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INX मीडिया डील मामले में ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर फैसला सुरक्षित

दिल्ली हाईकोर्ट ने INX मीडिया डील मामले में जांच के दौरान दर्ज बयानों और दस्तावेजों की प्रति आरोपियों को देने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.

आईएनएक्स मीडिया डील केस
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Published : Aug 27, 2021, 3:45 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने INX मीडिया डील मामले में जांच के दौरान दर्ज बयानों और दस्तावेजों की प्रति आरोपियों को देने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. जस्टिस मुक्ता गुप्ता की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.




पिछले 9 अगस्त को कोर्ट ने सीबीआई से कहा था कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जब चार्जशीट दाखिल किया जाता है, उसके बाद जांच एजेंसी को उन सभी दस्तावेजों की सूची बनाएगी, जिन पर वह भरोसा करती है. अगर आरोपी चाहे तो आवेदन देकर दस्तावेजों का परीक्षण कर सकता है. उसके बाद सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को पढ़ने के लिए समय देने की मांग की.



ये भी पढ़ें-Delhi High Court: INX मीडिया डील मामले में ट्रायल कोर्ट में सुनवाई पर लगी रोक 27 अगस्त तक बढ़ी

पिछले 18 मई को सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से वकील अनुपम एस शर्मा और प्रकर्ष ऐरन ने पिछले 5 मार्च को स्पेशल सीबीआई जज एमके नागपाल के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि ट्रायल कोर्ट ने अपने क्षेत्राधिकार का उल्लंघन किया और सीबीआई को निर्देश दिया था कि वो जांच के दौरान मिले सभी दस्तावेजों और बयानों को कोर्ट में पेश करें और उनकी प्रति आरोपियों को दें. उन्होंने कहा था कि कोर्ट ने ये भी जानने की कोशिश नहीं की कि सीबीआई उन दस्तावेजों को आधार बना रही है कि नहीं. उन्होंने कहा था कि अपराध प्रक्रिया संहिता में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि कोर्ट जांच एजेंसी को निर्देश दें कि वो उन दस्तावेजों को सौंपने का निर्देश दे, जिस पर वो भरोसा नहीं भी कर रही है.



ये भी पढ़ें-आईएनएक्स मीडिया मामला : पी चिदंबरम की याचिका पर ईडी को अदालत का नोटिस

पिछले 24 मार्च को कोर्ट ने ईडी की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. कोर्ट ने मनी लाउंड्रिंग एक्ट की धारा 3 और 70 के तहत दायर चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. इस मामले में सीबीआई ने 15 मई 2017 को एफआईआर दर्ज किया था. इसके बाद ईडी ने 18 मई 2017 को एफआईआर दर्ज किया था. सीबीआई ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 420 और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 8, 12(2) और 13(1)(डी) के तहत आरोप लगाए हैं. ये एफआईआर INX मीडिया की निदेशक इंद्राणी मुखर्जी और चीफ आपरेटिंग अफसर पीटर मुखर्जी की शिकायत पर दर्ज किया गया था. कार्ति चिदंबरम पर आरोप है कि उसने फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) से अनुमति दिलवाने के लिए आईएनएक्स मीडिया से पैसे वसूले थे.


इस मामले में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है, उनमें पी चिदंबरम, कार्ति चिदंबरम, सुब्रमण्यम भास्करन, मेसर्स एडवांटेज स्ट्रेटैजिक कंसल्टिंग सिंगापुर लिमिटेड, आईएनएक्स मीडिया प्राइवेट लिमिटेड एडवांटेज इस्ट्रेटेजिया इस्पोर्टिवा एसएलयू, मेसर्स क्रिया एफएमसीजी डिस्ट्रिब्युटर्स प्राईवेट लिमिटेड और मेसर्स नॉर्थ स्टार सॉफ्टवेयर साल्युशंस प्राईवेट लिमिटेड कंसल्टेंसी प्राईवेट लिमिटेड शामिल हैं.

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने INX मीडिया डील मामले में जांच के दौरान दर्ज बयानों और दस्तावेजों की प्रति आरोपियों को देने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. जस्टिस मुक्ता गुप्ता की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.




पिछले 9 अगस्त को कोर्ट ने सीबीआई से कहा था कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जब चार्जशीट दाखिल किया जाता है, उसके बाद जांच एजेंसी को उन सभी दस्तावेजों की सूची बनाएगी, जिन पर वह भरोसा करती है. अगर आरोपी चाहे तो आवेदन देकर दस्तावेजों का परीक्षण कर सकता है. उसके बाद सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को पढ़ने के लिए समय देने की मांग की.



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पिछले 18 मई को सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से वकील अनुपम एस शर्मा और प्रकर्ष ऐरन ने पिछले 5 मार्च को स्पेशल सीबीआई जज एमके नागपाल के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि ट्रायल कोर्ट ने अपने क्षेत्राधिकार का उल्लंघन किया और सीबीआई को निर्देश दिया था कि वो जांच के दौरान मिले सभी दस्तावेजों और बयानों को कोर्ट में पेश करें और उनकी प्रति आरोपियों को दें. उन्होंने कहा था कि कोर्ट ने ये भी जानने की कोशिश नहीं की कि सीबीआई उन दस्तावेजों को आधार बना रही है कि नहीं. उन्होंने कहा था कि अपराध प्रक्रिया संहिता में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि कोर्ट जांच एजेंसी को निर्देश दें कि वो उन दस्तावेजों को सौंपने का निर्देश दे, जिस पर वो भरोसा नहीं भी कर रही है.



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पिछले 24 मार्च को कोर्ट ने ईडी की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. कोर्ट ने मनी लाउंड्रिंग एक्ट की धारा 3 और 70 के तहत दायर चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. इस मामले में सीबीआई ने 15 मई 2017 को एफआईआर दर्ज किया था. इसके बाद ईडी ने 18 मई 2017 को एफआईआर दर्ज किया था. सीबीआई ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 420 और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 8, 12(2) और 13(1)(डी) के तहत आरोप लगाए हैं. ये एफआईआर INX मीडिया की निदेशक इंद्राणी मुखर्जी और चीफ आपरेटिंग अफसर पीटर मुखर्जी की शिकायत पर दर्ज किया गया था. कार्ति चिदंबरम पर आरोप है कि उसने फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) से अनुमति दिलवाने के लिए आईएनएक्स मीडिया से पैसे वसूले थे.


इस मामले में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है, उनमें पी चिदंबरम, कार्ति चिदंबरम, सुब्रमण्यम भास्करन, मेसर्स एडवांटेज स्ट्रेटैजिक कंसल्टिंग सिंगापुर लिमिटेड, आईएनएक्स मीडिया प्राइवेट लिमिटेड एडवांटेज इस्ट्रेटेजिया इस्पोर्टिवा एसएलयू, मेसर्स क्रिया एफएमसीजी डिस्ट्रिब्युटर्स प्राईवेट लिमिटेड और मेसर्स नॉर्थ स्टार सॉफ्टवेयर साल्युशंस प्राईवेट लिमिटेड कंसल्टेंसी प्राईवेट लिमिटेड शामिल हैं.

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