नई दिल्ली : राज्यों में चुनाव से पहले कुछ ऐसे मुद्दे बनते हैं जिन्हें विपक्षी पार्टियां हवा दे सकें. इस बार कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 से पहले अमूल और नंदिनी दूध विवाद भी मुद्दा बन सकता है. कुछ दिन पहले कर्नाटक और तमिलनाडु में दही को लेकर विवाद छिड़ा था. वहीं, अब कर्नाटक में अमूल और नंदिनी दूध को लेकर घमासान मचा हुआ है. दरअसल Amul ने कुछ दिन पहले कर्नाटक में एंट्री की घोषणा की. इसके साथ ही कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियां सरकार पर आरोप लगा रही हैं कि ये राज्य के नंदिनी ब्रांड को खत्म करने की कोशिश है. इसी मुद्दे पर विवाद शुरू हुआ है. ऐसे में सवाल उठता है कि नंदिनी और अमूल में क्या अंतर है. दोनों कंपनियां कब बनीं और इनका सालाना टर्नओवर कितना है. आइए जानते हैं दोनों कंपनियों के बारे में कुछ रोचक बातें.
नंदिनी दूध के बारे में
1. नंदिनी दूध का मैनेजमेंट कर्नाटक मिल्क फेडरेशन संभालती है. जिसकी स्थापना साल 1974 में की गई थी. नंदिनी ब्रांड दूध, दही, बटर, आइसक्रीम, चॉकलेट और दूध से बनी मिठाइयां बनाती है.
2. Nandini कर्नाटक का सबसे बड़ा मिल्क ब्रांड है. यह हर दिन 23 लाख लीटर से अधिक दूध की सप्लाई करती है. बेंगलुरू मार्केट में दूध की खपत की 70 फीसदी जरूरत को अकेले नंदिनी पूरा करती है.
3. कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (केएमएफ) के पूरे कर्नाटक राज्य में 14 संघ है. जो प्राथमिक डेयरी सहकारी समितियों (DCS) से दूध खरीदते हैं और 1,500 सदस्यों वाले कर्नाटक राज्य के अलग-अलग शहरी और ग्रामीण बाजारों में उपभोक्ताओं को दूध बेचते हैं.
4. हाल के सालों में नंदिनी ब्रांड के प्रोडक्टस मुबंई, पुणे, हैदराबाद, चेन्नई, केरल और गोवा तक पहुंचे हैं. साल 1975 में कंपनी का सालाना Turnover 4 करोड़ रुपये था. जो अभी आधिकारिक आकड़ों के अनुसार बढ़कर 25,000 करोड़ रुपये हो गया है.
5. नंदिनी के प्रोडक्ट देश के कुल 6 राज्यों में बेचे जाते हैं. जिसमें महाराष्ट्र, गोवा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू और केरल शामिल हैं. 25,000 करोड़ रुपये के सालाना टर्नओवर के साथ यह कंपनी अमूल के बाद देश का दूसरी सबसे बड़ी मिल्क कोऑपरेटिव है.
अमूल दूध के बारे में
1. अमूल दूध का संचालन गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) के हाथों में है. जिसकी स्थापना आज से 76 साल पहले 14 दिसबंर 1946 को हुई थी. अमूल ब्रांड दूध, दही, बटर, घी. चीज, चॉकलेट, दूध के पाउडर समेत कई डेयरी प्रोडक्ट्स बनाता है.
2. अमूल दूध का नाम संस्कृत के अमूल्य शब्द से लिया गया है. इसका मतलब है - 'जिसका मूल्य न लगाया जा सके'. अमूल के श्वेत क्रांति शुरू करने के कारण ही भारत दुनिया में सबसे अधिक दूध उत्पादन करने वाला देश बन सका.
3. देशभर में अमूल की कुल 1,44,500 डेयरी सहकारी समितियां हैं. जिनमें 15 मिलियन से ज्यादा दुग्ध उत्पादक अपना दूध पहुंचाते हैं. वहीं, Gujarat Cooperative Milk Marketing Federation (GCMMF) आज हर दिन 18,600 गांवों से 2 करोड़ 60 लाख लीटर से ज्यादा इकट्ठा करता है और प्रतिदिन लाखों लोगों तक दूध पहुंचाया है.
4. अमूल के मुकाबले नंदिनी के दूध की कीमतों में काफी अंतर है. नंदिनी के एक लीटर दूध की कीमत 39 रुपये है तो वहीं अमूल टोंड दूध के एक लीटर पैकेट की कीमत 54 रुपये है.
5. अमूल प्रति दिन लगभग 4- 5 लाख लीटर दूध और अन्य मूल्य वर्धित डेयरी प्रोडक्ट्स बेचता है. कंपनी का सालान टर्नओवर 52 हजार करोड़ रुपए है. इसी के साथ यह देश की सबसे बड़ी मिल्क कोऑपरेटिव है.
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