नई दिल्ली: इस साल भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद 'अंतरराष्ट्रीय रामायण महोत्सव' का आयोजन कर रहा है. इस बार 8 देशों के कलाकार महोत्सव में हिस्सा लेने के लिए भारत आ रहे हैं.
'अंतरराष्ट्रीय रामायण महोत्सव' के आयोजन को लेकर भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के प्रेसिडेंट और बीजेपी सांसद विनय सहस्त्रबुद्धे ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
महोत्सव में हिस्सा लेने आ रहे हैं ये देश
सांसद विनय सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि इस साल पांचवें अंतरराष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें थाईलैंड, त्रिनिदाद और टोबैगो, इंडोनेशिया, कंबोडिया, श्रीलंका, मॉरीशस, बांग्लादेश और फिजी के कलाकार महोत्सव में हिस्सा लेने आ रहे हैं.
6 दिनों तक चलेगा रामायण महोत्सव
अंतरराष्ट्रीय रामायण महोत्सव की दिल्ली से शुरुआत होगी. 17 से 22 सितंबर तक रामायण महोत्सव का आयोजन दिल्ली के अलावा लखनऊ और पुणे में भी होगा. 17 सितंबर को देश के गृह मंत्री अमित शाह दिल्ली के कमानी ऑडिटोरियम में अंतरराष्ट्रीय रामायण महोत्सव का शुभारंभ करेंगे.
रामजन्म भूमि के दर्शन करने भी जाएंगे कलाकार
सांसद सहस्रबुद्धे ने बताया कि रामायण महोत्सव में हिस्सा लेने के लिए जो विदेशी कलाकार आएंगे, वे अयोध्या रामजन्म भूमि में दर्शन करने भी जाएंगे.
उत्सव के दौरान कलाकार भारत की राजधानी दिल्ली के कमानी ऑडिटोरियम के मंच पर रामायण महाकाव्य की सांस्कृतिक व्याख्या का प्रदर्शन करेंगे.
यह सांस्कृतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण होगा. क्योंकि इसमें एक महाकाव्य के विभिन्न संस्करणों को देखने का मौका मिलेगा, जिसका पारंपरिक रूप से प्रत्येक देश द्वारा अपने तरीके से प्रचार-प्रसार किया जाता है.
अंतरराष्ट्रीय महोत्सव में हिस्सा लेने वाले अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देकर वैश्विक संस्कृति को मजबूत करने की कोशिश की जाती है. यह भारतीय संस्कृति महाकाव्य प्रेमियों के लिए एक प्रवेश द्वार है.
पहले कब और कितने देशों ने की थी शिरकत
बता दें कि भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद ने साल 2015 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन किया गया था.
पहले अंतरराष्ट्रीय रामायण महोत्सव में 7 देशों ने हिस्सा लिया था और अलग-अलग शहरों में रामकथा का मंचन किया था. साल 2016 में दूसरे अंतरराष्ट्रीय रामायण महोत्सव में 4 देशों ने हिस्सा लिया था.
तीसरे और चौथे अंतरराष्ट्रीय रामायण महोत्सव में 5 देशों के समूह ने हिस्सा लिया था और रामायण का मंचन किया था.