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अमेरिकी बिजनेसमैन ने नारायण मूर्ति संग किया था ऐसा बर्ताव, बोले- उसने मुझे स्टोर रूम में...

Uncommon Love The Early Life of Sudha and Narayana Murthy- भारतीय-अमेरिकी लेखिका चित्रा बनर्जी दिवाकरुणी ने सुधा मूर्ति और नारायण मूर्ति के जीवन के बारे में किताब लिखी है. उस किताब का नाम है, अनकॉमन लव: द अर्ली लाइफ ऑफ सुधा एंड नारायण मूर्ति. इस बुक में नारायण मूर्ति के जीवन के शुरुआती को बताया गया है. पढ़ें पूरी खबर...

Narayana Murthy (File Photo)
नारायण मूर्ति (फाइल फोटो)
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By PTI

Published : Jan 7, 2024, 2:56 PM IST

Updated : Jan 7, 2024, 4:01 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय-अमेरिकी लेखिका चित्रा बनर्जी दिवाकरुणी ने सुधा मूर्ति और नारायण मूर्ति के जीवन के शुरुआती सालों के बारे में बताते हुए एक पुस्तक लिखी है. इस पुस्तक में उनके बारे में ऐसी और भी कई बातें बताई गई हैं. इंफोसिस के शुरुआती दिनों में जब नारायण मूर्ति एक बार किसी काम के सिलसिले में अमेरिका गये थे तो एक तुनकमिजाज के अमेरिकी व्यवसायी ने उन्हें अपने घर के स्टोर रूम में एक बड़े बक्से पर सुलाया था, जबकि उनके घर में चार बेडरूम थे.

अनकॉमन लव: द अर्ली लाइफ ऑफ सुधा एंड नारायण मूर्ति
जगरनॉट बुक्स द्वारा प्रकाशित एन अनकॉमन लव: द अर्ली लाइफ ऑफ सुधा एंड नारायण मूर्ति में मूर्ति दंपति के शुरुआती वर्षों के बारे में बताया गया है. इसमें उनके प्रेमालाप से लेकर इंफोसिस की स्थापना के सालों तक और उनकी शादी से लेकर माता-पिता बनने तक की कहानी है.

बुक में बताया गया सुधा और नारायण मूर्ति के बारे में
न्यूयॉर्क स्थित कंपनी डेटा बेसिक्स कॉरपोरेशन के प्रमुख डॉन लिल्स एक तेज-मिजाज वाले क्लाइंट (ग्राहक) थे और वह मूर्ति को ज्यादा पसंद नहीं करते थे. किताब में लिखा गया कि वह अक्सर सेवा के बदले में भुगतान करने में देरी करते थे और इस बात को लेकर मूर्ति उनके गुस्से का निशाना बन जाते थे. वह अपनी बात पर अड़े रहते थे और सेवाओं के लिए समय पर भुगतान करने से इनकार कर देते थे. जब मूर्ति और उनके इंफोसिस सहयोगियों को मैनहट्टन में उनसे मिलने जाना होता था तो डॉन उन्हें होटल बुक करने के लिए समय पर अनुमति नहीं देते थे.

अमेरिका में नारायण मूर्ति को स्टोर रूम में सुलाया गया
यह भी लिखा गया कि एक बार जब मूर्ति क्लाइंट के काम के लिए अमेरिका गए तो डॉन ने उन्हें स्टोर रूम में एक बड़े बक्से पर सुलाया, जबकि उनके घर में चार बेडरूम थे. इसके अलावा, डॉन ने अंतिम समय पर कई मांग रखी, जिन्हें मूर्ति को पूरा करना पड़ा. मूर्ति ने अपनी नयी कंपनी के खातिर डॉन के इस व्यवहार को सहन किया, लेकिन बक्से पर सुलाने वाली घटना ने वास्तव में मूर्ति को झकझोर दिया.

मूर्ति अपनी पत्नी के इन्फोसिस में शामिल होने के खिलाफ थे
उन्होंने पत्नी सुधा को बताया कि मेरी मां कहा करती थीं कि मेहमान भगवान के समान होता है और आप जिस तरह मेहमानों के साथ व्यवहार करते हैं उससे पता चलता है कि आप वास्तव में किस तरह के इंसान हैं. उन्होंने पत्नी को कहा कि जब मेरे पिता जब बिना सूचना के किसी को घर पर आमंत्रित करते थे तो वह (मां) अक्सर मेहमान को अपने हाथ से बना खाना परोसती थीं और खुद बिना खाना खाए ही सो जाती थीं.

