नयी दिल्ली : कार्बन क्रेडिट के वैश्विक बाजार में तेजी का रुझान रहने और 2030 तक 250 अरब डॉलर के स्तर को छूने की उम्मीद है. उद्योग से जुड़े के एक कार्यकारी ने यह जानकारी दी. ईकेआई एनर्जी सर्विसेज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) मनीष डबकरा ने साक्षात्कार में कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध, ब्याज दरों में बढ़ोतरी और मांग में कमी सहित कई कारणों से कार्बन क्रेडिट बाजार को झटका लगा, जिससे कीमतें 80 प्रतिशत तक गिर गईं.
डबकरा ने कहा कि स्वैच्छिक कार्बन क्रेडिट से जुड़ा बाजार जिसका मूल्य 2021 में करीब दो अरब डॉलर था, उसमें मंदी देखी गई और अब यह 50 करोड़ डॉलर पर आ गया है. हालांकि, विभिन्न रेटिंग और शोध कंपनियां कार्बन बाजार में सुधार पर जोर दे रही हैं. बार्कलेज की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न देशों की कड़ी जलवायु नीतियों, कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए पेरिस समझौते के तहत उनकी प्रतिबद्धताओं तथा कॉरपोरेट स्थिरता लक्ष्यों जैसे कारकों से कार्बन क्रेडिट बाजार में वृद्धि होने की संभावना है, जिसके 2030 तक 250 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.
केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर. के. सिंह ने पहले कहा था कि सरकार भारत को कार्बन क्रेडिट का बाजार बनाने के लिए कदम उठा रही हैं. इससे देश के एनडीसी (राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान) लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिलेगी. मध्य प्रदेश स्थित ईकेआई एनर्जी सर्विसेज दुनिया भर में एक अग्रणी कार्बन क्रेडिट डेवलपर और आपूर्तिकर्ता है. कार्बन क्रेडिट को कार्बन ऑफसेट भी कहा जाता है. यह एक बाजार-आधारित प्रणाली है, जिसे ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन में कमी को प्रोत्साहित करने और सुविधाजनक बनाने के लिए तैयार किया गया है.
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(पीटीआई-भाषा)