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Crude Oil: OPEC ने उत्पादन घटाने का लिया फैसला, तेल की महंगाई से जेब होगी और ढीली!

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Published : Apr 3, 2023, 3:41 PM IST

ओपेक और उसके सहयोगी देशों के उत्पादन में कमी करने के फैसले का असर सोमवार को तेल की कीमतों पर देखने को मिला. शुरुआती कारोबार में Brent Crude का भाव 8 फीसदी के उछाल के साथ 86 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया. इसका सीधा असर पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर पड़ने की उम्मीद है.

Crude Oil
क्या तेल महंगा होगा

नई दिल्ली : दुनिया के कई बड़े तेल निर्यातकों द्वारा उत्पादन में कटौती की घोषणा के बाद कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आई है. ब्रेंट क्रूड ऑयल एशिया में 4 डॉलर या 5 फीसदी से अधिक की छलांग लगाने के बाद 84 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर कारोबार कर रहा है. गौरतलब है कि सऊदी अरब, इराक और कई खाड़ी देशों ने रविवार को कहा कि वे एक दिन में दस लाख बैरल से अधिक उत्पादन में कटौती कर रहे हैं.

महंगाई को कम करने में आएगी दिक्कत
ऑयल प्रोडक्शन का सीधा असर महंगाई से होता है. अगर उत्पादन कम होगा तो तेल महंगा हो जाएगा. जिससे महंगाई को कम करने के प्रयासों को गहरा झटका लगेगा. ध्यान देने वाली बात ये है कि यह खबर ऐसे समय में आई है जब दुनिया के ज्यादातर देश महंगाई को काबू में लाने के लिए आक्रामक मौद्रिक नीति अपना रहे हैं. ऐसे में तेल महंगा होता है तो खराब आर्थिक स्थिति के कारण मंदी में जाने की संभावना ज्यादा होगी.

क्या भारत में बढ़ेंगे पट्रोल-डीजल के दाम
ओपेक देशों द्वारा कुल मिलाकर तेल उत्पादन में 11.5 लाख बैरल कटौती की घोषणा की है. कम तेल उत्पादन का असर निश्चित तौर पर अंतर्राष्ट्रीय बाजार पर पड़ेगा और तेल महंगा होगा. इसका भारत पर भी नाकारात्मक असर पड़ेगा. यहां ऑयल प्रोडक्शन जैसे पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ जाएंगे. चूंकि भारत पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति ज्यादातर आयात से पूरा करता है. ऐसे में तेल महंगा होने से इंपोर्ट बिल बढ़ेगा, मंहगाई दर बढ़ेगी और देश का व्यापार घाटा भी बढ़ सकता है. फिर महंगाई को कम करने के लिए आरबीआई रेपो रेट में इजाफा कर सकता है.

अमेरिका ने जताई नाराजगी : फरवरी 2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था तो तेल की कीमतें बढ़ गई थीं, लेकिन अब युद्ध शुरू होने से पहले के स्तर पर वापस आ गई हैं. हालांकि, अमेरिका ऊर्जा की कीमतों को कम करने के लिए उत्पादकों से उत्पादन बढ़ाने के लिए कह रहा है. उत्पादन में कमी ओपेक प्लस तेल उत्पादकों के सदस्यों द्वारा की जा रही है. ओपेक दुनिया के कच्चे तेल के उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा है. सऊदी अरब प्रति दिन 500,000 बैरल और इराक 211,000 बैरल उत्पादन कम कर रहा है. यूएई, कुवैत, अल्जीरिया और ओमान भी कटौती कर रहे हैं.

सउदी अरब का बयान : आधिकारिक सऊदी प्रेस एजेंसी ने कहा कि सऊदी ऊर्जा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि यह कदम 'तेल बाजार की स्थिरता का समर्थन करने के उद्देश्य से एक एहतियाती उपाय' है.
पढे़ं : ओपेक और रूस के साथ 'गठबंधन' कर रहे सदस्य देशों के तेल उत्पादन में सबसे बड़ी कटौती निराशाजनक: व्हाइट हाउस

नई दिल्ली : दुनिया के कई बड़े तेल निर्यातकों द्वारा उत्पादन में कटौती की घोषणा के बाद कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आई है. ब्रेंट क्रूड ऑयल एशिया में 4 डॉलर या 5 फीसदी से अधिक की छलांग लगाने के बाद 84 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर कारोबार कर रहा है. गौरतलब है कि सऊदी अरब, इराक और कई खाड़ी देशों ने रविवार को कहा कि वे एक दिन में दस लाख बैरल से अधिक उत्पादन में कटौती कर रहे हैं.

महंगाई को कम करने में आएगी दिक्कत
ऑयल प्रोडक्शन का सीधा असर महंगाई से होता है. अगर उत्पादन कम होगा तो तेल महंगा हो जाएगा. जिससे महंगाई को कम करने के प्रयासों को गहरा झटका लगेगा. ध्यान देने वाली बात ये है कि यह खबर ऐसे समय में आई है जब दुनिया के ज्यादातर देश महंगाई को काबू में लाने के लिए आक्रामक मौद्रिक नीति अपना रहे हैं. ऐसे में तेल महंगा होता है तो खराब आर्थिक स्थिति के कारण मंदी में जाने की संभावना ज्यादा होगी.

क्या भारत में बढ़ेंगे पट्रोल-डीजल के दाम
ओपेक देशों द्वारा कुल मिलाकर तेल उत्पादन में 11.5 लाख बैरल कटौती की घोषणा की है. कम तेल उत्पादन का असर निश्चित तौर पर अंतर्राष्ट्रीय बाजार पर पड़ेगा और तेल महंगा होगा. इसका भारत पर भी नाकारात्मक असर पड़ेगा. यहां ऑयल प्रोडक्शन जैसे पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ जाएंगे. चूंकि भारत पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति ज्यादातर आयात से पूरा करता है. ऐसे में तेल महंगा होने से इंपोर्ट बिल बढ़ेगा, मंहगाई दर बढ़ेगी और देश का व्यापार घाटा भी बढ़ सकता है. फिर महंगाई को कम करने के लिए आरबीआई रेपो रेट में इजाफा कर सकता है.

अमेरिका ने जताई नाराजगी : फरवरी 2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था तो तेल की कीमतें बढ़ गई थीं, लेकिन अब युद्ध शुरू होने से पहले के स्तर पर वापस आ गई हैं. हालांकि, अमेरिका ऊर्जा की कीमतों को कम करने के लिए उत्पादकों से उत्पादन बढ़ाने के लिए कह रहा है. उत्पादन में कमी ओपेक प्लस तेल उत्पादकों के सदस्यों द्वारा की जा रही है. ओपेक दुनिया के कच्चे तेल के उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा है. सऊदी अरब प्रति दिन 500,000 बैरल और इराक 211,000 बैरल उत्पादन कम कर रहा है. यूएई, कुवैत, अल्जीरिया और ओमान भी कटौती कर रहे हैं.

सउदी अरब का बयान : आधिकारिक सऊदी प्रेस एजेंसी ने कहा कि सऊदी ऊर्जा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि यह कदम 'तेल बाजार की स्थिरता का समर्थन करने के उद्देश्य से एक एहतियाती उपाय' है.
पढे़ं : ओपेक और रूस के साथ 'गठबंधन' कर रहे सदस्य देशों के तेल उत्पादन में सबसे बड़ी कटौती निराशाजनक: व्हाइट हाउस

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