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Reliance Capital: अनिल अंबानी के हाथ से निकल गई ये कंपनी, सिंधी कारोबारी ने लगाई सबसे ऊंची बोली

रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) के दूसरे राउंड की बोली में 9650 करोड़ रुपये की बोली सबसे ऊंची रही. ये बोली किस कंपनी ने लगाई जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

Reliance Capital
बिक गई रिलायंस कैपिटल
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Published : Apr 27, 2023, 9:44 AM IST

Updated : Apr 27, 2023, 10:27 AM IST

मुंबई : अनिल अंबानी की कर्ज में डूबी कंपनी की खरीद के लिए दूसरे राउंड की बोली हो चुकी है. कई कंपनियां इसे खरीदने के लिए बोली लगाने वालो की रेस में थे. लेकिन एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि केवल हिंदुजा ग्रुप की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स (IIHL) ने बोली लगाई. कंपनी ने रिलायंस को 9650 करोड़ रुपये का एडवांस कैश भी ऑफर किया है. बोली लगाने वाली दो अन्य कंपनियां टोरेंट इंवेस्टमेंट और ओकट्री ने दूसरे दौर की नीलामी में हिस्सा नहीं लिया. हालांकि पहले उन्होंने संकेत दिया था कि वे इस नीलामी के प्रोसेस में हिस्सा लेंगे.

टोरेंट इन्वेस्टमेंट रह गई पीछे : टोरेंट इन्वेस्टमेंट ने पिछले साल दिसबंर में रिलायंस कैपिटल की पहली नीलामी के लिए 8640 करोड़ रुपये की पेशकश की थी. IIHL ने इस बार दूसरे राउंड की नीलामी में 9650 करोड़ रुपये की बोली लगाई जो Torrent Investment की पेशकश से अधिक है. मीडिया रिपोर्टस के अनुसार लेनदारों की समिति (सीओसी) ने पहले दौर के लिए 9500 करोड़ रुपये र दूसरे राउंड के लिए 10000 करोड़ रुपये की न्यूनतम बोली राशि तय की थी.

सीओसी ने एक शर्त और रखी थी जिसके अनुसार सभी बिड यानी बोलियों में कम से कम 8000 करोड़ रुपये का अपफ्रंट कैश पेमेंट करना जरूरी था. लेकिन IIHL ने 9650 करोड़ रुपये की पूरी बिड राशि ही एडवांस पेमेंट कर दी है.

सिंधी कारोबारी या हिंदुजा ग्रुप के बारे में : Hinduja Group की शुरुआत परमानंद दीपचंद हिंदुजा ने की थी, जो अविभाजित भारत के एक सेल्फ मेड युवा उद्यमी थे. हिंदुजा ग्रुप मुख्य रूप से एक मर्चेंट बैंकिंग और ट्रेड एंटरप्राइस के रूप में शुरू हुआ, लेकिन फिर यह दुनिया के मल्टीनेशमल कोंगलोमेरेट्स में से एक के रूप में विकसित हुआ, जो सभी महाद्वीपों में फैला हुआ है. 1914 में बॉम्बे में स्थापित हुई हिंदुजा कंपनी ने 1919 में इराक में अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय संचालन स्थापित किया. सालों तक इराक से काम करने के बाद, हिंदुजा भाइयों ने एक्सपोर्ट बिजनेस को विकसित करने के लिए 1979 में लंदन में अपना आधार स्थापित किया. और यहां से यह कंपनी देखते ही देखते पूरी दुनिया में फैल गई.
(एजेंसी इनपुट के साथ)

ये भी पढ़ें : Reliance Capital Meeting: रिलायंस कैपिटल के कर्जदाताओं की बैठक आज, बोली लगाने वालो की चिंताओं का होगा समाधान

ये भी पढ़ें : NCLT Extends: रिलायंस कैपिटल समाधान प्रक्रिया पूरी करने की समय सीमा 16 जुलाई तक बढ़ाई गई

मुंबई : अनिल अंबानी की कर्ज में डूबी कंपनी की खरीद के लिए दूसरे राउंड की बोली हो चुकी है. कई कंपनियां इसे खरीदने के लिए बोली लगाने वालो की रेस में थे. लेकिन एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि केवल हिंदुजा ग्रुप की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स (IIHL) ने बोली लगाई. कंपनी ने रिलायंस को 9650 करोड़ रुपये का एडवांस कैश भी ऑफर किया है. बोली लगाने वाली दो अन्य कंपनियां टोरेंट इंवेस्टमेंट और ओकट्री ने दूसरे दौर की नीलामी में हिस्सा नहीं लिया. हालांकि पहले उन्होंने संकेत दिया था कि वे इस नीलामी के प्रोसेस में हिस्सा लेंगे.

टोरेंट इन्वेस्टमेंट रह गई पीछे : टोरेंट इन्वेस्टमेंट ने पिछले साल दिसबंर में रिलायंस कैपिटल की पहली नीलामी के लिए 8640 करोड़ रुपये की पेशकश की थी. IIHL ने इस बार दूसरे राउंड की नीलामी में 9650 करोड़ रुपये की बोली लगाई जो Torrent Investment की पेशकश से अधिक है. मीडिया रिपोर्टस के अनुसार लेनदारों की समिति (सीओसी) ने पहले दौर के लिए 9500 करोड़ रुपये र दूसरे राउंड के लिए 10000 करोड़ रुपये की न्यूनतम बोली राशि तय की थी.

सीओसी ने एक शर्त और रखी थी जिसके अनुसार सभी बिड यानी बोलियों में कम से कम 8000 करोड़ रुपये का अपफ्रंट कैश पेमेंट करना जरूरी था. लेकिन IIHL ने 9650 करोड़ रुपये की पूरी बिड राशि ही एडवांस पेमेंट कर दी है.

सिंधी कारोबारी या हिंदुजा ग्रुप के बारे में : Hinduja Group की शुरुआत परमानंद दीपचंद हिंदुजा ने की थी, जो अविभाजित भारत के एक सेल्फ मेड युवा उद्यमी थे. हिंदुजा ग्रुप मुख्य रूप से एक मर्चेंट बैंकिंग और ट्रेड एंटरप्राइस के रूप में शुरू हुआ, लेकिन फिर यह दुनिया के मल्टीनेशमल कोंगलोमेरेट्स में से एक के रूप में विकसित हुआ, जो सभी महाद्वीपों में फैला हुआ है. 1914 में बॉम्बे में स्थापित हुई हिंदुजा कंपनी ने 1919 में इराक में अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय संचालन स्थापित किया. सालों तक इराक से काम करने के बाद, हिंदुजा भाइयों ने एक्सपोर्ट बिजनेस को विकसित करने के लिए 1979 में लंदन में अपना आधार स्थापित किया. और यहां से यह कंपनी देखते ही देखते पूरी दुनिया में फैल गई.
(एजेंसी इनपुट के साथ)

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Last Updated : Apr 27, 2023, 10:27 AM IST
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