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ओपन बुक ऑनलाइन एग्जाम पर DUTA ने किया सर्वे, छात्रों को सता रही चिंता

ऑनलाइन ओपन बुक एग्जाम को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ द्वारा आयोजित किए गए सर्वे कम रेफरेंडम में 5100 से अधिक छात्रों ने हिस्सा लिया. इस सर्वे में लगभग 85 फीसदी छात्रों ने ऑनलाइन ओपन बुक एग्जाम का विरोध किया है.

DUTA survey on open book online
ऑनलाइन एग्जाम पर DUTA ने किया सर्वे
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Published : May 26, 2020, 5:16 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में ऑनलाइन ओपन बुक एग्जाम कराने को लेकर विचार चल रहा है. वहीं इसका विरोध छात्र, शिक्षक प्रशासन के खिलाफ लगातार कर रहे हैं. इसी कड़ी में दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के द्वारा सर्वे कम रेफरेंडम किया गया जिसमें, 5100 से अधिक छात्रों ने डूटा के इस रेफरेंडम में ऑनलाइन हिस्सा लिया. वहीं अधिकतर छात्रों ने ऑनलाइन परीक्षा देने में असमर्थता जताई है.

ऑनलाइन एग्जाम पर DUTA ने किया सर्वे
अधिकतर छात्रों ने परीक्षा देने में जताई असमर्थता

वहीं ऑनलाइन ओपन बुक एग्जाम को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ द्वारा आयोजित किए गए सर्वे कम रेफरेंडम में 5100 से अधिक छात्रों ने हिस्सा लिया. इस सर्वे में लगभग 85 फीसदी छात्रों ने ऑनलाइन ओपन बुक एग्जाम का विरोध किया है. छात्रों ने कहा कि वह इस समय परीक्षा के लिए तैयार नहीं हैं.

survey of duta
DUTA का सर्वे

वहीं डूटा के अध्यक्ष राजीव रे ने कहा कि जिस बात को लेकर डूटा हमेशा से प्रशासन के ओपन बुक एग्जाम के फैसले का विरोध करता आया है उस बात पर अब छात्रों की भी मुहर लग गई है. छात्रों का कहना है कि इस समय ना ही परिस्थिति ऐसी है कि वह परीक्षा दे सके और ना ही उनके पास इस तरह के पर्याप्त संसाधन हैं.

फाइनल ईयर के छात्रों ने जताई भविष्य की चिंता

वहीं डूटा अध्यक्ष ने बताया कि सर्वे में सबसे ज्यादा अपनी परेशानी साझा की है स्नातक पाठ्यक्रम के फाइनल ईयर के छात्रों ने जिन्हें, अपने भविष्य को लेकर खासी चिंता सता रही है. वहीं छात्रों का कहना है कि डीयू प्रशासन ने ओपन बुक एग्जाम को लेकर जो फैसला किया है, वो केवल कुछ फीसदी छात्रों के हित में है अन्य छात्र इस परीक्षा में भाग नहीं ले सकेंगे क्योंकि ना उनके पास सही तरीके से इंटरनेट की सुविधा है और ना ही जरूरी संसाधन. इस तरह का कदम न्यायसंगत नहीं है.

survey of duta
DUTA का सर्वे

बाहरी प्रदेशों के छात्र होंगे परेशान

डूटा अध्यक्ष राजीव रे ने कहा कि इस सर्वे में जब छात्रों से जब पूछा गया उनके पास पाठ्य सामग्री उपलब्ध है या नहीं, स्मार्टफोन है कि नहीं तो उनमें से ज्यादातर ने इसके लिए ना ही कहा है. वहीं उन्होंने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले 50 फीसदी छात्र दिल्ली के बाहरी प्रदेशों के हैं जिनमें से जो उस समय अपने गांव-घर पहुंचे हैं वो जैसे-तैसे करके गुजारा कर रहे हैं जबकि कुछ तो अभी तक छात्रावास में फंसे हुए हैं.

ऐसे में ज्यादातर छात्रों के पास ना तो पाठ्य सामग्री उपलब्ध है और ना ही परीक्षा के लिए जरूरी अन्य संसाधन. वहीं छात्रों का कहना है कि कोरोना माहामारी में उनकी मनोदशा ऐसी नहीं है कि वो परीक्षा की तैयारी कर सकें.

प्रशासन ने नहीं किया किसी से विचार विमर्श

वहीं डूटा अध्यक्ष राजीव रे ने कहा कि डीयू प्रशासन ने बिना छात्रों, शिक्षकों या अन्य काउंसिल के सदस्यों से बात किए ओपन बुक ऑनलाइन एग्जाम कराने का निर्णय ले लिया जो कि पूरी तरह गलत है. वहीं इस सर्वे के द्वारा सामने आई छात्रों की समस्याओं का हवाला देते हुए डूटा की ओर से कहा गया है कि डीयू प्रशासन अपने फैसले पर दोबारा विचार करें और छात्रों के भविष्य को लेकर कोई अन्य विकल्प निकाले जो सबके हित में हो.

