नई दिल्ली : खेतों में सोलर प्लांट लगाने की योजना को एक साल पूरा हो गया है. पायलेट प्रोजेक्ट के तहत लगाे गए इस प्रोजेक्ट की सफलता क मूल्यांकन एवं अवलोकन के लिए कई अधिकारी कृषि विज्ञान केंद्र उजवा पहुंचे. जिसमें प्रधान सचिव मनीषा सक्सेना, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बी एस जगलान सहित कई अधिकारी मौजूद रहे.
पायलेट प्रोजेक्ट के अध्ययन में यह बात सामने आया कि खेत में सोलर प्लांट लगाने से केवल कुछ फीसदी फसल ही प्रभावित होती है, जबकि आय में एक लाख से भी अधिक का इजाफा होता है. दरअसल, सोलर पैनल योजना के तहत निजी कंपनियां किसानों को किराये के तौर पर एक लाख रुपए प्रति एकड़ देती है. एक एकड़ जगह देने पर किसानों को 1000 यूनिट फ्री बिजली मिलेगी. साथ ही जरूरत से ज्यादा बिजली पैदा होने पर वे इसे कंपनी या सरकार को बेच भी सकते हैं.
इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र अध्यक्ष के डॉ. पीके गुप्ता ने अतिथियों को बताया कि विषेषज्ञों की तरफ से सोलर प्रदर्शन इकाई में लगाया गया फसलों का मूल्यांकन, आय, व्यय एवं शुद्ध आय का अवलोकन किया गया. साथ ही साथ उन्होंने बताया कि दिल्ली के किसानों को भी कृषि सौर प्रणाली के बारे में जानकारी दिया जाय, जिससे अधिक से अधिक किसानों को फायदा हो एवं उनकी आमदनी बढ़े. दिल्ली के किसान अब सीधे तौर पर सोलर निर्माता कंपनी से मिलकर अपने खेतो में कृषि सौर प्रणाली लगा सकते हैं.
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एग्री-वोल्टाइक प्रणाली के लगभग 90% भूमि क्षेत्र का उपयोग सब्जी और फूलों की फसल के लिए किया जाता है. 2021-22 के दौरान भिंडी, टमाटर, बैंगन, प्याज और लोबिया की फसलें उगाई गई. इसके तहत तहत फसल से शुद्ध आय 39800 रुपये + पीवी उत्पन्न बिजली 129352 यूनिट (फरवरी से दिसंबर 2021) और फसल से खुले क्षेत्र की शुद्ध आय 39445 रुपये हुई.
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दिल्ली सरकार की यह पायलट प्रोजेक्ट हैं. इसके सफल होने के बाद दिल्ली के किसानों को इसका फायदा दिया जाएगा. इस परियोजना की खास बात ये है कि इससे बिजली उत्पादन के साथ कम जमीन पर खेती के साथ अलग से कमाई कर सकते हैं. ऐसे में सरकार ने सौलर परियोजना की शुरुआत की है, इससे एक लाख रुपये तक कमाई अलग से हो सकती है.
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