नई दिल्ली: अडाणी-हिंडनबर्ग मामले पर सेबी ने एकबार फिर बोला है. बाजार नियामक सेबी ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बोला है कि वह अडानी-हिंडनबर्ग मामले में अपनी जांच पूरी करने के लिए विस्तार की मांग नहीं करेगा. कोर्ट की एक्सपर्ट कमिटी ने मई में एक इंटरिम रिपोर्ट में कहा कि उसने अडानी की कंपनियों में हेरफेर का कोई स्पष्ट पैटर्न नहीं देखा गया है. इसके साथ ही कोई नियामक विफलता भी नहीं हुई है. हालांकि, इसने 2014 और 2019 के बीच सेबी द्वारा किए गए कई संशोधनों का हवाला दिया, जिसने नियामक की जांच करने की क्षमता को बाधित कर दिया, और ऑफशोर संस्थाओं से धन प्रवाह में कथित उल्लंघन की इसकी जांच खाली निकली है.
मुख्य न्यायाधीश ने सेबी से पूछा
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को सेबी से पूछा, जिसका प्रतिनिधित्व सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने किया, वह निवेशकों के मूल्य पर क्या कर रहा है और क्या वह उनकी सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है. सेबी से पूछा गया है कि शेयर बाजार में अत्यधिक अस्थिरता है. निवेशकों के लिए इस तरह की अस्थिरता के लिए सेबी क्या करने की योजना बना रहा है. अडाणी जनवरी 2023 से ही विवादों में घिर गए है, जब हिंडनबर्ग रिसर्च ने अन्य आरोपों के साथ-साथ कॉर्पोरेट कुशासन का आरोप लगाया था, जिसे समूह ने सख्ती से खारिज कर दिया है.
कंपनी को इससे घाटा
इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद, कंपनी से जुड़े शेयरों में दलाल स्ट्रीट पर भारी नुकसान देखा गया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का ध्यान अडाणी-हिंडनबर्ग मामले पर आया है. इसके बाद, सेबी ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक स्थिति रिपोर्ट दायर की और कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट से उत्पन्न 24 जांचों में से 22 प्रकृति में अंतिम हैं और 2 प्रकृति में अंतरिम हैं. सेबी ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह समूह में निवेश करने वाले विदेशी निवेशकों के वास्तविक मालिकों की अंतरिम जांच पर टैक्स हेवेन से जानकारी का इंतजार कर रहा है. इंटरिम रिपोर्ट में स्टॉक की कीमतों में हेरफेर के साथ लेनदेन का खुलासा करने में कथित विफलता और ग्रुप पर उल्लंघन के आरोप शामिल हैं. बता दें कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने इसी साल 24 जनवरी को अडाणी ग्रुप पर स्टॉक में हेरफेर और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है.