ETV Bharat / city

जानिए दिल्ली पुलिस की उन महिला आईपीएस को, जिन्होंने जीता लोगों का दिल

दिल्ली पुलिस में कई ऐसी महिला आईपीएस अधिकारी हैं, जिन्होंने अपनी क्षमताओं से पुलिस विभाग को एक नई पहचान दी. एक तरफ बदमाशों में खौफ उत्पन्न कराया. वहीं, दूसरी तरफ शांति व्यवस्था बहाल करने में अहम भूमिका अदा की.

दिल्ली पुलिस महिला आईपीएस
दिल्ली पुलिस महिला आईपीएस
author img

By

Published : Oct 15, 2021, 12:13 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली पुलिस में कई ऐसी महिला आईपीएस अधिकारी रही हैं, जिन्होंने अपने काम से लोगों का दिल जीता. किसी ने अपराध को लेकर सख्ती से काम किया तो किसी ने बिना डरे कानून का पालन किया. इन महिला अधिकारियों ने दिल्ली पुलिस में काम करते समय इस तरह की छाप छोड़ी. इसके चलते आज भी उनका नाम सम्मान से लिया जा रहा है. कौन है यह आईपीएस महिला अधिकारी, आइए हम आपको बताते हैं.


महिला आईपीएस अधिकारियों में सबसे पहला नाम 1972 बैच की आईपीएस अधिकारी किरण बेदी का आता है. वह देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी रही हैं. किरण बेदी को न केवल अपराध पर लगाम लगाने के लिए जाना जाता है, बल्कि कानून का पालन करवाना भी उनकी हमेशा प्राथमिकता रही है. ट्रैफिक पुलिस में रहने के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गाड़ी क्रेन से उठाने वाले पुलिसकर्मी को सपोर्ट करना हो या उत्तरी जिला में रहते हुए वकीलों से हुई झड़प, कहीं पर भी उन्होंने कानून को टूटने नहीं दिया. तिहाड़ जेल की डीजी रहने के दौरान उन्होंने जिस तरीके के कैदियों के लिए सुधार कार्य किए, वह आज तक एक मिसाल के रूप में माने जाते हैं.


पूर्व पुलिस कमिश्नर केके पाल, जब सेवानिवृत्त हुए तो उम्मीद थी कि उन्हें पुलिस कमिश्नर बनाया जाएगा. उनकी जगह उनके जूनियर युद्धवीर सिंह डडवाल को दिल्ली पुलिस कमिश्नर की कमान सौंपी गई थी. इसके चलते, उन्होंने वीआरएस ले लिया था. वीआरएस लेने के बाद उन्होंने रामलीला मैदान में हुए अन्ना आंदोलन में हिस्सा लिया. वह भाजपा की दिल्ली सीएम उम्मीदवार रहने के अलावा पुड्डुचेरी की उपराज्यपाल भी रहीं. किरण बेदी को आज भी दिल्ली पुलिस फोर्स द्वारा वही सम्मान दिया जाता है, जो उन्हें पहले मिलता था.


ये भी पढ़ें-त्योहारों के मद्देनजर दिल्ली पुलिस सतर्क, वेस्ट दिल्ली डीसीपी ने दलबल के साथ की पेट्रोलिंग

महिला आईपीएस बनकर दिल्ली पुलिस में बेहतरीन काम करने वाली अधिकारी छाया शर्मा वर्ष 1999 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं. वह बाहरी दिल्ली के अलावा दक्षिणी जिला डीसीपी भी रही हैं. दक्षिणी जिला की डीसीपी रहने के दौरान उनके क्षेत्र वसंत विहार में निर्भया गैंगरेप की वारदात 16 दिसंबर 2012 को हुई थी. इस वारदात के बाद जनता में काफी रोष था और आरोपियों को पकड़ना बड़ी चुनौती. लेकिन 48 घंटों के भीतर उनकी टीम वसंत विहार गैंगरेप के आरोपियों को पकड़ने में कामयाब रही थी. उनकी कार्यकुशलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ना केवल गिरफ्तारी बल्कि आरोपियों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने के समय तक वह लगातार इस केस से जुड़ी रहीं. फिलहाल छाया शर्मा सीवीसी में डायरेक्टर के पद पर काम कर रही हैं. कुछ समय बाद वह दिल्ली पुलिस में बतौर संयुक्त आयुक्त लौट सकती हैं.