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में ऑनलाइन ओपन बुक एग्जाम कराने को लेकर विचार चल रहा है. वहीं इसका विरोध छात्र, शिक्षक प्रशासन के खिलाफ लगातार कर रहे हैं. इसी कड़ी में दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के द्वारा सर्वे कम रेफरेंडम किया गया जिसमें, 5100 से अधिक छात्रों ने डूटा के इस रेफरेंडम में ऑनलाइन हिस्सा लिया. वहीं अधिकतर छात्रों ने ऑनलाइन परीक्षा देने में असमर्थता जताई है.

ऑनलाइन एग्जाम पर DUTA ने किया सर्वे
अधिकतर छात्रों ने परीक्षा देने में जताई असमर्थता

वहीं ऑनलाइन ओपन बुक एग्जाम को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ द्वारा आयोजित किए गए सर्वे कम रेफरेंडम में 5100 से अधिक छात्रों ने हिस्सा लिया. इस सर्वे में लगभग 85 फीसदी छात्रों ने ऑनलाइन ओपन बुक एग्जाम का विरोध किया है. छात्रों ने कहा कि वह इस समय परीक्षा के लिए तैयार नहीं हैं.

survey of duta
DUTA का सर्वे

वहीं डूटा के अध्यक्ष राजीव रे ने कहा कि जिस बात को लेकर डूटा हमेशा से प्रशासन के ओपन बुक एग्जाम के फैसले का विरोध करता आया है उस बात पर अब छात्रों की भी मुहर लग गई है. छात्रों का कहना है कि इस समय ना ही परिस्थिति ऐसी है कि वह परीक्षा दे सके और ना ही उनके पास इस तरह के पर्याप्त संसाधन हैं.

फाइनल ईयर के छात्रों ने जताई भविष्य की चिंता

वहीं डूटा अध्यक्ष ने बताया कि सर्वे में सबसे ज्यादा अपनी परेशानी साझा की है स्नातक पाठ्यक्रम के फाइनल ईयर के छात्रों ने जिन्हें, अपने भविष्य को लेकर खासी चिंता सता रही है. वहीं छात्रों का कहना है कि डीयू प्रशासन ने ओपन बुक एग्जाम को लेकर जो फैसला किया है, वो केवल कुछ फीसदी छात्रों के हित में है अन्य छात्र इस परीक्षा में भाग नहीं ले सकेंगे क्योंकि ना उनके पास सही तरीके से इंटरनेट की सुविधा है और ना ही जरूरी संसाधन. इस तरह का कदम न्यायसंगत नहीं है.

survey of duta
DUTA का सर्वे

बाहरी प्रदेशों के छात्र होंगे परेशान

डूटा अध्यक्ष राजीव रे ने कहा कि इस सर्वे में जब छात्रों से जब पूछा गया उनके पास पाठ्य सामग्री उपलब्ध है या नहीं, स्मार्टफोन है कि नहीं तो उनमें से ज्यादातर ने इसके लिए ना ही कहा है. वहीं उन्होंने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले 50 फीसदी छात्र दिल्ली के बाहरी प्रदेशों के हैं जिनमें से जो उस समय अपने गांव-घर पहुंचे हैं वो जैसे-तैसे करके गुजारा कर रहे हैं जबकि कुछ तो अभी तक छात्रावास में फंसे हुए हैं.

ऐसे में ज्यादातर छात्रों के पास ना तो पाठ्य सामग्री उपलब्ध है और ना ही परीक्षा के लिए जरूरी अन्य संसाधन. वहीं छात्रों का कहना है कि कोरोना माहामारी में उनकी मनोदशा ऐसी नहीं है कि वो परीक्षा की तैयारी कर सकें.

प्रशासन ने नहीं किया किसी से विचार विमर्श

वहीं डूटा अध्यक्ष राजीव रे ने कहा कि डीयू प्रशासन ने बिना छात्रों, शिक्षकों या अन्य काउंसिल के सदस्यों से बात किए ओपन बुक ऑनलाइन एग्जाम कराने का निर्णय ले लिया जो कि पूरी तरह गलत है. वहीं इस सर्वे के द्वारा सामने आई छात्रों की समस्याओं का हवाला देते हुए डूटा की ओर से कहा गया है कि डीयू प्रशासन अपने फैसले पर दोबारा विचार करें और छात्रों के भविष्य को लेकर कोई अन्य विकल्प निकाले जो सबके हित में हो.

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