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बेहतर वृहद आर्थिक प्रबंधन की वजह से भारत टिकाऊ वृद्धि की राह पर : वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट - निर्मला सीतारमण

माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह और विनिर्माण और सेवा क्षेत्र का खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) लगातार विस्तार दर्ज कर रहा है. वैश्विक मोर्चे पर बात की जाए, तो 2023 की पहली तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी दूसरी तिमाही में भी जारी है.

Finance Ministry
वित्त मंत्रालय
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Published : Jul 6, 2023, 1:43 PM IST

नई दिल्ली: वैश्विक चुनौतियों के बीच बेहतर तरीके से वृहद आर्थिक प्रबंधन की वजह से आज भारत अन्य देशों की तुलना में अधिक तेजी से पुनरुद्धार की राह पर है. वित्त मंत्रालय की बृहस्पतिवार को जारी एक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है. वित्त मंत्रालय की मई के लिए मासिक आर्थिक समीक्षा और 2023 की वार्षिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि आपूर्ति-पक्ष अवसंरचना में निवेश ने पिछले कई दशकों की तुलना में अधिक लंबी अवधि के लिए भारत की सतत आर्थिक वृद्धि की संभावना को बढ़ा दिया है.

रिपोर्ट कहती है कि भारत अपनी वृद्धि को पूर्व की तुलना में अधिक टिकाऊ तरीके से बरकरार रखने की स्थिति में है. 'इसके बावजूद हमें इन उपलब्धियों पर संतोष नहीं करना चाहिए और न ही कड़ी मेहनत और सतर्कता से हासिल की गई आर्थिक स्थिरता को कम होने देना चाहिए। अगर हम धैर्य रखें, तो और तेजी से आगे बढ़ पाएंगे.' रिपोर्ट कहती है कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय बैंकिंग और गैर-वित्तीय कॉरपोरेट क्षेत्रों में बही-खाते की दिक्कतों और अभूतपूर्व वैश्विक चुनौतियों के बीच वृहद आर्थिक प्रबंधन शानदार रहा है. इसने भारत की वृहद आर्थिक स्थिरता को बढ़ाने में बड़ा योगदान दिया है और आज हमारा देश अन्य राष्ट्रों की तुलना में अधिक तेजी से पुनरुद्धार की राह पर है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि के रास्ते में एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण तत्व केंद्र सरकार का राजकोषीय रुख था. इसके चलते बीते वित्त वर्ष में सरकार का राजकोषीय घाटा 2021-22 की तुलना में कम रहा है. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सरकार मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के लिए शुल्कों में कटौती कर सकती है और कल्याण पर खर्च बढ़ा सकती है. इसमें कहा गया है कि इसके अलावा सरकार अपने पूंजीगत व्यय के बढ़े प्रावधान को कायम रख सकती है, जिसकी वजह से आज निजी निवेश लाने में मदद मिल रही है.

रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि की जो रफ्तार बीते वित्त वर्ष में शुरू हुई है, वह 2023-24 में भी जारी है. तमाम आंकड़े इसकी ओर इशारा करते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरी मांग मजबूत बनी हुई है. वाहन बिक्री के ऊंचे आंकड़ों, ईंधन की खपत और यूपीआई लेनदेन से इसका पता चलता है. साथ ही दोपहिया और तिपहिया की मजबूत बिक्री के साथ ग्रामीण मांग भी सुधार की राह पर है.

पढ़ें: RBI News : विदेशों में लेनदेन के लिए रुपये का इस्तेमाल करने के लिए RBI की पहल

रिपोर्ट में कहा गया है कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह और विनिर्माण और सेवा क्षेत्र का खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) लगातार विस्तार दर्ज कर रहा है. वैश्विक मोर्चे पर बात की जाए, तो 2023 की पहली तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी दूसरी तिमाही में भी जारी है. वैश्विक सामूहिक पीएमआई में विस्तार इसका संकेत देता है.

पीटीआई-भाषा

नई दिल्ली: वैश्विक चुनौतियों के बीच बेहतर तरीके से वृहद आर्थिक प्रबंधन की वजह से आज भारत अन्य देशों की तुलना में अधिक तेजी से पुनरुद्धार की राह पर है. वित्त मंत्रालय की बृहस्पतिवार को जारी एक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है. वित्त मंत्रालय की मई के लिए मासिक आर्थिक समीक्षा और 2023 की वार्षिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि आपूर्ति-पक्ष अवसंरचना में निवेश ने पिछले कई दशकों की तुलना में अधिक लंबी अवधि के लिए भारत की सतत आर्थिक वृद्धि की संभावना को बढ़ा दिया है.

रिपोर्ट कहती है कि भारत अपनी वृद्धि को पूर्व की तुलना में अधिक टिकाऊ तरीके से बरकरार रखने की स्थिति में है. 'इसके बावजूद हमें इन उपलब्धियों पर संतोष नहीं करना चाहिए और न ही कड़ी मेहनत और सतर्कता से हासिल की गई आर्थिक स्थिरता को कम होने देना चाहिए। अगर हम धैर्य रखें, तो और तेजी से आगे बढ़ पाएंगे.' रिपोर्ट कहती है कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय बैंकिंग और गैर-वित्तीय कॉरपोरेट क्षेत्रों में बही-खाते की दिक्कतों और अभूतपूर्व वैश्विक चुनौतियों के बीच वृहद आर्थिक प्रबंधन शानदार रहा है. इसने भारत की वृहद आर्थिक स्थिरता को बढ़ाने में बड़ा योगदान दिया है और आज हमारा देश अन्य राष्ट्रों की तुलना में अधिक तेजी से पुनरुद्धार की राह पर है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि के रास्ते में एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण तत्व केंद्र सरकार का राजकोषीय रुख था. इसके चलते बीते वित्त वर्ष में सरकार का राजकोषीय घाटा 2021-22 की तुलना में कम रहा है. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सरकार मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के लिए शुल्कों में कटौती कर सकती है और कल्याण पर खर्च बढ़ा सकती है. इसमें कहा गया है कि इसके अलावा सरकार अपने पूंजीगत व्यय के बढ़े प्रावधान को कायम रख सकती है, जिसकी वजह से आज निजी निवेश लाने में मदद मिल रही है.

रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि की जो रफ्तार बीते वित्त वर्ष में शुरू हुई है, वह 2023-24 में भी जारी है. तमाम आंकड़े इसकी ओर इशारा करते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरी मांग मजबूत बनी हुई है. वाहन बिक्री के ऊंचे आंकड़ों, ईंधन की खपत और यूपीआई लेनदेन से इसका पता चलता है. साथ ही दोपहिया और तिपहिया की मजबूत बिक्री के साथ ग्रामीण मांग भी सुधार की राह पर है.

पढ़ें: RBI News : विदेशों में लेनदेन के लिए रुपये का इस्तेमाल करने के लिए RBI की पहल

रिपोर्ट में कहा गया है कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह और विनिर्माण और सेवा क्षेत्र का खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) लगातार विस्तार दर्ज कर रहा है. वैश्विक मोर्चे पर बात की जाए, तो 2023 की पहली तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी दूसरी तिमाही में भी जारी है. वैश्विक सामूहिक पीएमआई में विस्तार इसका संकेत देता है.

पीटीआई-भाषा

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