ये भी पढ़ें-रेप केस मैनेज करने के लिए दुष्कर्म आरोपित सब इंस्पेक्टर से रिश्वत लेते दो पुलिसकर्मी गिरफ्तार

2000 बैच की महिला आईपीएस अधिकारी मीनू चौधरी उत्तर-पश्चिम जिला डीसीपी रही हैं. इस जिले में जहांगीर पुरी, आदर्श नगर, भारत नगर जैसे क्षेत्र आते हैं, जहां काफी अपराध होता है. उन्होंने अपने कार्यकाल में इस क्षेत्र में अपराध पर काफी लगाम लगाई. वह बेहद शांति और गंभीरता से काम करने वाली अधिकारी हैं. डीसीपी रहते हुए उन्हें बेहतरीन जांच के लिए जाना जाता था. दिल्ली पुलिस में वह बीते दो साल से संयुक्त आयुक्त ट्रैफिक पुलिस का काम संभाल रही थीं. हाल ही में उन्हें दिल्ली की सबसे महत्वपूर्ण दक्षिण रेंज का संयुक्त आयुक्त लगाया गया है. यहां पर उनकी दोनों डीसीपी भी महिला आईपीएस हैं. ऐसे में पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने उन पर विश्वास जताते हुए यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है.




उत्तर-पश्चिमी जिले की एक अन्य डीसीपी 2009 बैच की आईपीएस विजयंता आर्य रही हैं. लगभग डेढ़ साल तक इस जिले की कमान संभालने के दौरान उन्होंने एक तरफ जहां लोगों के बीच कोविड-19 राहत कार्य को महत्वपूर्ण तरीके से संभाला तो वहीं दूसरी तरफ अपराध पर लगाम लगाने के लिए भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाएं. उनके द्वारा जेजे क्लस्टर इलाके में 'नाजुक' नाम से एक विशेष अभियान चलाया गया. इस अभियान के तहत जेजे क्लस्टर इलाके में जाकर बच्चियों और उनके परिवार को जागरूक किया जाता था. इसका मकसद बच्चियों को अपराध से अवगत कराना और उन्हें मजबूत एवं सुरक्षित बनाना था. उनके इस काम को तत्कालीन पुलिस कमिश्नर द्वारा काफी सराहा गया था. उन्होंने कई अन्य जिलों में भी उनकी इस पहल को अपनाने के निर्देश दिए थे. फिलहाल विजयंता आर्य नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रही हैं.

नई दिल्लीः दिल्ली पुलिस में कई ऐसी महिला आईपीएस अधिकारी रही हैं, जिन्होंने अपने काम से लोगों का दिल जीता. किसी ने अपराध को लेकर सख्ती से काम किया तो किसी ने बिना डरे कानून का पालन किया. इन महिला अधिकारियों ने दिल्ली पुलिस में काम करते समय इस तरह की छाप छोड़ी. इसके चलते आज भी उनका नाम सम्मान से लिया जा रहा है. कौन है यह आईपीएस महिला अधिकारी, आइए हम आपको बताते हैं.


महिला आईपीएस अधिकारियों में सबसे पहला नाम 1972 बैच की आईपीएस अधिकारी किरण बेदी का आता है. वह देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी रही हैं. किरण बेदी को न केवल अपराध पर लगाम लगाने के लिए जाना जाता है, बल्कि कानून का पालन करवाना भी उनकी हमेशा प्राथमिकता रही है. ट्रैफिक पुलिस में रहने के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गाड़ी क्रेन से उठाने वाले पुलिसकर्मी को सपोर्ट करना हो या उत्तरी जिला में रहते हुए वकीलों से हुई झड़प, कहीं पर भी उन्होंने कानून को टूटने नहीं दिया. तिहाड़ जेल की डीजी रहने के दौरान उन्होंने जिस तरीके के कैदियों के लिए सुधार कार्य किए, वह आज तक एक मिसाल के रूप में माने जाते हैं.


