांच दिन पहले जिन कोरोना मरीजों की मौत हुई उनका भी अंतिम संस्कार नहीं किया जा सका है. शवों का अंतिम संस्कार इसलिए नहीं हो पा रहा है क्योंकि निगमबोध घाट और पंजाबी बाग के शवदाह गृह में सीएनजी फर्नेस काम नहीं कर रहे हैं.

शवदाह गृहों में सीएनजी फर्नेस काम नहीं कर रहे हैं

इन शवदाह गृहों में सीएनजी फर्नेस के काम नहीं करने की वजह से सुरक्षित नहीं होने के बावजूद लकड़ी से अंतिम संस्कार करने की अनुमति दी गई है. उसके बावजूद शवदाह गृहों के कर्मचारी लकड़ी से अंतिम संस्कार करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं. निगमबोध घाट पर कर्मचारियों और पुजारियों के काम नहीं करने की वजह से स्थिति अनियंत्रित हो गई है.


एक नागरिक और जज के नाते दुख जताया

जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ ने अपने आदेश में कहा है कि वे दिल्ली के एक नागरिक और एक जज होने के नाते दुखी हैं. अगर अखबारों में छपी खबरें सही हैं तो ये मृतकों के अधिकारों का उल्लंघन है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार और दिल्ली के तीनों नगर निगमों को नोटिस जारी कर 29 मई को कोर्ट में अपना पक्ष रखने को कहा है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना से संक्रमित मरीजों के शवों के ढेर बनने की खबरों पर स्वत: संज्ञान लिया है. जस्टिस राजीव सहाय एंड लॉ और जस्टिस आशा मेनन की बेंच ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई सुनवाई के बाद इस मामले को चीफ जस्टिस डीएन पटेल के पास जनहित में उचित दिशा निर्देश जारी करने के लिए रेफर कर दिया. इस मामले पर कल यानि 29 मई को चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी.


एलएनजेपी में शवों के लगे हैं ढेर

कोर्ट ने कहा कि आज के अधिकांश अखबारों में लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल (एलएनजेपी) में कोरोना मरीजों के शवों के ढेर के बारे में खबर छपी है. खबर में कहा गया है कि 108 शव पड़े हुए हैं. 80 शवों को रैक में रखा गया है जबकि 28 शवों को एक के ऊपर एक कर रखा गया है. लोकनायक अस्पताल दिल्ली में कोरोना मरीजों का इलाज करने वाला सबसे बड़ा अस्पताल है. इसके मोर्चुरी में उन शवों को रखा जा रहा है जिनकी या तो कोरोना से मौत हो गई या वे कोरोना संदिग्ध थे.

निगमबोध घाट से शवों को लौटाया जा रहा है

खबर के मुताबिक 26 मई को निगमबोध घाट के सीएनजी शवदाह गृह से आठ शवों को लौटाकर लाया गया, क्योंकि वहां इन शवों को अंतिम संस्कार करने के लिए स्वीकार नहीं किया जा सकता था. ऐसा इसलिए क्योंकि निगमबोध घाट पर सिर्फ छह फर्नेस ही काम कर रहे हैं. पांच दिन पहले जिन कोरोना मरीजों की मौत हुई उनका भी अंतिम संस्कार नहीं किया जा सका है. शवों का अंतिम संस्कार इसलिए नहीं हो पा रहा है क्योंकि निगमबोध घाट और पंजाबी बाग के शवदाह गृह में सीएनजी फर्नेस काम नहीं कर रहे हैं.

शवदाह गृहों में सीएनजी फर्नेस काम नहीं कर रहे हैं

इन शवदाह गृहों में सीएनजी फर्नेस के काम नहीं करने की वजह से सुरक्षित नहीं होने के बावजूद लकड़ी से अंतिम संस्कार करने की अनुमति दी गई है. उसके बावजूद शवदाह गृहों के कर्मचारी लकड़ी से अंतिम संस्कार करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं. निगमबोध घाट पर कर्मचारियों और पुजारियों के काम नहीं करने की वजह से स्थिति अनियंत्रित हो गई है.


एक नागरिक और जज के नाते दुख जताया

जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ ने अपने आदेश में कहा है कि वे दिल्ली के एक नागरिक और एक जज होने के नाते दुखी हैं. अगर अखबारों में छपी खबरें सही हैं तो ये मृतकों के अधिकारों का उल्लंघन है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार और दिल्ली के तीनों नगर निगमों को नोटिस जारी कर 29 मई को कोर्ट में अपना पक्ष रखने को कहा है.

Last Updated : May 29, 2020, 9:29 AM IST
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