नई दिल्ली: भारत में खुदरा इन्फ्लेशन अक्टूबर महीने में लगातार कम होती रही है, जिसे इंडेक्स में गिरावट को सपोर्ट मिला है. आधिकारिक डेटा से पता चलता है कि अक्टूबर महीने में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) चार महीने के सबसे निचले स्तर पर आ पहुंचा है, जो 5.02 फीसदी से 4.87 फीसदी पर आ गिरा है. आरबीआई के मुताबिक खुदरा इंफ्लेशन भारत में 2 से 6 फीसदी है, लेकिन अभी के परिदृश्य में 4 फीसदी से ऊपर दिख रहा है. हाल के मुद्दों को छोड़ कर आरबीआई ने मई 2022 के बाद से अपने रेपो रेट में केवल 250 अंकों की बढ़ोतरी की है, ताकि महंगाई पर कंट्रोल हो सके.
इन्फ्लेशन पर टीआईडब्ल्यू कैपिटल की राय
मोहित रहलान, सीईओ (टीआईडब्ल्यू कैपिटल) मने कहा कि ब्याज दरें बढ़ाना एक मॉनेटरी पॉलिसी इंस्ट्रूमेंट है जो आम तौर पर अर्थव्यवस्था में डिमांड को दबाने में मदद करता है, जिससे इन्फ्लेशन रेट में गिरावट में मदद मिलती है. इस बीच, सितंबर महीने तक थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर भारत में थोक इन्फ्लेशन लगातार छठी बार नकारात्मक क्षेत्र में बनी रही है. अक्टूबर का डेटा इस सप्ताह किसी भी समय जारी किया जा सकता है.
यह लगातार तीसरे महीने गिरावट की ओर जारी रहा है. इस ड्यूरेशन के दौरान मुख्य इन्फ्लेशन में भी गिरावट का रुख रहा है. यह आरबीआई के लिए अपनी आगामी बैठकों पर रोक लगाने का आधार तैयार करता है. हालांकि, केंद्रीय बैंक किसी भी खाद्य या ईंधन की कीमत के झटके के प्रति सतर्क रहेगा. प्रमुख कृषि राज्यों में जलाशयों के निचले स्तर के बीच, खरीफ फसल की कमजोर संभावनाएं और रबी की बुआई प्रभावित होने की आशंका है. खरीफ फसल उत्पादन का पहला एडवांस अनुमान अनाज और दालों के उत्पादन के लिए एक गंभीर तस्वीर पेश करता है. विभिन्न श्रेणियों में दोहरे अंक की मुद्रास्फीति देखी जा रही है. यह समग्र इन्फ्लेशन दृष्टिकोण के लिए एक उल्टा जोखिम पैदा करता है.
इन्फ्लेशन पर नाइट फ्रैंक इंडिया ने क्या कहा?
विवेक राठी, निदेशक अनुसंधान (नाइट फ्रैंक इंडिया) ने कहा कि आरबीआई को आगामी मॉनेटरी पॉलिसी बैठक में कठोर नीति बनाए रखने की उम्मीद है. यह कमी मुद्रास्फीति में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की +/-4 फीसदी की लक्ष्य सीमा के अनुरूप है. यह विशेष रूप से मॉनेटरी पॉलिसी कार्यों पर रोक बनाए रखते हुए आर्थिक विकास को प्राथमिकता देने के निर्णय की प्रभावशीलता को दर्शाती है.
केयरएज के अर्थशास्त्री ने क्या बोला?
रजनी सिन्हा, मुख्य अर्थशास्त्री (केयरएज) ने कहा कि फरवरी 2023 के बाद ब्याज दरों में बढ़ोतरी हुई है. ब्याज दरों में स्थिरता ने देश के भीतर उपभोक्ता और व्यापार दोनों के विश्वास को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. खासकर चुनौतीपूर्ण भू-राजनीतिक परिस्थितियों और गिरते वैश्विक आर्थिक माहौल सामने है. इन प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद, देश में आवास बाजार अपने वैश्विक समकक्षों से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है. स्थिर ब्याज दरों के बने रहने से आवास क्षेत्र में मांग को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.
CRISIL की राय?
धर्मकीर्ति जोशी, मुख्य अर्थशास्त्री (CRISIL) ने कहा कि दिसंबर तिमाही के लिए उम्मीद है कि सरकारी हस्तक्षेप के सहयोग से, खरीफ की फसल बाजार में आने के साथ खाद्य मुद्रास्फीति में कुछ नरमी आएगी. तेल की कीमतें अज्ञात बनी हुई हैं जो मध्य पूर्व संघर्ष बढ़ने पर खेल बिगाड़ सकती हैं. हम उम्मीद करते हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक सतर्क रहेगा क्योंकि हेडलाइन मुद्रास्फीति मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के 4 फीसदी लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है और भोजन और ईंधन पर जोखिम बरकरार है. इस वित्तीय वर्ष के लिए हमारा आधार मामला 5.5 फीसदी की औसत मुद्रास्फीति है और एमपीसी नीति दर और रुख को बनाए रखती है.