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बिजनेस लोन के नाम पर लाखों ठगे, महिला सहित दो आरोपी गिरफ्तार - दिल्ली में लोन के नाम पर ठगी

दिल्ली पुलिस (delhi police news) ने दो ऐसे शातिर ठगों को गिरफ्तार किया है जो बिजनेस लोन (fraud in name of business loan) दिलाने का लालच देकर लाखों की चीटिंग करते थे. गिरफ्तार आरोपी की पहचान जितेंद्र सिंह और गीता चौहान के रूप में हुई है. दोनों पति-पत्नी है.

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दिल्ली अपराध समाचार
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Published : Jan 16, 2022, 7:13 PM IST

नई दिल्ली : बिजनेस लोन (fraud in name of business loan) दिलाने का लालच देकर लाखों की चीटिंग के मामले का खुलासा करते हुए दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच (delhi crime branch police) ने दो शातिर ठगों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपी की पहचान जितेंद्र सिंह और गीता चौहान के रूप में हुई है. यह दोनों उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले हैं. उसके पास से लैपटॉप, तीन मोबाइल और छह सिम कार्ड बरामद की गई.

क्राइम ब्रांच के एडिशनल कमिश्नर शिवेश सिंह ने बताया कि चीटिंग के इस मामले में पिछले साल पुष्पेंद्र और हरीश बघेल को भी गिरफ्तार किया जा चुका है. पुलिस के अनुसार, पिछले साल मई महीने में गूगल पर एक विज्ञापन डाला गया था. इसमें बिजनेस लोन कम प्रोसेसिंग फी पर देने का वादा किया गया था. दिल्ली के सब्जी मंडी इलाके में प्रिंटिंग प्रेस का बिजनेस करने वाले पंकज ने उस नंबर पर कांटेक्ट किया और बिजनेस लोन के लिए उनसे संपर्क किया. जिस शख्स ने फोन पर बात की, उसने अपनी पहचान सुमित कुमार के रूप में बताया.

उसने एक नेशनल फाइनेंस कंपनी का एग्जीक्यूटिव बताकर पंकज को 45 लाख रुपये का लोन दिलाने का भरोसा दिया. शुरुआत में 45 हजार जरूरी डॉक्यूमेंट पूरा करने के लिए व्हाट्सएप के जरिए सुमित को पंकज ने डॉक्यूमेंट दिए. दो दिन के बाद सुमित ने 45 लाख के लोन अप्रूव करने के बारे में बताया और उसने पंकज को 45 लाख अमाउंट का चेक का फोटो व्हाट्सएप पर पंकज को भेजा. उसके बाद 45, 200 रुपये प्रोसेसिंग फी के रूप में पंकज ने सुमित को गूगल पे किया.

इसे भी पढ़ेंः लूट में वांछित आरोपी गिरफ्तार, अदालत ने किया था भगोड़ा घोषित

कुछ समय के बाद सुमित ने पंकज को बताया कि टेक्निकल प्रॉब्लम की वजह से 45 लाख रुपये का अमाउंट पंकज के अमाउंट में ट्रांसफर नहीं हो रहा है. उसने सुमित को उसकी कंपनी के अकाउंट से एक अमाउंट ट्रांसफर करने के लिए तैयार किया, जिससे कि पंकज का लोन का अमाउंट उसके अकाउंट में आसानी से जा सके. पंकज द्वारा भेजे गए अमाउंट को लोन अमाउंट के साथ भेजने का भरोसा दिया. पंकज ने साढ़े 13 लाख रुपये का अमाउंट झांसे में आकर सुमित के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया. लेकिन सुमित द्वारा पंकज के अकाउंट में 45 लाख रुपये का लॉन अमाउंट नहीं पहुंचा. उसके बाद सुमित ने कॉल उठाना भी बंद कर दिया. इसके बाद पंकज इस मामले की शिकायत क्राइम ब्रांच के थाने में की. एसीपी डॉक्टर विकास की देखरेख में इंस्पेक्टर श्याम श्रीवास्तव, एएसआई प्रीतम, हेड कॉन्स्टेबल अनिल कुमार, रविंद्र कुमार, कॉन्स्टेबल राजेंद्र, रविंदर और लेडी कॉन्स्टेबल ममता यादव की टीम ने छानबीन शुरू की.

