नई दिल्ली : नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) सोमवार यानी आज गो फर्स्ट लेसर्स मामले में सुनवाई करेगा. बता दें कि तीन लेसर्स SMBC एविएशन कैपिटल लिमिटेड, SFV एयरक्राफ्ट होल्डिंग्स और GY एविएशन लीज कोर्ट लिमिटेड ने एनसीएलटी द्वारा गो फर्स्ट को अंतरिम स्थगन और दिवाला समाधान कार्यवाही की मंजूरी देने के फैसले को चुनौती दी गई है. इसी मामले पर आज NCLAT में सुनवाई होगी.
एनसीएलएटी ने शुक्रवार को कम लागत वाली एयरलाइन की स्वैच्छिक दिवालियापन की अनुमति देने वाले दिवालियापन अदालत के आदेश पर रोक लगाने की मांग वाली गो फर्स्ट पट्टेदारों की याचिका से संबंधित मामले को सोमवार तक के लिए टाल दिया.
एमसीएलटी ने 10 मई को स्वीकार की थी याचिका : दरअसल वाडिया समूह की गो फर्स्ट एयरलाइन ने आर्थिक हालत खराब होने के चलते स्वैच्छिक दिवाला समाधान प्रक्रिया के लिए एमसीएलटी में याचिका दायर की थी. जिसे 10 मई को एमसीएलटी ने स्वीकार कर ली. इस फैसले के चलते Go First को पट्टेदारों और उधारदाताओं द्वारा वसूली से सुरक्षा प्रदान किया गया. अभिलाश लाल के हाथों में गो फर्स्ट की हालत ठीक करने के लिए कमान सौंपी गई. गो फर्स्ट ने 19 मई तक अपनी सभी उड़ानें रद्द कर दी हैं.
प्रैट एंड व्हिटनी ने अपनाया कानूनी रास्ता : अमेरिकी जेट निर्माता कंपनी Pratt & Whitney ने भी गो फर्स्ट के खिलाफ कानूनी रास्ता अख्तियार किया है. दरअसल गो फर्स्ट ने अपनी आर्थिक हालात के लिए प्रैट एंड व्हिटनी को जिम्मेदार बताया है. इसी आरोप के खिलाफ Pratt & Whitney ने कोर्ट की तरफ रुख किया है. गो फर्स्ट ने कहा कि जेट निर्माता कंपनी ने समय पर इंजनों की डिलिवरी नहीं की जिसके चलते गो फर्स्ट की आधी एयरलाइनें उड़ान नहीं भर पाई. जिसका असर उसकी आमदनी पर पड़ा और उसकी आर्थिक हालत खराब हो गई. Pratt & Whitney ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है.
गो फर्स्ट पर कितना कर्ज : गो फर्स्ट ने आज से 17 साल पहले अपना कारोबार शुरू किया था. लेकिन आज कंपनी गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रही है. कंपनी पर अभी कुल 11,463 करोड़ रुपये का कर्ज है. जिसमें से कंपनी ने 3,856 करोड़ रुपये का पेमेंट करने में डिफॉल्ट कर चुकी है. इसके अलावा गो फर्स्ट एयरलाइन के ऊपर लीज पर देने वाली विमान कंपनियों का 2,600 करोड़ रुपये बकाया है. साथ ही फाइनेंशियल क्रेडिटर्स के 6,521 करोड़ रुपये उधार थे.
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