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पुलिस के इन पांच कदम से कम हुए साइबर अपराध, जानिए कैसे हुआ 7 राज्यों में एक्शन - दिल्ली में साइबर ठगी के मामले

कोरोना की दूसरी लहर में जब लोग ऑक्सीजन, दवा एवं अस्पताल के बेड के लिए भटक रहे थे तो जालसाजों ने इसके लिए ही उन्हें शिकार बनाना शुरू किया. उन्होंने अपने सैकड़ों नंबर वायरल किए और जब उनसे कोई संपर्क करता तो वह एडवांस के नाम पर उनसे रुपये ट्रांसफर करवा लेते.

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कोरोनाकाल में साइबर अपराध
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Published : May 12, 2021, 2:48 PM IST

नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर के साथ जितनी तेजी से साइबर अपराध बढ़े हैं, उतनी ही रफ्तार से कम भी हो गए हैं. इसके लिए दिल्ली पुलिस ने पांच अहम कदम उठाए. इस काम में दिल्ली पुलिस ने कई राज्यों की पुलिस, गृह मंत्रालय, बैंक एवं पेमेंट गेट-वे कंपनी से मदद ली.

कोरोनाकाल में साइबर अपराध

पढ़ें- बेटे को मुखाग्नि दे लौटे पिता तो घर में मिला दूसरे बेटे का शव, दोनों थे कोरोना संक्रमित

इनकी मदद से बीते 10 दिनों में लोगों से ठगे गए 60 लाख रुपये बचाने में उन्हें कामयाबी मिली. यह जालसाज सात राज्यों में फैले हुए हैं और उन सभी राज्यों में छापेमारी चल रही है.

जानकारी के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर में जब लोग ऑक्सीजन, दवा एवं अस्पताल के बेड के लिए भटक रहे थे तो जालसाजों ने इसके लिए ही उन्हें शिकार बनाना शुरू किया. उन्होंने अपने सैकड़ों नंबर वायरल किए और जब उनसे कोई संपर्क करता तो वह एडवांस के नाम पर उनसे रुपये ट्रांसफर करवा लेते.

ऐसे 400 से ज्यादा लोगों ने दिल्ली पुलिस में बीते 10 दिनों में शिकायत दर्ज करवाई है. किसी से ऑक्सीजन सिलेंडर तो किसी से दवा मुहैया कराने के नाम पर ठगी की गई. पीड़ित अपनों को बचाने के लिए इस कदर परेशान थे कि वह जालसाजों की बात पर भरोसा कर ठगी का शिकार बन गए.

इन पांच कदम से पुलिस ने पाया साइबर फ्रॉड पर काबू

दिल्ली पुलिस ने ऐसे साइबर अपराधियों पर नकेल कसने के लिए गृह मंत्रालय, बैंक एवं पेमेंट गेट-वे कंपनियों के साथ रणनीति बनाई.

  • सबसे पहले पुलिस ने शिकायतकर्ताओं के लिए हेल्पलाइन शुरू की ताकि उन्हें सीधे और जल्द शिकायत मिल सके.
  • दूसरा काम पुलिस ने जालसाजों के 900 से ज्यादा मोबाइल नंबर चिन्हित कर उन्हें ब्लॉक करवाया.
  • तीसरा काम पुलिस ने उन बैंक खातों को चिन्हित करने का किया जहां ठगी की रकम जा रही है. इन सभी बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया.
  • चौथे कदम में पुलिस ने उन राज्यों की पुलिस के साथ एक अंतरराज्यीय टीम बनाई जिन जगहों से ठग के कनेशन नजर आ रहे थे. इससे पुलिस के एक्शन में तेजी आई.
  • पांचवा कदम पुलिस ने लोगों को जागरूक करने का किया. इससे लोगों को पता चला कि इस तरह से जालसाजी हो रही है और उन्हें इससे बचना है.

सात राज्यों में फैला है साइबर अपराधियों का नेटवर्क

साइबर अपराधियो पर नकेल कसने के दौरान पुलिस को पता चला कि जालसाजों का नेटवर्क 7 राज्यों में फैला हुआ है. सिम कार्ड किसी राज्य से जारी करवाए गए हैं जबकि खुद जालसाज किसी अन्य राज्य में बैठे हुए हैं. ठगी की रकम लेने के लिए कई राज्यों में आरोपियों ने बैंक खाते खुलवा रखे थे.

