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RBI LRS Scheme: विदेश में खर्च पर डेबिट, क्रेडिट कार्ड में समानता लाने को बदले गए फेमा नियम

वित्त मंत्रालय ने विदेशों में खर्च करने पर शिकंजा कसने के मकसद से फेमा नियमों में बदलाव किया है. जिसके तहत इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड से 2.50 लाख डॉलर सलाना से ज्यादा के भुगतान को RBI के एलआरएस के दायरे में लाया गया है.

RBI LRS Scheme
फेमा नियम में बदलाव
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Published : May 19, 2023, 11:21 AM IST

नई दिल्ली : वित्त मंत्रालय ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड से विदेश में होने वाला खर्च उदारीकृत धन-प्रेषण योजना (एलआरएस) के दायरे में लाने के लिए फेमा कानून में बदलाव करने का मकसद डेबिट एवं क्रेडिट कार्ड से भेजी गई राशि के कर संबंधी पहलुओं में समानता लाना है. वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन (फेमा) संशोधन नियम, 2023 के माध्यम से क्रेडिट कार्ड के जरिये विदेश में होने वाला खर्च भी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एलआरएस योजना में शामिल कर लिया गया है.

इससे विदेश में खर्च की गई राशि पर लागू दरों पर ‘स्रोत पर कर संग्रह’ (टीसीएस) किया जा सकेगा. अगर टीसीएस देने वाला व्यक्ति करदाता है, तो वह अपने आयकर या अग्रिम कर देनदारियों के एवज में क्रेडिट या समायोजन का दावा कर सकता है. इस साल के बजट में विदेशी टूर पैकेज और एलआरएस के तहत विदेश भेजे गए पैसे पर टीसीएस को पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा गया था. नई कर प्रणाली 1 जुलाई से प्रभावी होगी.

2.5 लाख डॉलर से अधिक लेनदेन पर आरबीआई की मंजूरी जरूरी
मंत्रालय ने गत मंगलवार को इस संदर्भ में एक अधिसूचना जारी कर फेमा कानून में संशोधन किए जाने की जानकारी दी थी. इस अधिसूचना में एलआरएस को शामिल करने के बाद 2.5 लाख डॉलर से अधिक मूल्य की विदेशी मुद्रा के किसी भी धन-प्रेषण के लिए आरबीआई की मंजूरी लेनी जरूरी होगी. इस अधिसूचना के पहले तक विदेश यात्रा के दौरान खर्चों के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड से किए गए भुगतान एलआरएस के दायरे में नहीं आते थे. वित्त मंत्रालय ने आरबीआई के साथ परामर्श के बाद जारी अधिसूचना में फेमा अधिनियम, 2000 की धारा सात को हटा दिया है. इससे विदेश में अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड से किया जाने वाला भुगतान भी एलआरएस के दायरे में आ गया है.

पढ़ें : RBI Imposes Penalty: आरबीआई ने इस बैंक पर लगाया ₹1.73 करोड़ का जुर्माना, जानें ग्राहकों पर क्‍या होगा असर?

एलआरएस की सीमा को बनाए रखने के लिए लिया गया फैसला
मंत्रालय ने इस बदलाव पर संबंधित प्रश्नों और उनके जवाब की एक सूची जारी करते हुए स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की है. उसने कहा कि एलआरएस के तहत डेबिट कार्ड से किए गए भुगतान पहले ही शामिल थे, लेकिन क्रेडिट कार्ड से विदेश में किए गए खर्च इस सीमा में नहीं आते थे. इसकी वजह से कई लोग एलआरएस सीमा को पार कर जाते थे. विदेश पैसे भेजने की सुविधा देने वाली कंपनियों से मिले आंकड़ों से पता चला कि 2.50 लाख डॉलर की मौजूदा एलआरएस सीमा से अधिक खर्च की अनुमति वाले अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड जारी किए जा रहे हैं.

जानें कितनी लेन-दने पर कितना TCS कटेगा
मंत्रालय के मुताबिक, आरबीआई ने भी कई बार सरकार को पत्र लिखा था कि विदेश में डेबिट और क्रेडिट से किए जाने भुगतान को लेकर अलग बर्ताव खत्म किया जाना चाहिए. वित्त वर्ष 2021-22 में Liberalised Remittance Scheme (LRS) के तहत कुल 19.61 अरब डॉलर बाहर भेजे गए जबकि वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा 12.68 अरब डॉलर था. पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में यह राशि बढ़कर 24 अरब डॉलर हो गई. सवाल-जवाब की सूची में मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि चिकित्सा इलाज और शिक्षा पर सात लाख रुपये से अधिक के विदेशी खर्च पर 5 फीसदी TCS लगाया जाएगा. वहीं, रियल एस्टेट में निवेश एवं विदेश की यात्रा पर 20 फीसदी कर लगेगा. विदेश में शिक्षा के लिए कर्ज लेने वालों पर सात लाख रुपये की सीमा से अधिक पर कम दर यानी 0.5 प्रतिशत का टीसीएस ही लगेगा.

