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DU: दिल्ली सरकार के सौ फीसदी वित्त पोषित कॉलेजों को अब तक है फंड का इंतजार - दिल्ली यूनिवर्सिटी

दिल्ली सरकार द्वारा सौ फीसदी वित्त पोषित डीयू के 12 कॉलेजों को अभी तक फंड जारी नहीं किया गया है. इसके चलते शिक्षकों और कर्मचारियों को अब तक वेतन नहीं दिया जा सका है. डूटा ने कहा कि ऐसा ही रवैया रहा, तो दोबारा से डीयू में शटडाउन करेंगे.

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Published : Apr 7, 2021, 1:52 AM IST

नई दिल्ली: डीयू में दिल्ली सरकार द्वारा सौ फीसदी वित्तपोषित कॉलेजों में फंड को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. अभी तक कॉलेजों को फंड नहीं मिला है, जिसके चलते कर्मचारियों और शिक्षकों को वेतन नहीं दिया जा सका है. वहीं, डूटा ने दिल्ली सरकार को चेतावनी दी है कि यदि वह समय से फंड जारी नहीं करते हैं, तो एक बार फिर शट डाउन किया जाएगा.

फंड के इंतजार में डीयू के कॉलेज

शिक्षकों को रोड पर उतरने के लिए किया मजबूर
बता दें कि डीयू के दिल्ली सरकार द्वारा 12 सौ फीसदी वित्त पोषित कॉलेजों के प्रिंसिपल की करीब दो सप्ताह पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया से मुलाकात हुई थी. इसमें सीएम ने 28.24 करोड़ रुपये की बकाया राशि जारी करने के आदेश देने की बात कही थी, लेकिन वह अब तक नहीं किया गया. डॉ. बीआर अंबेडकर कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. सुजीत कुमार ने कहा कि दिल्ली के शैक्षिक संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने का दावा करने वाली दिल्ली सरकार कर्मचारियों को वेतन तक नहीं दे पा रही हैं. उन्होंने कहा कि आज दिल्ली सरकार की अनदेखी का ही नतीजा है कि कोविड-19 में भी शिक्षकों को रोड पर उतरना पड़ रहा है. जो भी शिक्षक क्लास लेता है, वेतन पाना उसका अधिकार है, लेकिन फंड के अभाव में फरवरी से ही किसी को वेतन नहीं मिल पाया है.

ये भी पढ़ेंःदिल्ली नाइट कर्फ्यूः इमरजेंसी सेवाओं को छोड़कर सभी मूवमेंट पर रोक

फंड देरी से जारी होने पर टैक्स के दायरे में आएंगे शिक्षक
डॉ. सुजीत कुमार का कहना है कि नया फाइनेंशियल ईयर शुरू हो गया, लेकिन अभी तक फंड नहीं जारी हुआ. ऐसे में, जो कर्मचारी टैक्स के दायरे में नहीं आते थे, वह भी सरकार की गलती के चलते टैक्स के दायरे में आ जाएंगे.

ये भी पढ़ेंःबढ़ते कोरोना के बीच प्लाज्मा की किल्लत, गम्भीर हो सकती है स्थिति

फंड ना मिलने से आ रही है आर्थिक समस्या

डॉ. सुजीत कुमार ने कहा कि दिल्ली सरकार ने यह वादा किया था कि 28 करोड़ रुपये की बकाया राशि जल्द ही जारी करेंगे. मीडिया में भी यह बात सार्वजनिक करने के बाद भी अभी तक फंड का कोई अता पता नहीं है. दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यरत टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ के बहुत से ऐसे खर्चे हैं, जो वेतन ना मिलने की वजह से रुक गए हैं, जिससे उन्हें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

फंड नहीं मिला तो एक बार फिर शटडाउन करेंगे शिक्षक

डूटा के उपाध्यक्ष आलोक रंजन पांडेय का कहना है कि दिल्ली सरकार द्वारा समय पर फंड जारी नहीं किया जा सका है. इसके चलते डीयू में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों के परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है. शिक्षक एक बार फिर शटडाउन की ओर बढ़ने को मजबूर हैं. अब तक शिक्षक कई जगहों पर जाकर जनसंवाद आयोजित कर चुके हैं. सरकार का फंड को लेकर यही रवैया रहा, तो जल्द ही सभी शिक्षक उन सभी इलाकों में जाएंगे, जहां से दिल्ली सरकार ने मत हासिल किया है और वहां पर जनसंवाद आयोजित करेंगे.

ये भी पढ़ेंःनरेला-बवाना फ्लाईओवर शुरू, जाम से मिलेगा छुटकारा

फंड की समस्या का समाधान निकालना हो रहा हैं मुश्किल

उन्होंने दिल्ली सरकार से मांग की है कि कुछ ऐसी व्यवस्था करें कि कॉलेजों में समय पर फंड जारी हो सके, जिससे सभी शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन दिया जा सके. इसके साथ ही उन्होंने एग्जीक्यूटिव काउंसिल और एकेडमिक काउंसिल की बैठक में इस मुद्दे को उठाए जाने की बात कही है, जिससे इस मुद्दे को जल्द सुलझाया जा सके. इसके अलावा उन्होंने पैटर्न ऑफ असिस्टेंस को भी वापस लेने की मांग की है.