यह राज्य हैं पश्चिम बंगाल, झारखंड, हरियाणा, राजस्थान, यूपी, बिहार और पंजाब. इन सभी राज्यों की पुलिस के साथ मिलकर दिल्ली पुलिस की 20 टीमें साइबर अपराधियों के नेटवर्क को तोड़ने में जुटी हुई है.

नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर के साथ जितनी तेजी से साइबर अपराध बढ़े हैं, उतनी ही रफ्तार से कम भी हो गए हैं. इसके लिए दिल्ली पुलिस ने पांच अहम कदम उठाए. इस काम में दिल्ली पुलिस ने कई राज्यों की पुलिस, गृह मंत्रालय, बैंक एवं पेमेंट गेट-वे कंपनी से मदद ली.

कोरोनाकाल में साइबर अपराध

पढ़ें- बेटे को मुखाग्नि दे लौटे पिता तो घर में मिला दूसरे बेटे का शव, दोनों थे कोरोना संक्रमित

इनकी मदद से बीते 10 दिनों में लोगों से ठगे गए 60 लाख रुपये बचाने में उन्हें कामयाबी मिली. यह जालसाज सात राज्यों में फैले हुए हैं और उन सभी राज्यों में छापेमारी चल रही है.

जानकारी के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर में जब लोग ऑक्सीजन, दवा एवं अस्पताल के बेड के लिए भटक रहे थे तो जालसाजों ने इसके लिए ही उन्हें शिकार बनाना शुरू किया. उन्होंने अपने सैकड़ों नंबर वायरल किए और जब उनसे कोई संपर्क करता तो वह एडवांस के नाम पर उनसे रुपये ट्रांसफर करवा लेते.

ऐसे 400 से ज्यादा लोगों ने दिल्ली पुलिस में बीते 10 दिनों में शिकायत दर्ज करवाई है. किसी से ऑक्सीजन सिलेंडर तो किसी से दवा मुहैया कराने के नाम पर ठगी की गई. पीड़ित अपनों को बचाने के लिए इस कदर परेशान थे कि वह जालसाजों की बात पर भरोसा कर ठगी का शिकार बन गए.

इन पांच कदम से पुलिस ने पाया साइबर फ्रॉड पर काबू

दिल्ली पुलिस ने ऐसे साइबर अपराधियों पर नकेल कसने के लिए गृह मंत्रालय, बैंक एवं पेमेंट गेट-वे कंपनियों के साथ रणनीति बनाई.

  • सबसे पहले पुलिस ने शिकायतकर्ताओं के लिए हेल्पलाइन शुरू की ताकि उन्हें सीधे और जल्द शिकायत मिल सके.
  • दूसरा काम पुलिस ने जालसाजों के 900 से ज्यादा मोबाइल नंबर चिन्हित कर उन्हें ब्लॉक करवाया.
  • तीसरा काम पुलिस ने उन बैंक खातों को चिन्हित करने का किया जहां ठगी की रकम जा रही है. इन सभी बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया.
  • चौथे कदम में पुलिस ने उन राज्यों की पुलिस के साथ एक अंतरराज्यीय टीम बनाई जिन जगहों से ठग के कनेशन नजर आ रहे थे. इससे पुलिस के एक्शन में तेजी आई.
  • पांचवा कदम पुलिस ने लोगों को जागरूक करने का किया. इससे लोगों को पता चला कि इस तरह से जालसाजी हो रही है और उन्हें इससे बचना है.

सात राज्यों में फैला है साइबर अपराधियों का नेटवर्क

साइबर अपराधियो पर नकेल कसने के दौरान पुलिस को पता चला कि जालसाजों का नेटवर्क 7 राज्यों में फैला हुआ है. सिम कार्ड किसी राज्य से जारी करवाए गए हैं जबकि खुद जालसाज किसी अन्य राज्य में बैठे हुए हैं. ठगी की रकम लेने के लिए कई राज्यों में आरोपियों ने बैंक खाते खुलवा रखे थे.

यह राज्य हैं पश्चिम बंगाल, झारखंड, हरियाणा, राजस्थान, यूपी, बिहार और पंजाब. इन सभी राज्यों की पुलिस के साथ मिलकर दिल्ली पुलिस की 20 टीमें साइबर अपराधियों के नेटवर्क को तोड़ने में जुटी हुई है.

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