ये भी पढ़ें : नोएडा में पुलिस और बदमाश के बीच मुठभेड़, एक बदमाश को लगी गोली

जांच में पता चला कि सुमित का सही नाम पुष्पेंद्र सिंह चौहान है. वह बुलंदशहर का रहने वाला है. उसे पिछले साल अक्टूबर महीने में खुर्जा यूपी से गिरफ्तार किया गया. साथ ही उसके सहयोगी हरीश बघेल को भी नवंबर महीने में गिरफ्तार कर लिया गया. जबकि इस मामले में दो और आरोपियों की पुलिस को तलाश थी. उसी मामले में आगे की छानबीन करते हुए पुलिस टीम ने फिर 13 जनवरी 2022 को जितेंद्र सिंह और गीता को भी गिरफ्तार कर लिया. गीता, पुष्पेंद्र सिंह की पत्नी है. पूछताछ में पता चला कि यह लोग एक नेशनल फाइनेंस कंपनी के नाम पर एडवर्टाइजमेंट देते थे. अलग-अलग तरह के लोन के नाम पर, फिर उनसे कांटेक्ट होने पर बेवकूफ बना करके उनसे चीटिंग की वारदात को अंजाम देते थे.

नई दिल्ली : बिजनेस लोन (fraud in name of business loan) दिलाने का लालच देकर लाखों की चीटिंग के मामले का खुलासा करते हुए दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच (delhi crime branch police) ने दो शातिर ठगों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपी की पहचान जितेंद्र सिंह और गीता चौहान के रूप में हुई है. यह दोनों उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले हैं. उसके पास से लैपटॉप, तीन मोबाइल और छह सिम कार्ड बरामद की गई.

क्राइम ब्रांच के एडिशनल कमिश्नर शिवेश सिंह ने बताया कि चीटिंग के इस मामले में पिछले साल पुष्पेंद्र और हरीश बघेल को भी गिरफ्तार किया जा चुका है. पुलिस के अनुसार, पिछले साल मई महीने में गूगल पर एक विज्ञापन डाला गया था. इसमें बिजनेस लोन कम प्रोसेसिंग फी पर देने का वादा किया गया था. दिल्ली के सब्जी मंडी इलाके में प्रिंटिंग प्रेस का बिजनेस करने वाले पंकज ने उस नंबर पर कांटेक्ट किया और बिजनेस लोन के लिए उनसे संपर्क किया. जिस शख्स ने फोन पर बात की, उसने अपनी पहचान सुमित कुमार के रूप में बताया.

उसने एक नेशनल फाइनेंस कंपनी का एग्जीक्यूटिव बताकर पंकज को 45 लाख रुपये का लोन दिलाने का भरोसा दिया. शुरुआत में 45 हजार जरूरी डॉक्यूमेंट पूरा करने के लिए व्हाट्सएप के जरिए सुमित को पंकज ने डॉक्यूमेंट दिए. दो दिन के बाद सुमित ने 45 लाख के लोन अप्रूव करने के बारे में बताया और उसने पंकज को 45 लाख अमाउंट का चेक का फोटो व्हाट्सएप पर पंकज को भेजा. उसके बाद 45, 200 रुपये प्रोसेसिंग फी के रूप में पंकज ने सुमित को गूगल पे किया.

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कुछ समय के बाद सुमित ने पंकज को बताया कि टेक्निकल प्रॉब्लम की वजह से 45 लाख रुपये का अमाउंट पंकज के अमाउंट में ट्रांसफर नहीं हो रहा है. उसने सुमित को उसकी कंपनी के अकाउंट से एक अमाउंट ट्रांसफर करने के लिए तैयार किया, जिससे कि पंकज का लोन का अमाउंट उसके अकाउंट में आसानी से जा सके. पंकज द्वारा भेजे गए अमाउंट को लोन अमाउंट के साथ भेजने का भरोसा दिया. पंकज ने साढ़े 13 लाख रुपये का अमाउंट झांसे में आकर सुमित के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया. लेकिन सुमित द्वारा पंकज के अकाउंट में 45 लाख रुपये का लॉन अमाउंट नहीं पहुंचा. उसके बाद सुमित ने कॉल उठाना भी बंद कर दिया. इसके बाद पंकज इस मामले की शिकायत क्राइम ब्रांच के थाने में की. एसीपी डॉक्टर विकास की देखरेख में इंस्पेक्टर श्याम श्रीवास्तव, एएसआई प्रीतम, हेड कॉन्स्टेबल अनिल कुमार, रविंद्र कुमार, कॉन्स्टेबल राजेंद्र, रविंदर और लेडी कॉन्स्टेबल ममता यादव की टीम ने छानबीन शुरू की.

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