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Emergency fund : समय रहते सैलरी को ठीक से करें मैनेज, वरना नौकरी छूटने पर बढ़ेगी परेशानी - इमरजेंसी फंड

जब तक सैलरी मिलती रहती है, सबकुछ प्लान के अनुसार होता रहता है. लेकिन जैसे ही सैलरी आनी बंद हो जाती है, सारी प्लानिंग धरी की धरी रह जाती है. ऐसी स्थिति में आपको क्या करना चाहिए, कैसे समय रहते इससे निपटने के लिए योजना बनानी चाहिए, आइए इस रिपोर्ट में जानते हैं कुछ ऐसे ही टिप्स.

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Published : Feb 2, 2023, 4:47 PM IST

हैदराबाद: साल 2023 की शुरुआत से ही हम छंटनी, नौकरी से निकलाना जैसे शब्द बार-बार सुन रहे हैं. मंदी आने की आशंका से कंपनियां कर्मचारियों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा रही हैं. ऐसे में अगर अभी हमारे पास नौकरी हैं, सैलरी मिल रही है. लेकिन हो सकता आने वाले दिनों में हमारे पास नौकरी न रहे, तो हमारी स्थिती खराब हो सकती है. हम मुश्किल में पड़ सकते हैं. अगर अच्छी तरह से तैयार नहीं हुए तो हमें इसका सामना करना मुश्किल हो सकता है. क्या करें जब ऐसे हालात हमें नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर दें?

इमरजेंसी फंड
कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं जो नौकरी छूट जाने पर भी दो से तीन महीने की सैलरी देती हैं. इससे आपको आर्थिक रूप से बढ़ने में मदद मिलेगी. इसके अलावा हमें खुद से भी तैयार रहना चाहिए. हमारे पास कम से कम छह महीने का इमरजेंसी फंड होना चाहिए. जिससे अप्रत्याशित खर्चों को पूरा करने के लिए एक निश्चित राशि निकाली जा सकती है. हालांकि पूरी रकम एक बार में न निकालें. वेतन का कम से कम 25 प्रतिशत इस इमरजेंसी फंड में लगाया जाना चाहिए. इसे फिक्स्ड डिपॉजिट में रखा जा सकता है.

अधिक खर्च करना बंद करें
आप जिस कंपनी/सेक्टर में काम कर रहे हैं, अगर उसमें छंटनी शुरू हो गई है, तो अपने खर्च को कंट्रोल करें. क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल बंद कर दें. फिजूल खर्च से बचें. ज्यादा से ज्यादा बचत करने की कोशिश करें. क्योंकि अगर आपको सैलरी मिलनी बंद हो जाती हैं, तो आप समय पर क्रेडिट कार्ड बिलों का भुगतान नहीं कर पाएंगे. इससे आपके क्रेडिट इतिहास पर नकारात्मक असर पड़ेगा. खासतौर पर पर्सनल लोन, व्हीकल लोन टॉप-अप आदि न लें. ईएमआई चुकाना भी मुश्किल हो सकता है.

बचत के टिप्स
जब आय का साधन कम हो जाए. तो विलासिता को कहें ना. बुनियादी जरूरतों पर ही ध्यान दें. पैसों की बचत के लिए फिजूलखर्ची कम करनी चाहिए. कुछ के लिए निश्चित रूप से विकल्प हैं, इनका उपयोग किया जाना चाहिए. महंगी चीजों और खान-पान से परहेज करना ही बेहतर होगा. कुछ ख्वाहिशें छोड़ दें. ध्यान रहे कि इससे सरप्लस अमाउंट और भी ज्यादा बढ़ जाएगा.

5 लाख रुपये का हेल्थ कवर
अब का समय ज्यादा सावधानी बरतने का समय है. कंपनी द्वारा दिए जाने वाले समूह स्वास्थ्य बीमा द्वारा कवर किए गए लोगों को भी बिना देरी किए अपनी पॉलिसी लेनी चाहिए. यह न भूलें कि जब आप नौकरी छोड़ते हैं, तो समूह बीमा सुरक्षा समाप्त हो जाती है. बेरोजगारी के दौरान अगर आप अचानक बीमार पड़ जाते हैं, तो आपको मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. कभी-कभी, यदि कवर नहीं किया जाता है, तो इलाज के लिए पूरी बचत समाप्त हो जाएगी. पूरे परिवार को कवर करने के लिए कम से कम 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा अनिवार्य है.

बैंक इनवेस्टमेंट का सही से इस्तेमाल करें
सैलरी खत्म होने पर कई लोग एक बार में ही अपना पूरा इनवेस्टमेंट बैंक से निकाल लेते हैं. यह अच्छी बात नहीं है. सबसे पहले इमरजेंसी फंड का इस्तेमाल करना चाहिए. लेकिन इसके साथ ही पैसा खर्च करते समय इस बात का ध्यान रखें कि सैलरी का कोई सोर्स नहीं है. सोच समझकर पैसे खर्च करें. इसके अलावा फ्यूचर फंड्स और इक्विटीज से इनवेस्टमेंट जरुरी काम के लिए ही निकालें.