(पीटीआई- भाषा)

पढ़ें : RBI Pravah Portal : नियामकीय प्रक्रिया को सुगम बनाएगा आरबीआई, ‘प्रवाह’ नाम से बनेगा पोर्टल

नई दिल्ली : वित्त मंत्रालय ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड से विदेश में होने वाला खर्च उदारीकृत धन-प्रेषण योजना (एलआरएस) के दायरे में लाने के लिए फेमा कानून में बदलाव करने का मकसद डेबिट एवं क्रेडिट कार्ड से भेजी गई राशि के कर संबंधी पहलुओं में समानता लाना है. वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन (फेमा) संशोधन नियम, 2023 के माध्यम से क्रेडिट कार्ड के जरिये विदेश में होने वाला खर्च भी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एलआरएस योजना में शामिल कर लिया गया है.

इससे विदेश में खर्च की गई राशि पर लागू दरों पर ‘स्रोत पर कर संग्रह’ (टीसीएस) किया जा सकेगा. अगर टीसीएस देने वाला व्यक्ति करदाता है, तो वह अपने आयकर या अग्रिम कर देनदारियों के एवज में क्रेडिट या समायोजन का दावा कर सकता है. इस साल के बजट में विदेशी टूर पैकेज और एलआरएस के तहत विदेश भेजे गए पैसे पर टीसीएस को पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा गया था. नई कर प्रणाली 1 जुलाई से प्रभावी होगी.

2.5 लाख डॉलर से अधिक लेनदेन पर आरबीआई की मंजूरी जरूरी
मंत्रालय ने गत मंगलवार को इस संदर्भ में एक अधिसूचना जारी कर फेमा कानून में संशोधन किए जाने की जानकारी दी थी. इस अधिसूचना में एलआरएस को शामिल करने के बाद 2.5 लाख डॉलर से अधिक मूल्य की विदेशी मुद्रा के किसी भी धन-प्रेषण के लिए आरबीआई की मंजूरी लेनी जरूरी होगी. इस अधिसूचना के पहले तक विदेश यात्रा के दौरान खर्चों के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड से किए गए भुगतान एलआरएस के दायरे में नहीं आते थे. वित्त मंत्रालय ने आरबीआई के साथ परामर्श के बाद जारी अधिसूचना में फेमा अधिनियम, 2000 की धारा सात को हटा दिया है. इससे विदेश में अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड से किया जाने वाला भुगतान भी एलआरएस के दायरे में आ गया है.

पढ़ें : RBI Imposes Penalty: आरबीआई ने इस बैंक पर लगाया ₹1.73 करोड़ का जुर्माना, जानें ग्राहकों पर क्‍या होगा असर?

एलआरएस की सीमा को बनाए रखने के लिए लिया गया फैसला
मंत्रालय ने इस बदलाव पर संबंधित प्रश्नों और उनके जवाब की एक सूची जारी करते हुए स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की है. उसने कहा कि एलआरएस के तहत डेबिट कार्ड से किए गए भुगतान पहले ही शामिल थे, लेकिन क्रेडिट कार्ड से विदेश में किए गए खर्च इस सीमा में नहीं आते थे. इसकी वजह से कई लोग एलआरएस सीमा को पार कर जाते थे. विदेश पैसे भेजने की सुविधा देने वाली कंपनियों से मिले आंकड़ों से पता चला कि 2.50 लाख डॉलर की मौजूदा एलआरएस सीमा से अधिक खर्च की अनुमति वाले अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड जारी किए जा रहे हैं.

जानें कितनी लेन-दने पर कितना TCS कटेगा
मंत्रालय के मुताबिक, आरबीआई ने भी कई बार सरकार को पत्र लिखा था कि विदेश में डेबिट और क्रेडिट से किए जाने भुगतान को लेकर अलग बर्ताव खत्म किया जाना चाहिए. वित्त वर्ष 2021-22 में Liberalised Remittance Scheme (LRS) के तहत कुल 19.61 अरब डॉलर बाहर भेजे गए जबकि वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा 12.68 अरब डॉलर था. पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में यह राशि बढ़कर 24 अरब डॉलर हो गई. सवाल-जवाब की सूची में मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि चिकित्सा इलाज और शिक्षा पर सात लाख रुपये से अधिक के विदेशी खर्च पर 5 फीसदी TCS लगाया जाएगा. वहीं, रियल एस्टेट में निवेश एवं विदेश की यात्रा पर 20 फीसदी कर लगेगा. विदेश में शिक्षा के लिए कर्ज लेने वालों पर सात लाख रुपये की सीमा से अधिक पर कम दर यानी 0.5 प्रतिशत का टीसीएस ही लगेगा.

(पीटीआई- भाषा)

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