नई दिल्ली : भारत में महंगाई को लेकर आने वाले समय में राहत भरी खबर मिल सकती है. देश- दुनिया के बैंकिंग और फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स इसी साल से इंटरेस्ट रेट कम होने का अनुमान लगा रहे हैं. जिससे लोन सस्ते होने लगेंगे. गौरतलब है कि जहां एक तरफ पूरी दुनिया वैश्विक आर्थिक मंदी से आशांकित है. अमेरिका का केंद्रीय बैंक (फेडरल रिजर्व बैंक) महंगाई पर काबू पाने के लिए रेपो रेट को बढ़ा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ भारत में रिटेल इंफ्लेशन 6 फीसदी से नीचे आने का अनुमान है. हालांकि आर्थिक विकास दर थोड़ी सुस्त पड़ने की आशंका है. ऐसे में RBI रेपो रेट में कटौती शुरू करेगा.
रिजर्व बैंक ने इस बार 6 मार्च को वित्त वर्ष 2023-24 के पहले मॉनिटरी पॉलिसी के तहत रेपो रेट में कोई बदलाव न करने की घोषणा की. यानी चालू दरों को जारी रखा. जो पहले से ही 6.50 फीसदी है और यह 7 साल में सबसे ज्यादा रेपो रेट है. SBI के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर Soumya Kanti Ghosh ने कहा, 'RBI के ताजा फैसले से पहले ऐसी आशंका थी कि उंची ब्याज दरें लंबे समय तक रहेंगी. लेकिन अब ऐसी उम्मीद की जा रही है कि Interest Rate कुछ महीनों में घटने लगेगा और कटौती का यह दौर लंबा चलेगा. अगर वैश्विक मंदी आती है तो इसका असर भारत पर भी पड़ेगा और दरों में कटौती शुरू हो सकती है. रेपो रेट वह दर होता है, जिस पर आरबीआई कॉमर्शियल बैंकों को लोन देती है. अगर बैंकों को RBI से लोन सस्ता मिलेगा तो वह ग्राहकों को भी लोन सस्ते में देगी.
बैंकिंग और फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का अनुमान
गोल्डमैन साक्स, जो अमेरिकी इन्वेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी है. इसने अनुमान लगाया है कि 2024 की पहली और दूसरी तिमाही में Repo Rate को दो बार 0.25-0.2 फीसदी से घटाया जा सकता है. जिस कारण से रिटेल महंगाई (Retail Inflation) 6 फीसदी से नीचे रहेगी, जो RBI के टारगेट की ऊपरी सीमा है.
जापानी फाइनेंशियल कंपनी Nomura (नोमुरा) के मुताबिक आरबीआई 2023-24 में 6.5 फीसदी से आर्थिक विकास दर का अनुमान पक्का करने के लिए, अक्टूबर 2023 के बाद Repo Rate में 0.75 फीसदी से कटौती कर सकता है.
अमेरिकी बैंकिंग कंपनी सिटी के अनुसार भारत में Inflation Rate अनुमान से ज्यादा रहने पर नीतिगत दरें बढ़ाई जा सकती हैं. वहीं, आर्थिक वृद्धि दर सुस्त पड़ने पर दरों में तेज कटौती का ऑप्शन भी रख जा सकता है.
इंटरेस्ट रेट प्री- कोविड पर आने की उम्मीद : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कोरोना के बाद हालात सुधरने की उम्मीद जताई है. International Monetary Fund (IMF) के अनुसार बडे़ देशों में इंटरेस्ट रेट प्री- कोविड लेवल पर आ सकती है. क्योंकि घटते उत्पादन को देखते हुए सेंट्रल बैंक को रेपो रेट में कटौती करनी पड़ेगी. हालांकि आईएमएफ ने ये भी कहा है कि इसमें थोड़ा वक्त लगेगा.
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