ये कॉलेज हैं दिल्ली सरकार द्वारा सौ फ़ीसदी वित्त पोषित

बता दें कि डॉ. बीआर अंबेडकर कॉलेज, आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज, भगिनी निवेदिता कॉलेज, केशव महाविद्यालय, आदिति महाविद्यालय, दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज, भास्कराचार्य कॉलेज आफ अप्लाइड साइंसेज, महर्षि वाल्मीकि कॉलेज, शहीद सुखदेव कॉलेज आफ बिजनेस स्टडीज, इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, शहीद राजगुरू कॉलेज ऑफ अप्लाइड साइंस फॉर वूमेन दिल्ली सरकार द्वारा सौ फीसदी वित्त पोषित कॉलेज हैं.

नई दिल्ली: डीयू में दिल्ली सरकार द्वारा सौ फीसदी वित्तपोषित कॉलेजों में फंड को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. अभी तक कॉलेजों को फंड नहीं मिला है, जिसके चलते कर्मचारियों और शिक्षकों को वेतन नहीं दिया जा सका है. वहीं, डूटा ने दिल्ली सरकार को चेतावनी दी है कि यदि वह समय से फंड जारी नहीं करते हैं, तो एक बार फिर शट डाउन किया जाएगा.

फंड के इंतजार में डीयू के कॉलेज

शिक्षकों को रोड पर उतरने के लिए किया मजबूर
बता दें कि डीयू के दिल्ली सरकार द्वारा 12 सौ फीसदी वित्त पोषित कॉलेजों के प्रिंसिपल की करीब दो सप्ताह पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया से मुलाकात हुई थी. इसमें सीएम ने 28.24 करोड़ रुपये की बकाया राशि जारी करने के आदेश देने की बात कही थी, लेकिन वह अब तक नहीं किया गया. डॉ. बीआर अंबेडकर कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. सुजीत कुमार ने कहा कि दिल्ली के शैक्षिक संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने का दावा करने वाली दिल्ली सरकार कर्मचारियों को वेतन तक नहीं दे पा रही हैं. उन्होंने कहा कि आज दिल्ली सरकार की अनदेखी का ही नतीजा है कि कोविड-19 में भी शिक्षकों को रोड पर उतरना पड़ रहा है. जो भी शिक्षक क्लास लेता है, वेतन पाना उसका अधिकार है, लेकिन फंड के अभाव में फरवरी से ही किसी को वेतन नहीं मिल पाया है.

ये भी पढ़ेंःदिल्ली नाइट कर्फ्यूः इमरजेंसी सेवाओं को छोड़कर सभी मूवमेंट पर रोक

फंड देरी से जारी होने पर टैक्स के दायरे में आएंगे शिक्षक
डॉ. सुजीत कुमार का कहना है कि नया फाइनेंशियल ईयर शुरू हो गया, लेकिन अभी तक फंड नहीं जारी हुआ. ऐसे में, जो कर्मचारी टैक्स के दायरे में नहीं आते थे, वह भी सरकार की गलती के चलते टैक्स के दायरे में आ जाएंगे.

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फंड ना मिलने से आ रही है आर्थिक समस्या

डॉ. सुजीत कुमार ने कहा कि दिल्ली सरकार ने यह वादा किया था कि 28 करोड़ रुपये की बकाया राशि जल्द ही जारी करेंगे. मीडिया में भी यह बात सार्वजनिक करने के बाद भी अभी तक फंड का कोई अता पता नहीं है. दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यरत टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ के बहुत से ऐसे खर्चे हैं, जो वेतन ना मिलने की वजह से रुक गए हैं, जिससे उन्हें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

फंड नहीं मिला तो एक बार फिर शटडाउन करेंगे शिक्षक

डूटा के उपाध्यक्ष आलोक रंजन पांडेय का कहना है कि दिल्ली सरकार द्वारा समय पर फंड जारी नहीं किया जा सका है. इसके चलते डीयू में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों के परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है. शिक्षक एक बार फिर शटडाउन की ओर बढ़ने को मजबूर हैं. अब तक शिक्षक कई जगहों पर जाकर जनसंवाद आयोजित कर चुके हैं. सरकार का फंड को लेकर यही रवैया रहा, तो जल्द ही सभी शिक्षक उन सभी इलाकों में जाएंगे, जहां से दिल्ली सरकार ने मत हासिल किया है और वहां पर जनसंवाद आयोजित करेंगे.

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फंड की समस्या का समाधान निकालना हो रहा हैं मुश्किल

उन्होंने दिल्ली सरकार से मांग की है कि कुछ ऐसी व्यवस्था करें कि कॉलेजों में समय पर फंड जारी हो सके, जिससे सभी शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन दिया जा सके. इसके साथ ही उन्होंने एग्जीक्यूटिव काउंसिल और एकेडमिक काउंसिल की बैठक में इस मुद्दे को उठाए जाने की बात कही है, जिससे इस मुद्दे को जल्द सुलझाया जा सके. इसके अलावा उन्होंने पैटर्न ऑफ असिस्टेंस को भी वापस लेने की मांग की है.

ये कॉलेज हैं दिल्ली सरकार द्वारा सौ फ़ीसदी वित्त पोषित

बता दें कि डॉ. बीआर अंबेडकर कॉलेज, आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज, भगिनी निवेदिता कॉलेज, केशव महाविद्यालय, आदिति महाविद्यालय, दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज, भास्कराचार्य कॉलेज आफ अप्लाइड साइंसेज, महर्षि वाल्मीकि कॉलेज, शहीद सुखदेव कॉलेज आफ बिजनेस स्टडीज, इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, शहीद राजगुरू कॉलेज ऑफ अप्लाइड साइंस फॉर वूमेन दिल्ली सरकार द्वारा सौ फीसदी वित्त पोषित कॉलेज हैं.

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