पूर्व पुलिस कमिश्नर केके पाल, जब सेवानिवृत्त हुए तो उम्मीद थी कि उन्हें पुलिस कमिश्नर बनाया जाएगा. उनकी जगह उनके जूनियर युद्धवीर सिंह डडवाल को दिल्ली पुलिस कमिश्नर की कमान सौंपी गई थी. इसके चलते, उन्होंने वीआरएस ले लिया था. वीआरएस लेने के बाद उन्होंने रामलीला मैदान में हुए अन्ना आंदोलन में हिस्सा लिया. वह भाजपा की दिल्ली सीएम उम्मीदवार रहने के अलावा पुड्डुचेरी की उपराज्यपाल भी रहीं. किरण बेदी को आज भी दिल्ली पुलिस फोर्स द्वारा वही सम्मान दिया जाता है, जो उन्हें पहले मिलता था.


ये भी पढ़ें-त्योहारों के मद्देनजर दिल्ली पुलिस सतर्क, वेस्ट दिल्ली डीसीपी ने दलबल के साथ की पेट्रोलिंग

महिला आईपीएस बनकर दिल्ली पुलिस में बेहतरीन काम करने वाली अधिकारी छाया शर्मा वर्ष 1999 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं. वह बाहरी दिल्ली के अलावा दक्षिणी जिला डीसीपी भी रही हैं. दक्षिणी जिला की डीसीपी रहने के दौरान उनके क्षेत्र वसंत विहार में निर्भया गैंगरेप की वारदात 16 दिसंबर 2012 को हुई थी. इस वारदात के बाद जनता में काफी रोष था और आरोपियों को पकड़ना बड़ी चुनौती. लेकिन 48 घंटों के भीतर उनकी टीम वसंत विहार गैंगरेप के आरोपियों को पकड़ने में कामयाब रही थी. उनकी कार्यकुशलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ना केवल गिरफ्तारी बल्कि आरोपियों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने के समय तक वह लगातार इस केस से जुड़ी रहीं. फिलहाल छाया शर्मा सीवीसी में डायरेक्टर के पद पर काम कर रही हैं. कुछ समय बाद वह दिल्ली पुलिस में बतौर संयुक्त आयुक्त लौट सकती हैं.



ये भी पढ़ें-रेप केस मैनेज करने के लिए दुष्कर्म आरोपित सब इंस्पेक्टर से रिश्वत लेते दो पुलिसकर्मी गिरफ्तार

2000 बैच की महिला आईपीएस अधिकारी मीनू चौधरी उत्तर-पश्चिम जिला डीसीपी रही हैं. इस जिले में जहांगीर पुरी, आदर्श नगर, भारत नगर जैसे क्षेत्र आते हैं, जहां काफी अपराध होता है. उन्होंने अपने कार्यकाल में इस क्षेत्र में अपराध पर काफी लगाम लगाई. वह बेहद शांति और गंभीरता से काम करने वाली अधिकारी हैं. डीसीपी रहते हुए उन्हें बेहतरीन जांच के लिए जाना जाता था. दिल्ली पुलिस में वह बीते दो साल से संयुक्त आयुक्त ट्रैफिक पुलिस का काम संभाल रही थीं. हाल ही में उन्हें दिल्ली की सबसे महत्वपूर्ण दक्षिण रेंज का संयुक्त आयुक्त लगाया गया है. यहां पर उनकी दोनों डीसीपी भी महिला आईपीएस हैं. ऐसे में पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने उन पर विश्वास जताते हुए यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है.




उत्तर-पश्चिमी जिले की एक अन्य डीसीपी 2009 बैच की आईपीएस विजयंता आर्य रही हैं. लगभग डेढ़ साल तक इस जिले की कमान संभालने के दौरान उन्होंने एक तरफ जहां लोगों के बीच कोविड-19 राहत कार्य को महत्वपूर्ण तरीके से संभाला तो वहीं दूसरी तरफ अपराध पर लगाम लगाने के लिए भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाएं. उनके द्वारा जेजे क्लस्टर इलाके में 'नाजुक' नाम से एक विशेष अभियान चलाया गया. इस अभियान के तहत जेजे क्लस्टर इलाके में जाकर बच्चियों और उनके परिवार को जागरूक किया जाता था. इसका मकसद बच्चियों को अपराध से अवगत कराना और उन्हें मजबूत एवं सुरक्षित बनाना था. उनके इस काम को तत्कालीन पुलिस कमिश्नर द्वारा काफी सराहा गया था. उन्होंने कई अन्य जिलों में भी उनकी इस पहल को अपनाने के निर्देश दिए थे. फिलहाल विजयंता आर्य नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रही हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.