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पे स्केल में सुधार की मांग काे लेकर डेढ़ माह बाद फिर से धरने पर बैठे ओटी टेक्नॉलॉजिस्ट

पे स्केल में सुधार के लिए कोआर्डिनेशन कमेटी की सिफारिश को लागू करने की मांग को लेकर लगभग डेढ़ महीने बाद एम्स दिल्ली के 800 ओटी कर्मचारी एक बार फिर से धरना प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं. पिछली बार एम्स डायरेक्टर से आश्वासन मिलने के बाद कुछ समय के लिये धरना को समाप्त करने का निर्णय लिया था.

ओटी कर्मचारियों ने लगाया वादाखिलाफी का आरोप
ओटी कर्मचारियों ने लगाया वादाखिलाफी का आरोप
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Published : Oct 14, 2021, 2:21 AM IST

Updated : Oct 14, 2021, 4:52 AM IST

नई दिल्ली: पे स्केल में सुधार के लिए 800 ओटी टेक्नॉलॉजिस्ट्स एक बार फिर धरने पर बैठ गए हैं. ओटी टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश भाटी ने जानकारी दी कि इस बार धरना तब तक जारी रहेगा, जब तक हमारी मांग मान नहीं लिया जाती. इसके पहले दो बार वादाखिलाफी हो चुकी है.

राजेश ने बताया कि एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया और डिप्टी डायरेक्टर ने उन्हें आश्वासन दिया था कि हमारी मांग जल्द ही वह पूरी करेंगे. पांच सितंबर तक इस दिशा में काम पूरा होने का अनुमान था, लेकिन जब महीने भर से ज्यादा समय बीतने के बावजूद हमारी मांग नहीं पूरी की गई है तो एक बार फिर से धरना प्रदर्शन करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है. धरना प्रदर्शन के दौरान किसी मरीज को कोई परेशानी नहीं होगी.

ओटी कर्मचारियों ने लगाया वादाखिलाफी का आरोप
राजेश ने बताया कि हम धरना प्रदर्शन को लंबा खींचने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन जिस तरह हमारे साथ वादाखिलाफी हुई है, इस बार धरना लंबा चलेगा. हमारे कैडर के लोग बारी-बारी से धरना प्रदर्शन में शामिल होंगे. मॉर्निंग शिफ्ट वाले दोपहर में और दोपहर शिफ्ट वाले मॉर्निंग में आकर धरना प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं.


इसे भी पढ़ें:हाेगी सहूलियतः AIIMS में अब गरीब मरीजों को छुट्टियों के दिन भी मिलेगी मुफ्त दवा

इसे भी पढ़ें:दिल्ली एम्स में पेट स्कैन टेस्ट के लिए दो महीने का इंतजार, प्राइवेट लैब में यह टेस्ट 25 हजार रुपये में

राजेश भाटी ने बताया कि 2012 में कोआर्डिनेशन कमेटी की रिपोर्ट आई थी, जिसमें एम्स दिल्ली, जीपमार पॉन्डिचेरी और पीजीआई चंडीगढ़ में कोआर्डिनेशन कमेटी के सिफारिश को लागू करने को कहा गया था. इसके तहत इन तीनों स्वायत्त संस्थानों (Autonomous Institutions) में काम करने वाले ओटी टेक्नॉलॉजिस्ट्स के पे स्केल में सुधार की सिफारिश की गयी थी, जिसके लागू होने के बाद शुरुआती सैलरी 55 हजार रुपये प्रतिमाह होती.

हालांकि, पीजीआई चंडीगढ़ और जीपमार पाण्डिचेरी में इसे लागू कर दिया गया है, लेकिन सवाल यह है कि जब यह रिकमेंडेशन तीनों स्वायत्त मेडिकल संस्थानों के लिए दिया गया था तो केवल एम्स दिल्ली में इसे क्यों नहीं लागू किया गया है. इसकी वजह से एम्स में काम करने वाले लगभग 800 ओटी टेक्नॉलॉजिस्ट्स को 15000 प्रति माह का नुकसान उठाना पड़ रहा है.

नई दिल्ली: पे स्केल में सुधार के लिए 800 ओटी टेक्नॉलॉजिस्ट्स एक बार फिर धरने पर बैठ गए हैं. ओटी टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश भाटी ने जानकारी दी कि इस बार धरना तब तक जारी रहेगा, जब तक हमारी मांग मान नहीं लिया जाती. इसके पहले दो बार वादाखिलाफी हो चुकी है.

राजेश ने बताया कि एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया और डिप्टी डायरेक्टर ने उन्हें आश्वासन दिया था कि हमारी मांग जल्द ही वह पूरी करेंगे. पांच सितंबर तक इस दिशा में काम पूरा होने का अनुमान था, लेकिन जब महीने भर से ज्यादा समय बीतने के बावजूद हमारी मांग नहीं पूरी की गई है तो एक बार फिर से धरना प्रदर्शन करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है. धरना प्रदर्शन के दौरान किसी मरीज को कोई परेशानी नहीं होगी.

ओटी कर्मचारियों ने लगाया वादाखिलाफी का आरोप
राजेश ने बताया कि हम धरना प्रदर्शन को लंबा खींचने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन जिस तरह हमारे साथ वादाखिलाफी हुई है, इस बार धरना लंबा चलेगा. हमारे कैडर के लोग बारी-बारी से धरना प्रदर्शन में शामिल होंगे. मॉर्निंग शिफ्ट वाले दोपहर में और दोपहर शिफ्ट वाले मॉर्निंग में आकर धरना प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं.


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राजेश भाटी ने बताया कि 2012 में कोआर्डिनेशन कमेटी की रिपोर्ट आई थी, जिसमें एम्स दिल्ली, जीपमार पॉन्डिचेरी और पीजीआई चंडीगढ़ में कोआर्डिनेशन कमेटी के सिफारिश को लागू करने को कहा गया था. इसके तहत इन तीनों स्वायत्त संस्थानों (Autonomous Institutions) में काम करने वाले ओटी टेक्नॉलॉजिस्ट्स के पे स्केल में सुधार की सिफारिश की गयी थी, जिसके लागू होने के बाद शुरुआती सैलरी 55 हजार रुपये प्रतिमाह होती.

हालांकि, पीजीआई चंडीगढ़ और जीपमार पाण्डिचेरी में इसे लागू कर दिया गया है, लेकिन सवाल यह है कि जब यह रिकमेंडेशन तीनों स्वायत्त मेडिकल संस्थानों के लिए दिया गया था तो केवल एम्स दिल्ली में इसे क्यों नहीं लागू किया गया है. इसकी वजह से एम्स में काम करने वाले लगभग 800 ओटी टेक्नॉलॉजिस्ट्स को 15000 प्रति माह का नुकसान उठाना पड़ रहा है.

Last Updated : Oct 14, 2021, 4:52 AM IST
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