डॉन यहां मुझे बिना खिड़की वाले स्टोर रूम में एक बड़े बक्से पर सुलाकर खुद अपने बिस्तर पर नींद का आनंद ले रहा था. पुस्तक में यह भी उल्लेख किया गया कि कैसे एक अच्छी इंजीनियर होने के बावजूद मूर्ति अपनी पत्नी के इंफोसिस में शामिल होने के खिलाफ थे. पुस्तक में इसी तरह के कई अन्य बातें भी बताई गई हैं.

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अनकॉमन लव: द अर्ली लाइफ ऑफ सुधा एंड नारायण मूर्ति
जगरनॉट बुक्स द्वारा प्रकाशित एन अनकॉमन लव: द अर्ली लाइफ ऑफ सुधा एंड नारायण मूर्ति में मूर्ति दंपति के शुरुआती वर्षों के बारे में बताया गया है. इसमें उनके प्रेमालाप से लेकर इंफोसिस की स्थापना के सालों तक और उनकी शादी से लेकर माता-पिता बनने तक की कहानी है.

बुक में बताया गया सुधा और नारायण मूर्ति के बारे में
न्यूयॉर्क स्थित कंपनी डेटा बेसिक्स कॉरपोरेशन के प्रमुख डॉन लिल्स एक तेज-मिजाज वाले क्लाइंट (ग्राहक) थे और वह मूर्ति को ज्यादा पसंद नहीं करते थे. किताब में लिखा गया कि वह अक्सर सेवा के बदले में भुगतान करने में देरी करते थे और इस बात को लेकर मूर्ति उनके गुस्से का निशाना बन जाते थे. वह अपनी बात पर अड़े रहते थे और सेवाओं के लिए समय पर भुगतान करने से इनकार कर देते थे. जब मूर्ति और उनके इंफोसिस सहयोगियों को मैनहट्टन में उनसे मिलने जाना होता था तो डॉन उन्हें होटल बुक करने के लिए समय पर अनुमति नहीं देते थे.

अमेरिका में नारायण मूर्ति को स्टोर रूम में सुलाया गया
यह भी लिखा गया कि एक बार जब मूर्ति क्लाइंट के काम के लिए अमेरिका गए तो डॉन ने उन्हें स्टोर रूम में एक बड़े बक्से पर सुलाया, जबकि उनके घर में चार बेडरूम थे. इसके अलावा, डॉन ने अंतिम समय पर कई मांग रखी, जिन्हें मूर्ति को पूरा करना पड़ा. मूर्ति ने अपनी नयी कंपनी के खातिर डॉन के इस व्यवहार को सहन किया, लेकिन बक्से पर सुलाने वाली घटना ने वास्तव में मूर्ति को झकझोर दिया.

मूर्ति अपनी पत्नी के इन्फोसिस में शामिल होने के खिलाफ थे
उन्होंने पत्नी सुधा को बताया कि मेरी मां कहा करती थीं कि मेहमान भगवान के समान होता है और आप जिस तरह मेहमानों के साथ व्यवहार करते हैं उससे पता चलता है कि आप वास्तव में किस तरह के इंसान हैं. उन्होंने पत्नी को कहा कि जब मेरे पिता जब बिना सूचना के किसी को घर पर आमंत्रित करते थे तो वह (मां) अक्सर मेहमान को अपने हाथ से बना खाना परोसती थीं और खुद बिना खाना खाए ही सो जाती थीं.

डॉन यहां मुझे बिना खिड़की वाले स्टोर रूम में एक बड़े बक्से पर सुलाकर खुद अपने बिस्तर पर नींद का आनंद ले रहा था. पुस्तक में यह भी उल्लेख किया गया कि कैसे एक अच्छी इंजीनियर होने के बावजूद मूर्ति अपनी पत्नी के इंफोसिस में शामिल होने के खिलाफ थे. पुस्तक में इसी तरह के कई अन्य बातें भी बताई गई हैं.

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Last Updated : Jan 7, 2024, 4:01 PM IST
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