पढ़ें : Budget 2023 Income Tax : 7 लाख रुपए की इनकम पर अब कोई टैक्स नहीं

हैदराबाद: साल 2023 की शुरुआत से ही हम छंटनी, नौकरी से निकलाना जैसे शब्द बार-बार सुन रहे हैं. मंदी आने की आशंका से कंपनियां कर्मचारियों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा रही हैं. ऐसे में अगर अभी हमारे पास नौकरी हैं, सैलरी मिल रही है. लेकिन हो सकता आने वाले दिनों में हमारे पास नौकरी न रहे, तो हमारी स्थिती खराब हो सकती है. हम मुश्किल में पड़ सकते हैं. अगर अच्छी तरह से तैयार नहीं हुए तो हमें इसका सामना करना मुश्किल हो सकता है. क्या करें जब ऐसे हालात हमें नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर दें?

इमरजेंसी फंड
कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं जो नौकरी छूट जाने पर भी दो से तीन महीने की सैलरी देती हैं. इससे आपको आर्थिक रूप से बढ़ने में मदद मिलेगी. इसके अलावा हमें खुद से भी तैयार रहना चाहिए. हमारे पास कम से कम छह महीने का इमरजेंसी फंड होना चाहिए. जिससे अप्रत्याशित खर्चों को पूरा करने के लिए एक निश्चित राशि निकाली जा सकती है. हालांकि पूरी रकम एक बार में न निकालें. वेतन का कम से कम 25 प्रतिशत इस इमरजेंसी फंड में लगाया जाना चाहिए. इसे फिक्स्ड डिपॉजिट में रखा जा सकता है.

अधिक खर्च करना बंद करें
आप जिस कंपनी/सेक्टर में काम कर रहे हैं, अगर उसमें छंटनी शुरू हो गई है, तो अपने खर्च को कंट्रोल करें. क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल बंद कर दें. फिजूल खर्च से बचें. ज्यादा से ज्यादा बचत करने की कोशिश करें. क्योंकि अगर आपको सैलरी मिलनी बंद हो जाती हैं, तो आप समय पर क्रेडिट कार्ड बिलों का भुगतान नहीं कर पाएंगे. इससे आपके क्रेडिट इतिहास पर नकारात्मक असर पड़ेगा. खासतौर पर पर्सनल लोन, व्हीकल लोन टॉप-अप आदि न लें. ईएमआई चुकाना भी मुश्किल हो सकता है.

बचत के टिप्स
जब आय का साधन कम हो जाए. तो विलासिता को कहें ना. बुनियादी जरूरतों पर ही ध्यान दें. पैसों की बचत के लिए फिजूलखर्ची कम करनी चाहिए. कुछ के लिए निश्चित रूप से विकल्प हैं, इनका उपयोग किया जाना चाहिए. महंगी चीजों और खान-पान से परहेज करना ही बेहतर होगा. कुछ ख्वाहिशें छोड़ दें. ध्यान रहे कि इससे सरप्लस अमाउंट और भी ज्यादा बढ़ जाएगा.

5 लाख रुपये का हेल्थ कवर
अब का समय ज्यादा सावधानी बरतने का समय है. कंपनी द्वारा दिए जाने वाले समूह स्वास्थ्य बीमा द्वारा कवर किए गए लोगों को भी बिना देरी किए अपनी पॉलिसी लेनी चाहिए. यह न भूलें कि जब आप नौकरी छोड़ते हैं, तो समूह बीमा सुरक्षा समाप्त हो जाती है. बेरोजगारी के दौरान अगर आप अचानक बीमार पड़ जाते हैं, तो आपको मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. कभी-कभी, यदि कवर नहीं किया जाता है, तो इलाज के लिए पूरी बचत समाप्त हो जाएगी. पूरे परिवार को कवर करने के लिए कम से कम 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा अनिवार्य है.

बैंक इनवेस्टमेंट का सही से इस्तेमाल करें
सैलरी खत्म होने पर कई लोग एक बार में ही अपना पूरा इनवेस्टमेंट बैंक से निकाल लेते हैं. यह अच्छी बात नहीं है. सबसे पहले इमरजेंसी फंड का इस्तेमाल करना चाहिए. लेकिन इसके साथ ही पैसा खर्च करते समय इस बात का ध्यान रखें कि सैलरी का कोई सोर्स नहीं है. सोच समझकर पैसे खर्च करें. इसके अलावा फ्यूचर फंड्स और इक्विटीज से इनवेस्टमेंट जरुरी काम के लिए ही निकालें.

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